सोशल संवाद/डेस्क: क्या मंत्र-जप के पीछे कोई अदृश्य शक्ति होती है? यह सवाल सिर्फ धार्मिक मान्यताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि अब वैज्ञानिक शोध भी इसकी संभावना की ओर इशारा कर रहे हैं।

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पुणे स्थित अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र में कार्यरत डॉ. एस. नारायण के शोध में यह पाया गया कि नियमित मंत्र-जप से मस्तिष्क की एकाग्रता और मानसिक स्थिरता बढ़ती है। उनका मानना है कि ध्वनि तरंगों का असर मन पर इतना गहरा होता है कि यह कठिन परिस्थितियों में मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद कर सकता है।
मंत्र और ध्वनि का अनोखा संबंध
हर मंत्र में ध्वनि, लय और दोहराव का एक निश्चित पैटर्न होता है। शोधकर्ताओं के अनुसार हर अक्षर की अपनी एक ऊर्जा, कंपन और फ्रिक्वेंसी होती है, जो नियमित अभ्यास के दौरान साधक पर प्रभाव डालती है।
एक रोचक प्रयोग में वैज्ञानिकों ने बताया कि अगर गीली मिट्टी से “ॐ” का खोखला आकार बनाया जाए और उसमें हवा फूंकी जाए, तो स्पष्ट रूप से ‘ॐ’ की ध्वनि सुनाई देती है। यह साबित करता है कि ध्वनि और आकृति का संबंध केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक भी है।
कब समझें कि मंत्र का प्रभाव शुरू हो गया है?
आध्यात्मिक ग्रंथों के अनुसार, साधक को कुछ विशेष परिवर्तन महसूस होने लगते हैं, जैसे:
- बिना प्रयास मंत्र मन में अपने आप गूंजने लगे
- मानसिक हल्कापन और शांति महसूस हो
- इष्ट देव या ऊर्जा की उपस्थिति का अनुभव
- सकारात्मक इच्छाओं का धीरे-धीरे पूर्ण होना
मंत्र-जप केवल धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि मानसिक, ऊर्जा और चेतना के स्तर पर होने वाला परिवर्तन है। विज्ञान अभी इसकी गहराई को पूरी तरह समझ नहीं पाया है, लेकिन शुरुआती शोध इस दिशा में नए संकेत दे रहे हैं।








