सोशल संवाद डेस्क : कहते हैं कि श्रीकृष्ण की लीला अद्भुत और निराली है। भगवान श्रीकृष्ण विष्णु के अवतार माने जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीकृष्ण 16 कलाओं में परिपूर्ण हैं। श्रीकृष्ण के बाल्यकाल की नटखट लीलाएं सबका मन मोह लेती हैं। आइये उनकी बाल्यकाल की कुछ लीलाओ के बारे में जानते है ।
कारावास की लीला
कंस के कारागार में माता देवकी के गर्भ से श्रीकृष्ण का जन्म हुया था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वासुदेव और देवकी के 7 पुत्रों को कंस पहले ही मार चुका था।श्रीकृष्ण का जन्म होते ही कंस के कारागार के सारे दरवाजे स्वतः खुल गए। साथ ही सभी प्रहरी गहरी निद्रा में चले गए। कहते हैं कि ये कान्हा की ही लीला थी। जिसके बाद उनके पिता रातोंरात कान्हा जी को नंदगांव छोड़ आए।
पूतना का वध
श्रीकृष्ण के जीवित होने की सूचना जब कंस को मिली तो उसने पूतना नामक राक्षसी को कान्हा जी का मारने के लिए भेजा। पूतना भेष बदलकर कान्हा जी को अपने वक्ष के विष रूपी दुग्धपान कराने लेगी। लेकिन कान्हा जी पूतना के असली रूप को पहचान गए। जिसके बाद कान्हा ने पूतना का वध कर दिया। गोपाल की इस लीला से लोग अचंभित रह गए।
कालिया नाग से जुड़ी लीला
श्रीकृष्ण की बाल लीला की कथाओं में कालिया नाग के वध की कथा बेहद प्रचलित है । कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए कालिया नाग ने यमुना की पानी में अपना डेरा जमा लिया। कालिया नाग के जहर से यमुना का पानी काला पड़ गया। जिस कारण पशु-पक्षी मरने लगे। एक बार नदी किनारे खेलते हुए कन्हा के द्वारा गेंद यमुना में चली गई। जिसे निकालने के लिए कान्हा नदी में कूद पड़े. जिसके बाद कान्हा और कालिया नाग के बीच युद्ध हु्आ। कुछ समय के बाद कालिया नाग हार गया और कृष्ण उसके फन पर नाचने लगे। कालिया जो भी फण उठता, कृष्ण उसी फण पर नृत्य करते। श्रीकृष्ण की ये लीला देखने के लिए देवतागण भी आकाश में स्थित हो गए। कुछ देर तक कृष्ण ये लीला करते रहे और फिर शर्त के अनुसार कालिया यमुना को छोड़ कर चला गया। पूरा ब्रज कृष्ण की जयजयकार से गूँज उठा।