December 26, 2024 8:25 pm

सुरंग से निकले 41 मजदूरों को मिलेगी 1-1 लाख की मदद

सोशल संवाद/डेस्क : सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को 17 दिन बाद निकाला जाना किसी उपलब्धि से कम नहीं हैं. वही रैट माइनर्स की कोशिशों के बिना यह लगभग असंभव था.पीएम मोदी ने भी रेस्क्यू टीम को भी बधाई दी. उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में फंसे सभी 41 मजदूरों को मंगलवार शाम को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, जिसके बाद उनके परिवारों समेत पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई. इसे उत्तराखंड सरकार की भी हर तरफ वाहवाही हो रही है.इसके करीब 45 मिनट बाद सभी 41 मजदूरों को एक के बाद एक बाहर निकाल लिया गया. टनल में बने अस्थायी अस्पताल में पहले सभी का मेडिकल चेकअप हुआ.

उसक बाद उनको एम्बुलेंस से 30-35 KM दूर चिन्यालीसौड़ के अस्पताल भेजा गया.धामी सरकार ने सभी 41 मजदूरों के लिए पेड लीव का ऐलान किया है, जिससे वह अपने परिवारों के साथ समय बिता सकें. बचाए गए श्रमिकों को 24 घंटे डॉक्टर्स की निगरानी में रखा गया है.अस्पताल में इलाज पर होने वाला खर्च सरकार उठाएगी. इनके अलावा मजदूरों और उनके परिजनों के खाने, रहने की भी व्यवस्था भी सरकार कर रही है.

सुरंग के बाहर मौजूद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने टनल से बाहर निकलते ही मजदूरों का फूलों की माला पहनाकर स्वागत किया. धामी सरकार ने सभी 41 मजदूरों के लिए 1-1 लाख रुपए की राहत राशि देने का एलान किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरंग से बाहर आए मजदूरों से फोन पर बात कर उनका हालचाल जाना. पीएम लगातार रेसक्यू ऑपरेशन पर नजर बनाए हुए थे. पीएम ने उनके हौसले को खूब सराहा. मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने में रैट माइनर्स हीरो बनकर उभरे हैं. उन्होंने मैनुअली सुरंग की खुदाई कर फतह हासिल की. मजदूरों और रेस्क्यू टीम के बीच सिर्फ 60 मीटर की दूरी थी.

रैट माइनर्स ने 21 घंटे काम करके 58 मीटर की मैनुअल ड्रिलिंग पहले ही कर ली थी, मंगलवार को 2 मीटर की मैनुअल ड्रिलिंग को भी पूरा कर लिया गया. मजदूरों को निकालने के लिए 17 दिन तक चली सांस रोकने वाली लड़ाई बिल्कुल थका देने वाली थी. भारत में अब तक ये सबसे बड़ा बचाव अभियान रहा. मजदूरों को सुरक्षित रखने और निकालने में किसी ने कोई कसर नहीं छोड़ी.

इसके लिए अमेरिका तक से ऑगर मशीनें मंगाई गईं. तरह-तरह से पहाड़ का सीना चीरने की कोशिश हुई. ऑगर मशीन से ड्रिलिंग नाकाम होने के बाद वर्टिकल और मैनुअल खुदाई शुरू की गई. मैनुअली खदाई के लिए रैट माइनर्स की टीम को बुलाया गया. अंतिम 10-12 मीटर की मैनुअल खुदाई के बाद पाइपों को अंदर डाला गया.

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