सोशल संवाद/ डेस्क : भारतीय समाज में शादी दो लोगों में नहीं बल्कि दो परिवारों में होती है। ऐसे में इसे सफल बनाने के लिए सिर्फ पति-पत्नी के बीच प्यार होना काफी नहीं है। परिवार के लिए कुछ समझौतों को करने की समझ और हिम्मत होना भी जरूरी है।
शादी के बाद लड़कियों को अपना घर छोड़कर पति के घर जाना होता है, जहां उससे नए परिवार के तौर-तरीकों के साथ तालमेल बिठाने की उम्मीद की जाती है। ऐसे में सबसे बड़ी जिम्मेदारी पति की होती है, जिसे आमतौर पर कोई उसे बताता नहीं है। यह बात उसे तब समझ आती है, जब वह पत्नी और मां-बाप के बीच फंस जाता है, और उसे किसी एक को चुनना पड़ता है।
ऐसे में शादी के बाद हर आदमी के दिमाग में कभी न कभी यह सवाल जरूर आता है, कि वह अपने माता-पिता को अधिक महत्व दे या अपनी पत्नी को। इसका जवाब जानने के लिए हमने प्रिडिक्शन्स फॉर सक्सेस के संस्थापक और रिलेशनशिप कोच विशाल भारद्वाज से बात की, और यहां हम आपको उनके बताए उन तरीकों को बता रहे हैं, जिससे कभी भी मां-बाप और बीवी में से किसी एक को चुनने की नौबत नहीं आएगी।
एक्सपर्ट मानते हैं, कि आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में व्यस्तता बढ़ने के कारण लोग के लिए रिश्तों का महत्त्व कम हो गया है। घर चलाने और लाइफस्टाइल को मेंटेन करने के लिए अब पति और पत्नी दोनों का मिलकर कमाना बहुत जरूरी है।
ऐसे में शादी के बाद ससुराल और जॉब को संभालना कई बार बहुत औरतों के लिए मुश्किल हो जाता है। इससे घर में आपसी मतभेद भी शुरू होता है, जिसे हल करने के लिए आदमी को किसी एक का पक्ष लेने का फैसला करना पड़ता है।
एक आदमी के लिए माता-पिता और पत्नी दोनों ही जरूरी हैं। इंसान का अस्तित्व माता-पिता से ही होता है। उनके पालन पोषण से व्यक्ति इस लायक बनता है कि वह जीवन में कुछ कर सके। उनके त्याग और आशीर्वाद से ही जीवन में सफलता मिलती है। ऐसे में माता-पिता के बूढ़े होने पर उनके पालन पोषण की जिम्मेदारी आपकी होती है।
साथ ही पत्नी भी उतनी ही जरूरी है। क्योंकि वही है, जो आपका जीवन भर साथ देगी। हर समय में आपके दुख-सुख को बांटेगी। इसलिए किसी एक को महत्व देने की बात सोचना गलत है।