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इस मंदिर के शिवलिंग में घी डालने से बन जाता है माखन, मंदिर की वास्तुकला भी है अनूठी

By admin

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सोशल संवाद /डेस्क (रिपोर्ट: तमिश्री )- भगवान शिव की महिमा अपरम्पार है ,कई ऐसे मंदिर है जहा महादेव की महिमा और चमत्कार देखने को मिलते है।उन्ही में से एक मंदिर है भारत के कर्नाटक राज्य के बैंगलोर में ।इस मंदिर में शिवलिंग पर घी चढ़ाया जाता है तो वह मक्‍खन बन जाता है। जी हा हमेशा मक्‍खन से घी बनाया जाता है।घी से मक्‍खन कभी नहीं बनता परन्तु महादेव के इस चमत्कारी मंदिर में  यही होता है।

इस मंदिर का नाम है गवी गंगाधरेश्वर मंदिर । यहाँ मकर संक्रांति के दिन एक ऐसी प्राकृतिक घटना होती है जो किसी दैवीय चमत्कार से कम नहीं है। इस अस्चार्यचाकित कर देने वाले घटना को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है। गवी गंगाधरेश्वर मंदिर एक पौराणिक स्थान है। यहाँ गौतम ऋषि ने कई दिनों तक भगवान शिव की कठिन तपस्या की थी, जिसके कारण इस स्थान पर भगवान शिव उत्पन्न हुए थे । यही कारण है कि इस क्षेत्र को गौतम क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान पर भारद्वाज ऋषि ने भी तपस्या की थी और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त किया था।

यह एक गुफा मंदिर है और इसकी गिनती भारतीय रॉक कट वास्तुशैली के सबसे शानदार मंदिरों में से होती है। बेंगलुरु के इस प्राचीनतम मंदिर का आधुनिक इतिहास 9वीं एवं 16वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। इसका निर्माण कैम्पे गौड़ा द्वारा 9वीं शताब्दी में कराया गया जबकि 16वीं शताब्दी में इसका जीर्णोद्धार बेंगलुरु के संस्थापक कैम्पे गौड़ा प्रथम द्वारा कराया गया था।

मंदिर की विशेषता इसकी संरचना ही है। दरअसल यह मंदिर विज्ञान और धर्म का एक अनूठा संगम है। दक्षिण भारत के अन्य मंदिरों से अलग इस मंदिर की दक्षिण-पश्चिमी दिशा  में है। यह बताता है कि मंदिर का निर्माण करने वाले वास्तुविद नक्षत्र विज्ञान के बहुत बड़े ज्ञाता थे। मंदिर के आँगन में चार ऐसी संरचनाएँ हैं, जिनका निर्माण एक ही पत्थर से हुआ है। इनमें से दो संरचनाएँ (एक खंभे पर गोल डिस्क) सूर्यपाण एवं चन्द्रपाण कहलाती हैं। इसके अलावा एक डमरू और एक त्रिशूल भी एक ही पत्थर से बनाया गया है। सूर्यपाण एवं चन्द्रपाण के बीच में एक ध्वज स्तंभ है और नंदी मंडप है, जिसमें भगवान शिव के वाहन नंदी विराजमान हैं। मंदिर का गर्भगृह एक गुफा में स्थित है, जहाँ तक पहुँचने के लिए सीढ़ियों से नीचे उतरना पड़ता है। गर्भगृह मात्र 6 फुट ऊँचा है और यहीं स्थापित है, एक विशाल शिवलिंग।

वैसे तो मकर संक्रांति हिन्दुओं के सबसे पवित्र और सकारात्मक त्यौहारों में से एक है। लेकिन गवी गंगाधरेश्वर मंदिर में इस त्यौहार का महत्व कहीं अधिक बढ़ जाता है और इस दिन होने वाली अद्भुत प्राकृतिक घटना को देखने के लिए न केवल भारत बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं।  दरअसल मकर संक्रांति के दिन सूर्य भगवान उत्तरायण होते हैं। ऐसे में इस दिन सूर्यास्त के समय मात्र 5-8 मिनटों के लिए ही सूर्य की किरणें गर्भगृह तक पहुँच कर शिवलिंग का अपनी स्वर्णिम लालिमा से अभिषेक करती हैं। घटना कुछ ऐसी होती है कि सूर्यास्त के ठीक पहले सूर्य की किरणें मंदिर के स्तंभों को छूते हुए, नंदी की दोनों सींगों के एकदम बिच से गुजरते हुए गर्भगृह तक पहुँचती हैं और पूरा गर्भगृह सूर्य की स्वर्णिम किरणों से अलंकृत हो जाता है। इस घटना को देखने के लिए हर साल हजारों लोगों की भीड़ मंदिर में इकट्ठा होती है।

कहा जाता है कि गंगाधरेश्वर पर अर्पित किया गया घी पुनः माखन में बदल जाता है जबकि ऐसा असंभव है क्योंकि मक्खन से घी बनता है और घी को मक्खन में नहीं बदला जा सकता है। अब इस चमत्कार कहे या  कहानी ऐसा होता तो अवश्य है। मान्यता ये भी है की इस मखना को खाने से कई रोग दूर हो जाते है।

इसके अलावा कहा जाता है कि मंदिर के गर्भगृह में तीन सुरंगों के द्वार हैं जो शिवगंगा, सिद्धगंगा और वाराणसी के लिए जाती हैं। इस मंदिर और यहाँ स्थित सुरंगों के संबंध में कहा जाता है कि दो युवक किसी तरह से वाराणसी जाने वाली सुरंग में घुसने में कामयाब रहे थे लेकिन कभी वापस नहीं आए। अब वे पहुचे या नहीं इसका कुछ पता नहीं चल पाया।

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