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चन्द्रमा का धार्मिक महत्त्व ; पुराणों ,वेदों और ज्योतिष शास्त्रों के लिए है चन्द्रमा खास

By admin

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सोशल संवाद / डेस्क (रिपोर्ट :तमिश्री )- भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिग कर चूका है, जिसके साथ ही भारत ने सुन्हेहरे अक्षरों से अपना नाम इतिहास के पन्नो में दर्ज कर लिया है। ISRO के भेजे रोवर ने चाँद पर पहुचेत साथ अपना काम भी करना शुरू कर दिया है। चंद्रयान-3 मिशन 14 दिनों तक चांद की सतह पर रिसर्च करेगा।वहीं, विज्ञान के साथ ही धार्मिक दृष्टि से भी चांद बेहद खास है। भारतीय संस्कृति, धर्म, ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।

हिन्दू धर्म के अधिकतर व्रत चंद्रमा की गति पर ही आधारित रहते हैं। जैसे दूज का चांद, गणेश चतुर्थी, करवाचौथ, एकादशी या प्रदोष का व्रत, पूर्णिमा, अमावस्या आदि सभी पर व्रत रखा जाता है जिससे चंद्र दोष भी दूर होता है। होली, रक्षा बंधन, दिवाली, जन्माष्टमी, शिवरात्रि, शरद पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा आदि सभी चंद्रमा से जुड़े ही पर्व या त्योहार हैं।

पौराणिक मान्यता के अनुसार चन्द्रमा को  महर्षि अत्रि और माता अनुसूइया का पुत्र माना गया है।चंद्र देवता जिन्हें सोम के नाम से जाना जाता है, उनके द्वारा पृथ्वी पर पहले ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गई थी, जिसे सोमनाथ के नाम से जाना जाता है। सनातन पंरपरा में प्रत्येक मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया तथा पूर्णिमा के दिन चंद्र दर्शन का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। शरद पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, फाल्गुन पूर्णिमा और तमाम महीने में पड़ने वाली अमावस्या का संबंध भी चंद्रमा से ही है। गौरतलब है कि दीपों का महापर्व दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही मनाया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार पितर भी इसी चंद्रमा पर निवास करते हैं।

यह नौ ग्रहों में एक है। ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी है जो किस भी व्यक्ति की कुंडली में शुभ-अशुभ रहते हुए उसके मनोबल को घटाने या बढ़ाने का कारण बनता है. इसका संबंध जातक की मानसिक शांंति से होता है। आयु के निर्धारण में इसकी अहम भूमिका होती है।  पुराणों और वेदों में बताया गया है कि चांद की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अपने सिर पर धारण कर लिया। ब्रह्मा जी ने इन्हें बीज, औषधि, जल और ब्राह्मणों का राजा मनोनीत किया। इन्हें जल तत्व का देवता भी कहा जाता है।  इनकी प्रतिकूलता से व्यक्ति को मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में राशिफल को ज्ञात करने के लिए व्यक्ति के चंद्र राशि को आधार माना जाता है। किसी व्यक्ति के जन्म के समय ये जिस राशि में स्थित होते हैं, उसे ही उस व्यक्ति की चंद्र राशि कहा जाता है। इनका स्वभाव शीतल है। सूर्य प्रत्यक्ष नारायण हैं तो चंद्रमा राकेश यानी रात के ईश्वर हैं।चंद्रमा के महत्व को ऐसे भी जाना जा सकता है कि सप्ताह के सात दिनों में एक दिन उनके नाम पर सोमवार रखा गया है।

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