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भारत के आदिवासी संविधान प्रदत्त अनेक अधिकारों के बावजूद गुलामी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं – सेंगेल सालखन मुर्मू

By admin

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सोशल संवाद/दिल्ली (रिपोर्ट – सिद्धार्थ प्रकाश ) : भारत के आदिवासी संविधान प्रदत्त अनेक अधिकारों के बावजूद गुलामी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। अंतत: वे हासा (भूमि), भाषा, जाति (st), धर्म (सरना), रोजगार, इज्जत, आबादी, चास वास आदि लूटाने को मजबूर हैं। सेंगेल के अनुसार झारखंड और बृहद झारखंड क्षेत्र में आदिवासियों के बर्बादी के लिए सोरेन खानदान (शिबू- हेमंत) और आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के नाम पर माझी-परगाना, मानकी- मुंडा आदि सर्वाधिक दोषी हैं।

क्योंकि दोनों के पास हासा-भाषा आदि बचाने का कोई एजेंडा और कार्य योजना नहीं है। उल्टा आदिवासी समाज को नशापान, अंधविश्वास, डायन- प्रथा, ईर्ष्या द्वेष, महिला विरोधी मानसिकता, वोट की खरीद बिक्री आदि क्रियाकलापों की ओर धकेलने का काम करते हैं। परंपरा के नाम से वंशवादी माझी- परगना, मानकी- मुंडा आदि को बनाए रखने के पक्षधर हैं। जो अंततः जनतंत्र, संविधान, कानून और मानव अधिकार का गला घोंटने का काम करते हैं। आदिवासी स्वशासन प्रमुख निरंकुश शासक की तरह निर्दोष और कमजोर आदिवासियों पर जुर्माना लगाना, सामाजिक बहिष्कार करना, डायन बनाना आदि का तुगलकी फरमान आए दिन जारी करते हैं।

2)  सोरेन खानदान के पतन के बगैर आदिवासी समाज का उत्थान असंभव है। उसी प्रकार आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में जब तक जनतांत्रिक और संवैधानिक सुधार नहीं होगा आदिवासी समाज गांव- गांव में गुलामी की जंजीरों में जीने  को मजबूर होते रहेंगे।  आदिवासी सेंगेल अभियान इसमें परिवर्तन लाने के लिए संकल्पित है और संघर्षरत है। लूट, झूठ और भ्रष्टाचार में लिप्त सोरेन खानदान के खिलाफ कल (18.9.23) के सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब सोरेन खानदान के लिए पतन का रास्ता प्रसस्त कर सकता है।

3) आज स्वर्णरेखा परियोजना से विस्थापित लोगों के लिए बने चिलगू बस्ती में सेंगेल अभियान के कार्यकर्ताओं की एक विशेष बैठक का आयोजन हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में शामिल पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने उपरोक्त चिंताओं को साझा किया। सरना धर्म कोड को 2023 में हर हाल में हासिल करने का संदेश दिया। रांची 8 नवंबर 23 के सरना महारैली में शामिल होने का आह्वान किया।

4)  कुर्मी महतो जाति द्वारा जोर जबरदस्ती राष्ट्रहित के खिलाफ 20.9.23 से रेल- रोड चक्का जाम करने का भी विरोध करते हुए सालखन मुर्मू ने इसके लिए झारखंड में जेएमएम पार्टी, उड़ीसा में बीजू जनता दल पार्टी और बंगाल में तृणमूल कांग्रेस पार्टी को ज्यादा दोषी ठहराया। चूँकि वोट बैंक के राजनीतिक लोभ लालच में इन पार्टियों ने कुर्मी महतो जैसे समृद्ध गैर- आदिवासी जाति को ST बनाने का झांसा देकर मणिपुर जैसे हिंसक हालत को आमंत्रित कर रहे हैं।

5) आज की विशेष सेंगेल बैठक में प्रमुख कार्यकर्ता शामिल हुए। जिसकी अध्यक्षता सेंगेल दिशोम परगाना सोनाराम सोरेन ने किया तथा संचालन प्रखंड उपाध्यक्ष लुसकु हांसदा ने किया। प्रखंड अध्यक्ष सोनातन किस्कु के साथ मिथुन मुर्मू, गणेश मुर्मू, महेंद्र हेम्ब्रम, जूनियर मुर्मू, ज्योति मुर्मू आदि शामिल थे।

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