सोशल संवाद/ डेस्क : पप्पू यादव को समझ में नहीं आ रहा कि वह क्या करें। लालू, तेजस्वी से जब उनकी बात हुई थी तो सब कुछ ठीक था। लालू ने पप्पू से कहा कि तुम आरजेडी में आ जाओ। पप्पू ने मना कर दिया। उन्होंने बाद के दिनों में अपनी पार्टी जन अधिकार पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया। उनसे कहा गया था कि आपको पूर्णियां से चुनाव लड़ाया जाएगा। लेकिन, लालू ने खेला कर दिया। लालू ने बीमा भारती को आरजेडी के टिकट पर पूर्णियां से उतार दिया। इससे पप्पू आहत हैं।
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उन्होंने महागठबंधन को लेकर तमाम सपने देखे थे, कई योजनाएं बनाई थीं। अब सब उन्हें ढहता हुआ दिख रहा है। एक समाचार एजेंसी से उन्होंने कहाः मैं क्या करूं, समझ में नहीं आता। लालू जी से मेरी बात हुई थी। उन्हें पता था कि मैं पूर्णियां से चुनाव लड़ूंगा। उनको भी मैंने बताया था और आपको भी बता रहा हूं कि पूर्णियां मेरी मां है और मैं पुत्र। भला एक मां को उसका बेटा छोड़ सकता है। जैसे लालू जी ने उम्मीदवार घोषित कर दिया, वह मेरी कल्पना से भी बाहर का है। लेकिन, मैं चुनाव लड़ूंगा। मैं पूर्णियां से ही चुनाव लड़ूंगा। जो होगा, वह देखा जाएगा। मैंने बहन बीमा भारती को भी बता दिया है कि मैं पूर्णियां से ही चुनाव लड़ूंगा। कई बार मुझे लगता है कि लालू जी को मैंने अपने पिता के तुल्य माना और उन्होंने मेरे साथ जो किया, वह हतप्रभ कर देने वाला है। जो होगा, देखा जाएगा।
दरअसल, अपनी पत्नी रंजीत रंजन के समझाने पर उन्होंने जाप का विलय कांग्रेस में कर दिया। सोच यह थी कि महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस है। कांग्रेस में रहेंगे तो अपर हैंड रहेगा। लेकिन यहां उनके साथ उल्टा हो गया। वह भूल गये कि इंडिया गठबंधन में लालू यादव नामक प्राणी भी हैं जो बचपन से ही भैंस का सिर पकड़ कर पीठ पर चढ़ते थे। रात के अंधेरे में लालू-तेजस्वी को मुतमईन कर देने के बाद पप्पू यह मान कर चल रहे थे कि ऑल इज वेल।
लेकिन, जो हुआ उसे लेकर पप्पू खासे निराश हैं। अब उनके ऊपर दबाव पड़ रहा है कि वह पूर्णियां सीट से बीमा भारती की उम्मीदवारी का समर्थन करें। अब न तो पप्पू यादव को कुछ समझ में आ रहा है और न ही उनकी राज्यसभा सांसद पत्नी रंजीता रंजन को। लिहाजा, दोनों ने मीडिया से फिलहाल दूरी बना ली है। वैसे, बिहार के अखबारों में और सोशल मीडिया में इसको लेकर खूब चटखारे लिये जा रहे हैं।