January 15, 2025 2:25 pm

3 भारत रत्न, 17 पद्म विभूषण, 62 पद्म भूषण, 91 पद्मश्री हैं टाटा घराने की झोली में

3 भारत रत्न, 17 पद्म विभूषण, 62 पद्म भूषण, 91 पद्मश्री हैं

सोशल संवाद / जमशेदपुर: सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज टाटा ग्रुप की उपलब्धियों का बखान करती एक कॉफी टेबल बुक का प्रकाशन करने जा रही है. इस पुस्तक का संपादन लेखक संदीप मुरारका ने किया है. खूबसूरत आवरण एवं लगभग 170 रंगीन पृष्ठों से सुसज्जित यह पुस्तक राष्ट्र निर्माण में टाटा ग्रुप के योगदान को बयां करेगी.

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पुस्तक के प्रथम पृष्ठों में महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी बाजपेयी, देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ टाटा घराने की यादगार तस्वीरों को संकलित किया गया है.

तीन भारत रत्न हैं टाटा की झोली में –

टाटा ग्रुप प्रबंधन एवं टाटा से जुड़े अन्य सहयोगियों की विशिष्ट उपलब्धियों को भारत सरकार ने समय समय पर देश के सर्वोच्च पुरस्कारों से नवाजा है. देश में पद्म पुरस्कार प्रदान करने की परंपरा वर्ष 1954 में प्रारंभ की गई थी. तब से वर्ष 2024 तक कुल 53 भारत रत्न, 336 पद्म विभूषण, 1320 पद्म भूषण एवं 3531 पद्मश्री प्रदान किये जा चुके हैं. इस कॉफी टेबल बुक में टाटा ग्रुप से संबंधित नामों को चिन्हित कर अलग संकलित करने का प्रयास किया गया है. ताकि प्रबंधन के छात्र छात्राएं इनकी सफलता की कहानियों को पढ़कर प्रेरणा प्राप्त कर सके. संपादक संदीप मुरारका ने बतलाया कि उद्योग एवं व्यवसाय के क्षेत्र में आजतक मात्र एक भारत रत्न प्रदान किया गया है और यह सम्मान टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन जे. आर. डी. टाटा को प्राप्त हुआ है. साथ ही टाटा ग्रुप द्वारा वैज्ञानिक अनुसंधान और उच्च शिक्षा के लिये स्थापित अग्रगण्य शिक्षण संस्थान ‘भारतीय विज्ञान संस्थान’ के दो पूर्व निदेशकों प्रो. सी.एन.रामचंद्र राव और डॉ. सी.वी.रमन को भी भारत रत्न से अलंकृत किया जा चुका है.

व्यवसाय से परे टाटा समूह का प्रभाव –

अंग्रेजी भाषा में लिखी गई पुस्तक ‘बियोंड बिजनेस : इम्पैक्ट ऑफ टाटा ग्रुप’ में  टाटा प्रबंधन, टाटा द्वारा स्थापित संस्थानों में कार्यरत चिकित्सक, वैज्ञानिक, इंजीनियरों की फेहरिस्त है. इनमें तीन भारत रत्न, सतरह पद्म विभूषण, बासठ पद्म भूषण, इंक्यानबे पद्म श्री विभूषित व्यक्तित्व शामिल हैं. साथ ही टाटा घराने की ओर से खेलने वाले खिलाड़ियों को पांच मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार, नौ द्रोणाचार्य पुरस्कार, उन्यासी अर्जुना अवार्ड, पांच तेनज़िंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार, पांच राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं.

तेरह माउंट एवरेस्ट विजेताओं का है जिक्र –

सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष विजय आनंद मूनका कहते हैं कि टाटा ग्रुप ने ना केवल कारखाने स्थापित किये, बल्कि कई ऐसी संस्थाओं का गठन किया, जिनके कीर्तिमानों से पूरे विश्व में देश का गौरव बढ़ा है. ऐसा ही एक संस्थान है – ‘टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन’, जहां प्रशिक्षित तेरह पर्वतारोहियों ने माउंट एवरेस्ट के साथ साथ विश्व के उच्चतम शिखरों पर भी तिरंगा लहराया है. इन सबका परिचय इस कॉफी टेबल बुक में शामिल किया गया है.

कुल आठ अध्याय हैं इस पुस्तक में –

सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के पीआरडब्ल्यू विंग द्वारा प्रकाशित की जाने वाली बियोंड बिजनेस : इम्पैक्ट ऑफ टाटा ग्रुप के विषय में उपाध्यक्ष अभिषेक अग्रवाल गोल्डी बताते हैं कि टाटा ग्रुप द्वारा अर्जित पुरस्कारों के अलावा नौ ऐसे व्यक्तित्वों का परिचय भी इस पुस्तक में शामिल किया गया है. जो पद्म पुरस्कारों से अलंकृत किए गए और उनकी जड़ें भी कभी ना कभी टाटा की माटी से जुड़ी रहीं हैं. ऐसे लोगों में मिल्क मैन ऑफ इंडिया के नाम से विख्यात वर्गीस कुरियन, विख्यात लेखिका, प्रेरक वक्ता एवं मनोनीत राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति, देश के प्रमुख उद्योगपति वेणु श्रीनिवासन एवं देश में औद्योगिक और शैक्षणिक संबंधों की मजबूती के पैरोकार प्रो. अशोक झुनझुनवाला का नाम उल्लेखनीय है. होटल ताज की घरेलू मैगजीन ‘ताज’ की संपादक फातिमा जकारिया को भी पद्मश्री से विभूषित किया जा चुका है.

टाटा पर जारी हुए कई सिक्के, डाक टिकट और स्पेशल कवर –

सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के पीआरडब्ल्यू सचिव लिपु शर्मा ने बताया कि पोस्टल विभाग द्वारा समय समय पर टाटा के योगदान पर कई सिक्के, डाक टिकट और स्पेशल कवर जारी किए जा चुके हैं. इस पुस्तक में उस पूरी यात्रा का विस्तृत व सचित्र विवरण है. इस अध्याय को जमशेदपुर कॉयन कलेक्टर्स क्लब के प्रेम पीयूष कुमार और प्रीतम बासु ने संकलित किया है.

ग्वालियर के नीरज कुमार पाठक ने की है डिजाईन –

केवल दो रंगों के प्रयोग से तैयार की गई इस आकर्षक कॉफी टेबल बुक के आवरण एवं अंदर के रंगीन पृष्ठों की सज्जा ग्वालियर के नीरज कुमार पाठक ने की है. वे आईटीएम यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर भी हैं. साथ ही हिंदी शब्दों का अंग्रेजी अनुवाद जमशेदपुर के विद्वान आनंद मोहन चौबे ने किया है, वे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सेवानिवृत अधिकारी हैं. टाटा ग्रुप द्वारा स्थापित विभिन्न संस्थानों, ट्रस्ट, सोसायटी, आयोजनों, तस्वीरों को समाहित करती इस पुस्तक का लोकार्पण टाटा स्टील लिमिटेड की स्थापना के 117वीं वर्षगांठ पर 26 अगस्त को होना तय है.

ऐतिहासिक जानकारियों से लबरेज पुस्तक –

वर्ष 1903 में जब अंग्रेज यह कल्पना कर रहे थे कि भारत में एक शानदार भवन का निर्माण किया जाए और इसके लिए वे लंदन की संसद में विक्टोरिया मेमोरियल अधिनियम  पारित कर रहे थे. उस वर्ष दूरदर्शी जमशेदजी टाटा ने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में होटल ताज का उदघाटन कर ना केवल अंग्रेजों बल्कि दुनिया के संपन्न देशों को भी चौंका दिया था. टेक्सटाइल से टाइटन तक का सफर तय करने वाले टाटा ने क्या नहीं बनाया. नमक से लेकर आईटी तक के क्षेत्र में टाटा ने ऐसी विशिष्ट पहचान कायम की है कि आज विश्व के लगभग 150 देशों में टाटा के प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं.

राष्ट्रनिर्माण में टाटा का योगदान –

टाटा ग्रुप ने उद्योग से परे आईआईएससी, टीआईएफआर, एचबीसीएसई, सीएएम, आईसीटीएस, एनसीआरए, एनसीबीएस, एनआईएएस जैसे कई महान संस्थानों की स्थापना की है, जो ना केवल भारत बल्कि दुनिया भर में विख्यात हैं. इसीलिए कहा जा सकता है कि राष्ट्रनिर्माण में टाटा का योगदान ना केवल प्रशंसनीय है बल्कि अनुकरणीय है, अतुलनीय है, अद्वितीय है, अविश्वसनीय है.

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बतौर जमशेदपुरियन यदि कोई पूछे कि टाटा ग्रुप किस किस उत्पाद का निर्माण करता है तो कहा जा सकता है कि टाटा ग्रुप खिलाड़ी बनाता है, टाटा इंजीनियर का निर्माण करता है, टाटा वैज्ञानिक तैयार करता है, टाटा मानवीय मूल्यों का निर्माण करता है, टाटा आत्म विश्वास का निर्माण करता है और इन सबसे बढ़कर टाटा ग्रुप एक सम्मुन्नत राष्ट्र के निर्माण में अपना बेहतरीन योगदान देता रहा है.

आदिवासियों और टाटा घराने में है एक समानता –

आदिवासी समुदाय और टाटा घराने की कहानियों में एक समानता है. यदि देश के इतिहास से आदिवासियों की कहानियां हटा दी जाए, तो पुरातन संस्कृति, परंपरा और स्वदेशी विरासतें गायब हो जाएंगी. दूसरी ओर यदि देश के इतिहास से टाटा ग्रुप की स्टोरीज को हटा दिया जाए, तो विकास और आधुनिकता का स्वप्न देखने वाला अपना देश सौ वर्ष पीछे खड़ा दिखेगा.

उद्यमियों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी यह पुस्तक –

यह पुस्तक छोटे बड़े हर उद्यमी के लिए एक मार्गदर्शिका की तरह है कि व्यापार से परे अपने कर्तव्यों का निर्वहन किस प्रकार करना चाहिए. यह पुस्तक व्यवसाय प्रबंधन के छात्र छात्राओं के लिए महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो उन्हें प्रबंधन के साथ साथ राष्ट्र निर्माण प्रबंधन के गुर भी सीखलाएगी. भारत विश्वगुरु कैसे बनेगा, यह पुस्तक उस मार्ग का पता बतलाएगी. शोधार्थियों के लिए यह पुस्तक कई नए विषय प्रस्तुत करती दिखती है.

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