इंकलाब जिंदाबाद'... ये नारा आपने सुना तो अवश्य होगा।
यह वही नारा है जिसे भगत सिंह ने हमेशा के लिए अमर कर दिया।
ये नारा दिया था मौलाना हसरत मोहानी ने। मोहानी आजादी के लिए लड़ने वाले क्रांतिकारी थे।
भले ही उनका नाम गुमनाम है, लेकिन पूरी अंग्रेजी हुकूमत मोहानी के गीतों और शायरी से खौफ खाती थी।
मोहानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को अपना आदर्श मानते थे।
उन्होंने 1921 में 'इंकलाब जिन्दाबाद' का मशहूर नारा दिया, जिसका अर्थ होता है- 'क्रांति अमर रहे!' इस नारे ने कई स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित किया।
भगत सिंह, बटुक दत्ता और चंद्रशेखर आज़ाद इस नारे से अभिभूत हो गए और इसका इस्तेमाल करने लगे।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सबसे लोकप्रिय नारों में से एक था।
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