November 24, 2024 10:31 pm

सिंहभूम चैम्बर मेें रतन टाटा को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

सिंहभूम चैम्बर मेें रतन टाटा को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

सोशल संवाद / जमशेदपुर : सिंहभूम चैम्बर के श्रद्धांजलि सभा में पूर्व अध्यक्षों और टाटा स्टील के वाईस प्रेसिडेंट चैतन्य भानु के उपस्थिति में व्यवसायी, उद्यमियों ने सैकड़ों की संख्या टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन पद्म विभूषण रतन टाटा को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया। श्रद्धांजलि सभा में मानद महासचिव मानव केडिया ने संचालन करते हुये रतन टाटा के 3 मार्च, 2012 को जमशेदपुर आगमन के दौरान चैम्बर पहुंचकर सदस्यों को संबोधित करने की एक वीडियो सदस्यांे के समक्ष प्रदर्शित कर कार्यक्रम की शुरूआत की।

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इस अवसर पर अध्यक्ष अध्यक्ष विजय आनंद मूनका ने श्रद्धेय रतन टाटा को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये कहा कि सर रतन टाटा के देवलोकगमन का गहरा आघात एवं दुख पूरे देश को, विश्व के औद्योगिक जगत को हुआ है।  रतन टाटा ऐसे महान व्यक्तित्व थे जिन्हें युग-युगांतर तक याद रखा जायेगा। रतन टाटा एक उद्योगपति, व्यापारी ही नही थे बल्कि ऐसे इंसान थे जिन्हें शब्दों में बांधा नहीं जा सकता।  हम सब अगर उनके जीवन से कुछ न कुछ ग्रहण कर लें तो हमारा जीवन धन्य हो जायेगा।  अध्यक्ष विजय आनंद मूनका ने कहा कि रतन टाटा ऐसे इंसान थे जिन्हें अलग तरह की ईश्वरीय शक्ति प्राप्त थी। हमारा यह जमशेदपुर टाटा के इर्द-गिर्द ही घूमता है जिसे बढ़ाने मंे रतन टाटा जी का भी अहम योगदान है। 

अध्यक्ष विजय आनंद मूनका ने कहा कि यूं ही कोई इंसान बड़ा नहीं हो जाता, उनके बड़े होने में उनकी सोच, काम के प्रति ईमानदारी, मानवीयता उन्हें बड़ा बनाती है, ये सभी गुण रतन टाटा में समाहित थे।  रतन टाटा के चैम्बर आगमन को याद करते हुये एक किस्सा उन्होंने उपस्थित व्यवसायी उद्यमियों को बताया कि वह दिन ऐतिहासिक था, जब टाटा समूह के तत्कालीन चेयरमैन रतन टाटा ने चैम्बर के सदस्यों के साथ 100 मिनट से अधिक समय गुजारे थे। उस समय चैम्बर के अध्यक्ष राजकुमार अग्रवाल एवं महासचिव (वर्तमान में अध्यक्ष) वह स्वयं थे। शायद यह पहला मौका था, जब रतन टाटा ने टाटा के अलावे किसी दूसरे कार्यक्रम में हिस्सा लिया था और इतना समय दिया था।  डायस पर मैं रतन टाटा के बगल में बैठा था और कार्यक्रम का संचालन कर रहा था।

अध्यक्ष विजय आनंद मूनका बताते हैं – जब मैं हिन्दी में कार्यक्रम का संचालन कर रहा था तो रतन टाटा ने मेरे से पूछा कि क्या सारा कार्यक्रम हिन्दी में ही होगा, तो मैेंने कहा कि सर आप अंग्रेजी में भी बोल सकते हैं।  अंत में जाने के समय उन्होंने और चेयरमैन डेजिग्नेट ने चैम्बर के विजिटर्स बुक में अपने एक्सपीरिएंस शेयर किये। तत्कालीन चैम्बर आर.के. अग्रवाल ने उन्हें अपने पेन दिए थे। चेयरमैरन डेजिग्नेट ने विजिटर्स बुक में साईन करने के बाद भूलवश पेन विजिटर्स बुक में रख दी।  इस पर रतन टाटा ने चेयरमैन डेजिग्नेट को कहा- यह पेन आर.के. अग्रवाल का है। अध्यक्ष विजय आनंद मूनका ने कहा इससे समझा जा सकता है कि रतन टाटा की कितनी पैनी नजर होती थी। 

आज जब रतन टाटा हमारे बीच नहीं है, तब यह अहसास होता है कि हम कितने खुशनसीब हैं कि उनके साथ इतना समय गुजारने का मौका मिला था।  हम सब उनके सादगी, समय के पाबंद, कम बोलना, गहराई वाले बातें करना आदि गुण के दीवाने हैं।  विरले ही ऐसे महापुरूष का जन्म होता है, भारत में उनका जन्म हुआ, भारत धन्य हो गया।  उनकी बातें हमारी जीवन के लिये अनुकरणीय है।  अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक, औद्योगिक जीवन में उनकी कुछ बातें भी उतारेंगे तभी उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

इस अवसर पर पूर्व अध्यक्ष राजकुमार अग्रवाल ने भी उन्हंे श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि रतन टाटा के व्याख्यान को शब्दों और भावों में नहीं प्रकट कर सकते।  उनका चैम्बर आगमन हमेशा यादगार रहेगा।  उन्होंने एक किस्सा सुनाते हुये कहा कि रतन टाटा जी के आगमन पर उन्हें एक पेन गिफ्ट करते हुये उनसे स्वयं राजकुमार अग्रवाल ने आग्रह किया था कि वे इस पेन का उपयोग अपने दैनिक जीवन में अवश्य करें।  यहां से जाने के बाद सर रतन टाटा ने स्वयं फोन कर कहा कि वह उनके (राजकुमार अग्रवाल) द्वारा दिये गये पेन का उपयोग कर रहे हैं।

कार्यक्रम में टाटा स्टील के तरफ से श्रद्धांजलि सभा मंे टाटा स्टील से प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित वाईस प्रेसिडेंट चैतन्य भानु ने भी रतन टाटा को श्रद्धा सुमन अर्पित कर सदस्यों को संबोधित किया।  उन्होंने बताया कि 1991 में रतन टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने।  तब व्यापार का वैश्वीकरण हो रहा था।  और विश्व में भारतीय उद्योगों के लिये भी दरवाजे खुले।  तब टाटा स्टील की स्थिति अच्छी नहीं थी।  टाटा स्टील ने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिये कंसलटेन्ट नियुक्त किया। कंसल्टेंट ने सलाह दी कि टाटा स्टील की वर्तमान स्थिति को देखते हुये इसे बंद कर देना चाहिए।  लेकिन रतन टाटा ने अपनी इच्छाशक्ति और दूरदर्शिता को दिखाते हुये कहा कि कंसलटेंट का एनालिसिस गलत है और टाटा स्टील को सुचारू ढंग से जारी रखा और वैश्विक मंच पर एक अलग पहचान दी।

इस अवसर पर पूर्व अध्यक्षगण विजय मेहता, मुरलीधर केडिया, निर्मल काबरा, जीआर गोलछा, राजकुमार अग्रवाल, चैम्बर उपाध्यक्ष अनिल मोदी, अधिवक्ता राजीव अग्रवाल, पुनीत कांवटिया, सचिव भरत मकानी, अधिवक्ता अंशुल रिंगसिया, बिनोद शर्मा, कोषाध्यक्ष सीए अनिल रिंगसिया, संजय देबुका, पवन नरेडी, कृपाशंकर मूनका, कमलेश अग्रवाल, बिमल लोधा, सीए महेश अग्रवाल के अलावा सैकड़ों की संख्या में व्यवसायी उद्यमियों ने उपस्थित होकर रतन टाटा को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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