सोशल संवाद / नई दिल्ली : इंडिया गठबंधन के नेताओं ने मणिपुर की अनदेखी और उपेक्षा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि हिंसाग्रस्त राज्य में अघोषित राष्ट्रपति शासन है। यह बात मणिपुर से आए इंडिया गठबंधन के नेताओं ने पत्रकारों से बातचीत में कही। वे जंतर-मंतर पर धरना देना चाहते थे, मगर उन्हें अनुमति नहीं दी गई। विजय चौक पर पत्रकारों से बात करते हुए मणिपुर की दस पार्टियों के संयोजक क्षेत्रीमयुम शांता और मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष के. मेघचंद्र सिंह ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा है और प्रधानमंत्री से मणिपुर का दौरा करने का आग्रह किया है।
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उन्होंने कहा कि लोगों को प्रधानमंत्री से काफी उम्मीदें हैं। यदि प्रधानमंत्री बहुत व्यस्त हैं, तो वे भाजपा सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को दिल्ली बुला सकते हैं और राज्य में शांति बहाली को लेकर उनके साथ बैठक कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्षी नेताओं को तो छोड़िए, प्रधानमंत्री ने अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री और किसी भी मंत्री से मुलाकात तक नहीं की। उन्होंने पूछा कि पिछले 18 महीनों में केंद्र सरकार ने इतनी लापरवाही क्यों बरती है। मणिपुर के प्रति इतनी उदासीनता और उपेक्षा क्यों बरती जा रही है। उन्होंने कहा कि मणिपुर भारत का हिस्सा है और वहां के लोग भारतीय नागरिक हैं। उन्होंने खुलासा किया कि मणिपुर में लगभग 60 हजार विस्थापित लोग अभी भी राहत शिविरों में रह रहे हैं। मणिपुर पूरी तरह से विभाजित हो चुका है और एक समुदाय के लोगों के लिए दूसरे समुदाय के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में जाना असंभव है। यह अभूतपूर्व है और मणिपुर के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि वे शांति और सामान्य स्थिति की बहाली की मांग को लेकर मणिपुर से तीन हजार किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर नई दिल्ली आए हैं, लेकिन उन्हें जंतर-मंतर पर धरना देने की अनुमति नहीं दी गई। वह केंद्र सरकार के रवैये की निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि अनुमति न मिलने के बावजूद मणिपुर में शांति और कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा।
इंडिया गठबंधन के नेताओं ने यह भी खुलासा किया कि देश भर में महंगाई पहले से ही चरम पर है, सबसे ज्यादा महंगाई मणिपुर में है, क्योंकि राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि एक तो आवश्यक वस्तुओं की बहुत कमी है और दूसरा अगर कुछ उपलब्ध है तो उसकी कीमतें बहुत ज्यादा हैं, जिससे लोगों का जीवन बहुत मुश्किल हो गया है।