December 23, 2024 1:44 am

श्रीनाथ विश्वविद्यालय में आठवां श्रीनाथ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी महोत्सव के दूसरे दिन के कार्यक्रम संपन्न

श्रीनाथ विश्वविद्यालय में आठवां श्रीनाथ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी महोत्सव के दूसरे दिन

सोशल संवाद / जमशेदपुर : दिनांक 21.12. 2024 को आदित्यपुर स्थित श्रीनाथ विश्वविद्यालय में आठवां श्रीनाथ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी महोत्सव के दूसरे दिन के कार्यक्रमों का आयोजन संपन्न हुआ । आज चिन्तन-मनन के मुख्य वक्ता के रूप में सरायकेला खरसावां के उपायुक्त रविशंकर शुक्ला तथा पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त अनन्य मित्तल सम्मिलित हुए। इस सत्र के समन्वयक श्रीनाथ विश्वविद्यालय के वरिष्ठ सलाहकार कौशिक मिश्रा एवं जियाडा के उप निदेशक दिनेश रंजन जी थे।

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कौशिक मिश्रा ने रविशंकर शुक्ला सर से सवाल पूछा कि सर आप इतने वरिष्ठ पदाधिकारी हैं और आप हिंदी बोलने में काफी सहजता महसूस करते हैं परंतु ऐसा देखा जाता है कि कुछ लोग हिंदी बोलने में हिचकते हैं आप इस बारे में क्या कहना चाहेंगे । इस प्रश्न का उत्तर देते हुए रविशंकर शुक्ला जी ने कहा कि हम लोग जब कार्यालय में बात करते हैं तो इस बात पर जरूर ध्यान देते हैं कि सामने खड़े व्यक्ति की शैक्षणिक पृष्ठभूमि क्या है? हमारे अधिकारी भी हिंदी बोलते हैं क्योंकि इससे आम आदमी उनसे सरलता से जुड़ पाता है । हमारा प्रयास उस भाषा में ही संप्रेषण करना होता है जिसमें आम आदमी से सही तरीके से संपर्क हो सके ।

पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त अनन्य मित्तल जी से कौशिक मिश्रा जी ने पूछा कि आप पहले भी हमारे कार्यक्रम से जुड़ चुके हैं और आपने बच्चों के बीच हिंदी में ही अपना वक्तव्य दिया था । आप किसी भी कार्यक्रम में जाते हैं तो क्या आप हिंदी में ही बात करना चाहते है। इस बात का उत्तर देते हुए मित्तल ने कहा कि भाषा एक माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने भाव प्रकट करते हैं। अगर आप अपनी बात ही ठीक से ना रख पाए तो उस भाषा का कोई अर्थ नहीं है। दूसरी बात है कि यदि कोई पदाधिकारी कुछ बोलता है तो उसे देखा सुना और माना जाता है इसलिए उन्हें उस भाषा का ही प्रयोग करना चाहिए जिसे लोग आसानी से समझ सके।दिनेश रंजन जी ने अगला सवाल रविशंकर जी से पूछा कि वैश्विक पटल पर हिंदी को हीन भावना से देखा जाता है आप इसे किस रूप में देखते हैं । और इसे कैसे सुधारा जाए इस पर रवि शंकर शुक्ला जी ने कहा कि किसी भाषा की बात यदि कि जाए तो यह देखा जाता है कि उसे कितने लोग बोलते हैं? वैश्विक पटल पर अगर हिंदी की स्थिति थोड़ी कमजोर है तो इसके लिए हम ही जिम्मेदार हैं। यदि हम सब हिंदी भाषा में लिखना-पढ़ना जारी रखें तो वैश्विक पटल पर भी हिंदी को उभरने का अवसर जरूर आएगा । 

दिनेश रंजन ने अगला प्रश्न मित्तल से किया और पूछा कि प्रशासनिक भाषा के रूप में हिंदी का प्रयोग किया जा रहा है फिर भी कुछ शब्द उर्दू फारसी के जरूर उसमें होते हैं मेरा आपसे सवाल है कि क्या कठिन हिंदी का सरलीकरण किया जा सकता है ? इस पर मित्तल ने जवाब देते हुए कहा की प्रशासनिक और बोलचाल की भाषा में अंतर होता है । स्थानीय भाषा का प्रयोग भी साथ में होने लगता है जिस भाषा का हम लोग उपयोग कर रहे हैं उसे अपनी मूल रूप में लेना चाहिए लेकिन कभी-कभी बदलाव संभव है लेकिन उसमें समानता होनी चाहिए भाषा के प्रयोग को इस्तेमाल करने मे आत्मविश्वास होना चाहिए । जो भाषा आप जिस रूप में जानते हैं उसे उसी रूप में बोलना चाहिए।

इसी प्रश्न का जवाब देते हुए रविशंकर शुक्ला जी ने कहा कि प्रशासनिक हिंदी में तत्सम के शब्द वैसे ही ले लिए गए हैं हम कोई अन्य भाषा यदि ले तो एक दुविधा की स्थिति उत्पन्न होगी । उर्दू फारसी को भी हम साथ लेकर चलते हैं यह हिंदी भाषा की ओर से एक स्वीकार्यता है हम जितना अधिक अलग-अलग भाषाओं को लेकर साथ चले तो कोई भी भाषा दीर्घायु बनती है।

दिनेश रंजन जी ने मित्तल सर से प्रश्न पूछा कि आज भारतीय प्रशासनिक सेवा में हिंदी माध्यम से कम बच्चे निकल  हैं क्या यूपीएससी में हिंदी भाषी बच्चों के लिए संभावनाएं कम हो गई हैं ? इस पर मित्तल ने कहा कि मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि हिंदी बच्चों को छाँट दिया जा रहा है । हमें देखना होगा कि उस वर्ष कितने प्रतिशत विद्यार्थी यूपीएससी में हिंदी माध्यम से सम्मिलित हुए थे हमें उस प्रतिशत की जांच करनी होगी ।

कौशिक मिश्रा ने अगला सवाल मित्तल सर से पूछा कि किसी क्षेत्र में क्या बाई लिंगुअल नोटिस भी दिया जा सकता है इस पर मित्तल सर ने कहा कि आमतौर पर हम हिंदी का ही प्रयोग करते हैं लेकिन हमारे स्थानीय अधिकारी स्थानीय भाषा में लोगों तक उस सूचना को पहुंचाने का प्रयास करते हैं । हम जब अपनी प्रशासनिक सूचना देते हैं तो स्थानीय अधिकारी स्थानीय भाषा मे लोगो को उसे बताने का प्रयास करते है । रविशंकर शुक्ला जी ने भी इस सवाल का जवाब दिया और कहा कि हिंदी भारत के किसी भी कोने में पढी और समझी जा सकती है । आप समझ सकते हैं कि एक ही विज्ञापन यदि हमें अलग-अलग भाषा में देना पड़े  तो हमारे लिए यह  कितना मुश्किल होगा।

आज दूसरे दिन महोत्सव में अतिथि के रूप में जेएनएफएफ के निदेशक, बॉलीवुड गायिका सपना अवस्थी, अभिनेता मुकेश एस भट्ट, निर्देशक मुदित चंद्र, संजय सतपति, कन्हैयालाल लाल, कोल्हान विश्वविद्यालय के दारा सिंह,  कोल्हान विश्वविद्यालय के वित्तीय पदाधिकारी आदि उपस्थित हुए।

मुकेश भट्ट ने विद्यार्थियों को कहा कि मैं सपने देखता हूं और आपसे भी मैं कहना चाहूंगा कि आप भी सपने देखे और यदि आपके सपनों में दम होगा तो वह पूरा जरूर होंगे . बालीवुड के निदेशक मुदित चंद्र ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप अपने करियर को जितना जल्दी हो सके आरंभ करें क्योंकि बढ़ती आयु के साथ चुनौतियां आपकी बढ़ती जाएगी ।

  दूसरे दिन महोत्सव मे निम्नलिखित महाविद्यालय/विश्वविद्यालय सम्मिलित हुए-

काजी नजरूल विश्वविद्यालय           

एमएस के एम पी एम वोकेशनल कॉलेज, भगिनी निवेदिता विश्वविद्यालय, दीनबंधु एंड्रयूज कॉलेज, के एस कॉलेज सरायकेला

गंगाधर मेहर विश्वविद्यालय, संबलपुर, ओडिशा,

महिला कॉलेज चाईबासा ,      

द ग्रेजुएट स्कूल कॉलेज फॉर वीमेन,

मॉडल कॉलेज खरसावां,

करीम सिटी कॉलेज, जमशेदपुर इत्यादि।

दूसरे दिन निम्नलिखित प्रतियोगिताऐ आयोजित हुई-

रील्स संचार, लोक गीत

हिन्दी टंकण, संस्कृति के आठ रंग, ब्लॉग लेखन

कुछ तुम कहो, कुछ हम कहें,

प्रश्नोत्तरी : अंतिम चरण

स्टार्ट अप श्रीनाथ , लघु नाटिका : प्रथम चरण ।

 दूसरे दिन महोत्सव मे बङी संख्या मे विद्यार्थी,  महाविद्यालय/विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। 

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