March 19, 2025 3:38 pm

मोदी का लेक्स फ्रिडमैन पॉडकास्ट: बातें बड़ी, मतलब कुछ नहीं

Lex Fridman podcast on Modi

सोशल संवाद / डेस्क ( सिद्धार्थ प्रकाश ) : जिस इंटरव्यू को “ऐतिहासिक” बताया जा रहा था, वह असल में तीन घंटे का एक लंबा-चौड़ा प्रवचन निकला। AI रिसर्चर और पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन, मोदी जी के व्यक्तित्व से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने इंटरव्यू से पहले 48-72 घंटे का उपवास रखा—शायद इसलिए, ताकि वे मानसिक रूप से तैयार हो सकें कि उन्हें अगले कुछ घंटों तक सिर्फ तारीफें ही सुननी हैं।

एक पॉडकास्ट जिसका कोई मकसद ही नहीं!

आमतौर पर, जब किसी देश के प्रधानमंत्री का इंटरव्यू होता है, तो लोग उम्मीद करते हैं कि गंभीर मुद्दों पर चर्चा होगी, कुछ तीखे सवाल होंगे, और असली इनसाइट्स मिलेंगी। लेकिन नहीं! यहां हमें सिर्फ मोदी जी की प्रेरणादायक जीवन गाथा, उनके सपने और उनकी महानता पर आधारित एक भव्य व्याख्यान मिला।

लेक्स फ्रिडमैन, जो अपनी गहरी सोच और खोजी सवालों के लिए जाने जाते हैं, इस बार लगता है कि वे सवाल पूछने का हुनर घर पर ही छोड़ आए थे। बेरोजगारी? नहीं पूछा। प्रेस की आज़ादी? नहीं पूछा। सामाजिक तनाव? भूल जाइए। इसकी जगह हमें मिला एक सतही संवाद, जिसमें न कोई कठिन प्रश्न थे और न ही कोई ठोस जवाब।

तथ्यजांच? अरे, वो क्या होता है?

मोदी जी ने भारत की अद्भुत आर्थिक वृद्धि और डिजिटल क्रांति पर ऐसे दावे किए, जैसे उन्होंने अकेले ही सिलिकॉन वैली को दिशा दी हो। कोई आंकड़े नहीं, कोई डेटा नहीं, कोई आलोचना स्वीकार नहीं—बस खुद की पीठ थपथपाने का अटूट सिलसिला। और फ्रिडमैन? वे बस श्रद्धालु छात्र की तरह सिर हिलाते रहे।

जब मोदी जी ने भारत में AI विकास की बात की, तो लगा जैसे चैटजीपीटी भी उन्हीं की खोज हो! भारत का डिजिटल भविष्य इतना चमकदार बताया गया कि लगा गूगल और माइक्रोसॉफ्ट उनसे सीख रहे हैं। लेकिन इंटरनेट शटडाउन, सरकारी निगरानी और नागरिकों की गोपनीयता जैसे मुद्दे? बिलकुल गायब!

वास्तविक मुद्दों से कुशलतापूर्वक बचाव!

एक आदर्श दुनिया में, शायद फ्रिडमैन मोदी जी से सवाल पूछते—देश में बढ़ती बेरोजगारी, मीडिया पर दबाव, लोकतंत्र को लेकर अंतरराष्ट्रीय संगठनों की चिंताओं पर उनकी राय लेते। लेकिन यहाँ? सन्नाटा। इसकी जगह हमें मिला मोदी जी का भविष्य दृष्टिकोण और उनकी महान जीवन यात्रा का विवरण, मानो देश चलाना सिर्फ एक मोटिवेशनल स्पीच देना भर हो!

निष्कर्ष: इंटरव्यू था या मोदी महोत्सव?

जो लोग गहरी और तथ्यपरक चर्चा की उम्मीद कर रहे थे, उन्हें जबरदस्त निराशा हाथ लगी। लेकिन जो लोग एक आत्ममुग्ध भाषण सुनना चाहते थे, उनके लिए यह साक्षात्कार किसी खजाने से कम नहीं था।

लेक्स फ्रिडमैन ने पूरा ध्यान रखा कि मोदी जी सिर्फ पॉडकास्ट के मेहमान ही नहीं, बल्कि इसके नायक भी बने रहें। कुल मिलाकर, अगर आपको असली सवाल और जवाब चाहिए, तो आप कहीं और ढूंढिए। लेकिन अगर मोदी बायोपिक के ऑडियो वर्जन का मज़ा लेना चाहते हैं, तो यह आपके लिए परफेक्ट कंटेंट है!

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