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अमेरिका के टैरिफ का झटका और भारत सरकार की बेबसी – ट्रंप जो कहते हैं वो करते हैं और जो नहीं कहते हैं वो बिलकुल करते हैं

By Tamishree Mukherjee

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अमेरिका के टैरिफ का झटका और भारत सरकार की बेबसी

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सोशल संवाद / ब्युरो ( सिद्धार्थ प्रकाश ) : 4 अप्रैल  2025 को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक और  ‘धमाका’  करते हुए भारतीय वस्तुओं पर  26%  टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी। यह निर्णय उनकी तथाकथित  “मुक्तिदिवस”  (Liberation Day)  नीति का हिस्सा है, जिसके तहत वे अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने और घरेलू उद्योगों को बचाने के नाम पर संरक्षणवादी नीतियों को लागू कर रहे हैं। लेकिन भारत सरकार के लिए यह घोषणा किसी करारे तमाचे से कम नहीं है, क्योंकि अब भारतीय व्यापार जगत को जबरदस्त झटका लगने वाला है।

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भारत पर प्रभाव और प्रभावित क्षेत्र

टैरिफ का सबसे अधिक प्रभाव ऑटोमोबाइल,  फार्मास्यूटिकल्स,  इलेक्ट्रॉनिक्स और वस्त्र उद्योगों पर पड़ेगा। यह कदम भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ा झटका है,  क्योंकि अमेरिका भारतीय वस्तुओं का एक प्रमुख खरीदार है। आंकड़ों के मुताबिक:

क्षेत्र निर्यातपरप्रभाव (%) संभावितअसर
ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स23.1%निर्यात में गिरावट,  उत्पादन कटौती,  नौकरियों में कमी
केमिकल और फार्मास्यूटिकल्स8.6%बढ़ीहुईलागत, घटतामुनाफा
प्लास्टिक5.6%ऑर्डर रद्द होने की संभावना
वस्त्र और कपड़ा1.4%आपूर्ति श्रृंखला पर असर
हीरा,  सोना,  आभूषण13.3%विलासिता उत्पादों पर टैरिफ से नुकसान
लोहा,  इस्पात और धातु2.5%औद्योगिक निर्यात प्रभावित
मशीनरी और कंप्यूटर5.3%टेक सेक्टर पर दबाव
इलेक्ट्रॉनिक्स7.2%प्रतिस्पर्धा में कमी

भारतीय निर्यातकों के लिए यह मुश्किल वक्त है, क्योंकि अनुमान है कि  2024-25  में भारत का कुल माल निर्यात  $435-440  बिलियन तक रहेगा। ऐसे में यह टैरिफ भारतीय अर्थ व्यवस्था की गति को धीमा कर सकता है।

सरकार की बेबसी और दिशाहीन रणनीति

मोदी सरकार पर अब भारी दबाव है कि वह अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौता  (Bilateral Trade Agreement)  करे। हालांकि, सरकार की नीति और रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने सरकार की नीतियों को  “अस्पष्ट,  दिशाहीन और भ्रमित”  बताया।

अजीत डोभाल,  अडानी और गृहमंत्री का कनेक्शन?

हाल के घटना क्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार  (NSA)  अजीत डोभाल,  गौतम अडानी और गृहमंत्री अमित शाह का नाम भी चर्चा में आया है। हालांकि, वर्तमान टैरिफ मुद्दे से इनका सीधा संबंध स्थापित नहीं हो सका है। कुछ रिपोर्टों में यह जरूर कहा गया था कि नवंबर  2024  में अमेरिका ने डोभाल,  अडानी और शाह के अमेरिका या कनाडा में यात्रा करने पर कुछ प्रतिबंध लगाए थे,  लेकिन इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई।

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गौतम अडानी पहले से ही अमेरिका की भ्रष्टाचार जांच के दायरे में हैं,  और उनकी कंपनियों पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में हो सकता है कि अमेरिकी प्रशासन इस मुद्दे को व्यापार वार्ता में एक दबाव उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रहा हो।

सेंसेक्स की  ‘चमत्कारी’  मजबूती

हैरानी की बात यह रही कि इस बुरी खबर के बावजूद  2  अप्रैल  2025  को भारतीय शेयर बाजार पर कोई खास असर नहीं पड़ा। सेंसेक्स  0.78%  (592.93  अंकों)  की बढ़त के साथ  76,617.44  पर बंद हुआ,  जबकि निफ्टी  0.72%  (166.65  अंकों)  की बढ़त के साथ  23,332.35  पर बंद हुआ। यह इंगित करता है कि निवेशकों को सरकार से व्यापार वार्ता की उम्मीद है।

निष्कर्ष

ट्रंप के इस टैरिफ हमले ने भारतीय अर्थ व्यवस्था के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। इससे भारतीय उद्योगों,  विशेष रूप से ऑटोमोबाइल और फार्मास्यूटिकल्स सेक्टर,  पर गंभीर प्रभाव पड़ने वाला है। मोदी सरकार अब अमेरिका के साथ समझौते की दिशा में काम कर रही है,  लेकिन उसकी अस्पष्ट नीतियां और अडानी- डोभाल प्रकरण इस मामले को और उलझा सकते हैं।

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या भारत अपनी व्यापारिकरण नीति में बदलाव लाएगा,  या फिर एक बार फिर  “सब चंगा सी”  का राग अलाप कर इस मुद्दे को टालने की कोशिश करेगा?

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