सोशल संवाद/डेस्क : प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर के शिवलिंग को लेकर नया विवाद छिड़ गया है। शंकराचार्यों, संतों, महंतों और शिव उपासकों ने श्री श्री रविशंकर की सोमनाथ मंदिर में शिवलिंग को पुनः स्थापित करने की घोषणा का विरोध किया है।
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ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि श्रीश्री रविशंकर ने अब तक इस बारे में बात क्यों नहीं की? द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा- ज्योतिर्लिंग स्वयंभू है और इसे दोबारा प्रतिष्ठित करने की आवश्यकता नहीं है। वहीं, हरिगिरि महाराज ने कहा- ज्वाला को कभी खंडित नहीं किया जा सकता, इसलिए इसे पुनः स्थापित करने का प्रश्न ही नहीं उठता। शिव उपासक निजानंद स्वामी ने कहा कि 1000 साल पुराने सोमनाथ शिवलिंग के टुकड़े किसी के पास होना संभव नहीं है। सोमनाथ ट्रस्ट के ट्रस्टी पीके लाहिड़ी ने कहा कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि ये टुकड़े मूल शिवलिंग के हैं या नहीं।
अब जानिए इस विवाद की पूरी वजह
कुछ दिन पहले आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने यह दावा कर सबका ध्यान खींचा था कि उनके पास सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के 4 हिस्से हैं। इस शिवलिंग को 1,000 साल पहले महमूद गजनवी ने तोड़ दिया था। उन्होंने बताया कि शिवलिंग के ये टुकड़े हाल ही में संपन्न हुए महाकुंभ से पहले ही प्राप्त हुए हैं। उन्होंने यह भी घोषणा की कि चार में से दो हिस्सों को सोमनाथ मंदिर में पुनः स्थापित किया जाएगा। श्री श्री रविशंकर की इसी घोषणा पर उनकी राय जानने के लिए दिव्य भास्कर ने शंकराचार्यों और संतों-महंतों से बातचीत की, जिसमें उन्होंने श्री श्री रविशंकर के अभियान का विरोध किया।
श्री श्री रविशंकर ने अब तक इस बारे में बात क्यों नहीं की?
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दिव्य भास्कर से कहा- नरेंद्र मोदी सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। अमित शाह और लालकृष्ण आडवाणी भी ट्रस्ट से जुड़े हैं। रविशंकर उन सभी से मिलते रहते हैं। तो फिर रविशंकर ने अब तक उनसे इस बारे में बात क्यों नहीं की? करोड़ों सनातन भक्त सोमनाथ के दर्शन के लिए आते हैं और यह उनकी आस्था का विषय है।
उन्होंने आगे कहा- यदि आपके पास शिवलिंग के टुकड़े हैं, तो सोमनाथ मंदिर में जो अभी स्थापित है, उसे पूर्ण शिवलिंग नहीं कहा जा सकता। वहां हर दिन पूजा होती है। तो आपका मतलब यह है कि अधूरे शिवलिंग की पूजा की जाती है। यह कैसे हो सकता है? अगर आप कहते हैं कि यह पहले वाले शिवलिंग का ही एक हिस्सा है। अब जबकि नया शिवलिंग स्थापित हो गया है, तो पहले वाले शिवलिंग के हिस्से का कोई मतलब नहीं है।
ज्योतिर्लिंग को पुनः प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं है
वहीं, द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने भास्कर से कहा- सोमनाथ बारह ज्योतिर्लिंगों में प्रथम ज्योतिर्लिंग हैं और ये स्वयंभू हैं। गजनवियों के आक्रमण के बावजूद यह ज्योतिर्लिंग नष्ट नहीं हुआ। भगवान की जो मूर्ति बनाई जाती है उसे मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाता है तथा वैदिक मंत्रों के साथ उसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है।
1000 साल पुराने टुकड़े किसी के पास होना संभव नहीं
ब्रह्मचारी आश्रम-गोतार्क के शिव उपासक निजानंद स्वामी ने कहा कि ज्योतिर्लिंग की पुनः स्थापना नहीं की जा सकती और न ही की जानी चाहिए। 1000 साल पुराने सोमनाथ शिवलिंग के टुकड़े किसी के पास होना संभव नहीं है। सोमनाथ में एक स्वयंभू शिव मंदिर (शिवलिंग) था। इसे एक ही चट्टान पर यहां-वहां उकेरा गया था। जिसे बाद में ध्वस्त कर दिया गया। आज जो शिव मंदिर विद्यमान है, वह यहीं स्थापित है। पहले से स्थापित शिव मंदिर के ऊपर दूसरा शिव मंदिर स्थापित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।