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रेलवे बोनस पाँच साल पुराने स्लैब पर अटका, कर्मचारियों की टूटी उम्मीद

By Aditi Pandey

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Railway Bonus 2025

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सोशल संवाद/डेस्क/Railway Bonus 2025: रेलवे कर्मचारियों के लिए हर साल दुर्गापूजा से पहले मिलने वाला बोनस इस बार भी पुराने स्लैब पर ही टिके रहने की संभावना है। जानकारी के अनुसार, 2025 में भी अधिकतम बोनस की सीमा 17,980 रुपये तय की गई है। यह वही सीमा है, जिस पर पिछले पाँच वर्षों से बोनस भुगतान किया जा रहा है। कर्मचारियों को उम्मीद थी कि इस बार बोनस राशि में बढ़ोतरी होगी, लेकिन सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।

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नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे और ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन लगातार यह मांग करते रहे हैं कि बोनस की राशि को ग्रेड पे और उत्पादकता से जोड़ा जाए। उनका कहना है कि सातवें वेतन आयोग लागू हुए कई साल बीत चुके हैं, लेकिन बोनस स्लैब अब भी पुराने 7,000 रुपये के वेतनमान पर आधारित है। वर्तमान में न्यूनतम वेतनमान 18,000 रुपये है, ऐसे में कर्मचारियों का तर्क है कि बोनस की गणना इसी आधार पर होनी चाहिए।

फेडरेशनों का आरोप है कि रेलवे बोर्ड और रेल मंत्रालय ने कर्मचारियों की इस मांग पर ध्यान नहीं दिया। यहाँ तक कि बोनस राशि बढ़ाने का प्रस्ताव भी कैबिनेट तक नहीं भेजा गया। यही कारण है कि 2025 में भी रेलकर्मियों को वही राशि मिलेगी, जो वे पिछले कई वर्षों से पा रहे हैं। कर्मचारियों के बीच यह असंतोष तेजी से बढ़ रहा है।

गौरतलब है कि पिछले साल 2024 में केंद्र सरकार ने लगभग 11.72 लाख रेल कर्मचारियों को 78 दिनों का उत्पादकता लिंक्ड बोनस (PLB) देने की घोषणा की थी। इसके लिए सरकार ने 2,028.57 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया था। हालांकि भुगतान की अधिकतम सीमा उस समय भी 17,951 रुपये ही रही। इस बार भी स्थिति लगभग वैसी ही दिखाई दे रही है, केवल आंकड़ों में मामूली अंतर है।

कर्मचारी संगठनों ने संकेत दिए हैं कि यदि बोनस स्लैब को सातवें वेतन आयोग के अनुरूप संशोधित नहीं किया गया तो वे आंदोलन का रास्ता अपना सकते हैं। हाल ही में दोनों फेडरेशन ने रेलवे बोर्ड को एक और पत्र सौंपकर इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है।

रेलवे कर्मचारियों के बोनस का मामला हर साल चर्चा का विषय बनता है। जहाँ कर्मचारी और उनके संगठन इसे बढ़ाने की मांग करते हैं, वहीं सरकार पुराने पैमानों पर ही भुगतान करती है। ऐसे में इस बार भी कर्मचारियों की उम्मीदें टूटती नज़र आ रही हैं। अब देखना होगा कि आने वाले समय में सरकार इस पर कोई ठोस कदम उठाती है या फिर रेल कर्मचारियों का आंदोलन तेज़ होता है।

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