सोशल संवाद/डेस्क/Joint Warfare Doctrine Special Forces: सैन्य बलों की एलीट कमांडो फोर्स का संयुक्त युद्ध सिद्धांत बनाया गया है। यह साझा दस्तावेज सेना की स्पेशल फोर्स, वायु सेना की गरुड़ कमांडो फोर्स और नौसेना के मार्कोस कमांडो के लिए बनाया गया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई इस कवायद में तीनों सेनाओं की एलीट फोर्स की तैयारी का हर पहलू स्पष्ट किया गया है।

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मसलन, अगर किसी देश या उसकी शह में पलने वाले आतंकी, भारत विरोधी कार्रवाई करते हैं तो उनके खिलाफ क्या होगा? यही नहीं, युद्ध होने पर ये कमांडो क्या करेंगे और शांतिकाल में भूमिका क्या होगी, यह भी स्पष्ट किया गया है।
इसका मकसद, दुश्मन के सामरिक महत्व के टारगेट्स को भीतर घुसकर वार करने की क्षमता विकसित करना है। साथ ही, दुश्मन के उन कीमती ठिकानों पर हमला बोलने की रणनीति बनी है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा जाए और उसका युद्ध छेड़ने का हौसला भी टूट जाए।
अमेरिका की डेल्टा फोर्स और नेवी सील्स, स्पेत्सनाज और इजराइल की सयरेट मतकाल दुनिया की सबसे खतरनाक स्पेशल फोर्सेज हैं। इनके ऑपरेशन दुश्मन के घर में घुसकर सटीक वार के लिए मशहूर हैं।
Joint Warfare Doctrine Special Forces: थल, जल और नभ में ताकत
- थल सेना: 9 बटालियन पैरा स्पेशल फोर्स। सीमा पार सर्जिकल स्ट्राइक, बंधक मुक्ति में दक्ष।
- नौसेना: मार्कोस मरीन कमांडो। समुद्री युद्ध, अंडरवॉटर सबोटेज और तटीय सुरक्षा में माहिर।
- वायुसेना: गरुड़ का गठन 2004 में। एयरबेस सुरक्षा, एयरबॉर्न स्ट्राइक, दुश्मन के एयरफील्ड पर हमला और सर्च-एंड-रेस्क्यू में विशेषज्ञ। एयर वारफेयर के मास्टर।








