सोशल संवाद/जमशेदपुर : घाटशिला विधानसभा उपचुनाव को लेकर पुलिस और साइबर सेल ने सख्ती बढ़ा दी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भ्रामक संदेश, फर्जी प्रचार सामग्री और एआई से तैयार वीडियो के जरिए मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिशें अब पुलिस की निगरानी में आ गई हैं।

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प्रशासन ने ऐसे 33 व्हाट्सएप और फेसबुक ग्रुप को चिह्नित किया है, जिनपर संदिग्ध गतिविधियां पाई गई हैं। इन ग्रुप के पोस्ट, वीडियो और लिंक की साइबर एक्सपर्ट लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, कुछ राजनीतिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल की मदद से नेताओं के भाषण, जनसंपर्क वीडियो और अपील जैसे क्लिप बनाकर साझा कर रहे हैं। इनमें कुछ वीडियो भ्रामक पाए गए हैं, जिनसे मतदाताओं के बीच भ्रम फैलने की आशंका है। पुलिस ने ऐसे वीडियो साझा करने वालों की पहचान शुरू कर दी है।
साइबर सेल ने बताया कि अबतक 44 पुराने मामलों की समीक्षा की गई है, जो पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों से जुड़े हैं। उन मामलों में शामिल संदिग्धों को पूछताछ के लिए तलब किया गया है। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने पहले चुनाव के दौरान फेक न्यूज और एडिटेड वीडियो शेयर किए थे। जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने कहा कि चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की अफवाह या भ्रामक सूचना फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासन ने राजनीतिक दलों के लिए एआई-जनित सामग्री का रिकॉर्ड रखने को अनिवार्य किया है।
हर पार्टी को अपने प्रचार में इस्तेमाल सभी एआई वीडियो, ऑडियो या पोस्ट का पूरा ब्योरा, जिसमें निर्माता की पहचान, निर्माण तिथि और टाइम स्टैम्प शामिल हो सुरक्षित रखना होगा। यह रिकॉर्ड जरूरत पड़ने पर जांच एजेंसियों को उपलब्ध कराना होगा। यह कदम चुनाव प्रचार में पारदर्शिता बनाए रखने और मतदाताओं को भ्रमित करने वाले कंटेंट पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से उठाया गया है। सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर किसी भी उम्मीदवार या पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।








