सोशल संवाद/डेस्क : आज के दौर में मोबाइल फोन हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गलत चार्जर का इस्तेमाल आपकी जान तक को खतरे में डाल सकता है? उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने हाल ही में एक अहम चेतावनी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि लोग बिना CRS मार्क (Compulsory Registration Scheme) वाले मोबाइल चार्जर बिल्कुल भी न खरीदें। ऐसा करना न केवल कानून के खिलाफ है बल्कि यह आपके मोबाइल और सुरक्षा दोनों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।

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गलत चार्जर से बढ़ रहा हादसों का खतरा
मंत्रालय के मुताबिक, बाजार में इस समय बड़ी संख्या में नकली और गैर-प्रमाणित चार्जर बिक रहे हैं, जो सुरक्षा मानकों को बिल्कुल पूरा नहीं करते। इन चार्जरों में खराब क्वालिटी की वायरिंग और सर्किट लगाए जाते हैं, जिससे उनमें शॉर्ट सर्किट, ओवरहीटिंग और विस्फोट जैसे खतरे बढ़ जाते हैं। कई मामलों में ऐसे चार्जरों के कारण मोबाइल में आग लगने या बिजली के झटके से लोगों के घायल होने तक की घटनाएं सामने आई हैं।
सरकारी रिपोर्टों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में मोबाइल चार्जिंग से जुड़ी आग लगने और इलेक्ट्रिक शॉक की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि सस्ते या नकली चार्जर में सुरक्षा फीचर नहीं होते, जो वोल्टेज को नियंत्रित कर सकें। नतीजतन, चार्जिंग के दौरान फोन ओवरहीट होकर फट भी सकता है।
क्या है CRS मार्क और क्यों है जरूरी
भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए Compulsory Registration Scheme (CRS) की व्यवस्था की है। इस योजना के तहत केवल वही चार्जर बाजार में बेचे जा सकते हैं जो Bureau of Indian Standards (BIS) द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करते हैं।
चार्जर के पैक पर या उस पर छपे निशान में CRS मार्क या BIS नंबर जरूर होना चाहिए। यह निशान उपभोक्ताओं को यह आश्वस्त करता है कि उत्पाद सुरक्षा मानकों पर खरा उतरता है।
मंत्रालय ने साफ कहा है कि बिना CRS मार्क वाले चार्जर खरीदने और इस्तेमाल करने से उपभोक्ता खुद अपनी सुरक्षा से खिलवाड़ करते हैं। इन उत्पादों को इस्तेमाल करने पर किसी हादसे की स्थिति में कंपनी या विक्रेता पर जिम्मेदारी तय करना भी मुश्किल हो जाता है।
सस्ते चार्जर क्यों होते हैं खतरनाक
सस्ते चार्जर अक्सर स्थानीय बाजारों या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर आसानी से मिल जाते हैं। इनकी कीमतें ओरिजिनल चार्जरों की तुलना में आधी या उससे भी कम होती हैं। लेकिन इन्हीं चार्जरों में सबसे ज्यादा खतरा छिपा होता है। इनमें घटिया क्वालिटी के पुर्जे लगाए जाते हैं, जिनमें कोई सर्किट प्रोटेक्शन नहीं होता। ऐसे चार्जर में ओवरवोल्टेज और करंट लीकेज की समस्या आम होती है, जो आपके फोन को खराब कर सकती है और आग या झटके का कारण बन सकती है।
इलेक्ट्रॉनिक्स विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसे चार्जर बैटरी के अंदर केमिकल असंतुलन पैदा कर सकते हैं, जिससे फोन का तापमान तेजी से बढ़ता है। कई बार यह विस्फोट का कारण बनता है।
सरकार ने की सख्त कार्रवाई की तैयारी
उपभोक्ता मंत्रालय ने कहा है कि जल्द ही गैर-प्रमाणित चार्जर बेचने वाले निर्माताओं और विक्रेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिया है कि बाजारों में नकली चार्जरों की पहचान कर उन्हें तुरंत जब्त किया जाए। इसके साथ ही उपभोक्ताओं को भी जागरूक किया जा रहा है कि वे चार्जर खरीदते समय केवल CRS मार्क वाले उत्पाद ही लें।
उपभोक्ताओं के लिए जरूरी सावधानियां
- मोबाइल चार्जर खरीदते समय हमेशा BIS या CRS मार्क अवश्य देखें।
- बहुत कम दाम वाले चार्जर से बचें, क्योंकि यह सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरते।
- यदि चार्जिंग के दौरान फोन असामान्य रूप से गरम हो रहा है, तो तुरंत चार्जर हटाएं।
- हमेशा विश्वसनीय ब्रांड के चार्जर का ही उपयोग करें।
- चार्जर को सीधे बिजली के बोर्ड में लंबे समय तक प्लग में न छोड़ें।
विशेषज्ञों की राय
इलेक्ट्रॉनिक सेफ्टी विशेषज्ञों का कहना है कि उपभोक्ताओं को जागरूक रहना बेहद जरूरी है। चार्जर का चयन करते समय थोड़ी सावधानी बरतना बड़ी दुर्घटनाओं से बचा सकता है। वे कहते हैं कि “हम अक्सर सोचते हैं कि चार्जर तो बस फोन चार्ज करने का एक साधन है, लेकिन यही छोटी सी लापरवाही कभी-कभी बड़ी त्रासदी का रूप ले सकती है।”
सरकार की इस चेतावनी का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। गलत चार्जर का इस्तेमाल न केवल आपके मोबाइल बल्कि आपकी जान के लिए भी खतरा बन सकता है। इसलिए अगली बार जब आप मोबाइल चार्जर खरीदें, तो सिर्फ कीमत नहीं बल्कि उसकी सुरक्षा प्रमाणिकता को प्राथमिकता दें।
सावधानी ही सुरक्षा है—और एक छोटा-सा सही निर्णय आपको बड़ी दुर्घटना से बचा सकता है।








