सोशल संवाद/डेस्क : हिंदी सिनेमा की जानी-मानी गायिका और अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित का जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था। 70 और 80 के दशक में अपनी सुरीली आवाज़ और मासूम अदाओं से दर्शकों का दिल जीतने वाली इस कलाकार ने जितनी चमक पर्दे पर बिखेरी, असल ज़िंदगी में उतना ही दर्द सहा। 6 नवंबर 2025 को, 71 वर्ष की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया — और यह तारीख वही थी जिस दिन उनके जीवन का सबसे बड़ा प्यार, संजीव कुमार, इस दुनिया से रुखसत हुआ था। शायद यही इत्तेफाक उनके जीवन की सबसे भावनात्मक कहानी भी बन गया।

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एक नाम, जिसने संगीत और अभिनय दोनों में छाप छोड़ी
सुलक्षणा पंडित का जन्म एक संगीत परिवार में हुआ था। उनके भाई प्रसिद्ध संगीतकार जतिन-ललित, और बहनें विजयता पंडित व मीना पंडित भी कला से जुड़ी रहीं। ऐसे माहौल में पली-बढ़ीं सुलक्षणा ने बचपन से ही संगीत की शिक्षा ली और 70 के दशक में प्लेबैक सिंगर के रूप में इंडस्ट्री में कदम रखा।

उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मों में गाने गाए — जैसे कभी-कभी, हेराफेरी, अपनापन, खानदान और वक्त की दीवार। उनकी आवाज़ में मिठास और भावनाओं का ऐसा संगम था जिसने लाखों दिलों को छू लिया। गायन के साथ-साथ उन्होंने अभिनय में भी हाथ आजमाया और राजेश खन्ना, जीतेंद्र, शशि कपूर, विनोद खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे सुपरस्टार्स के साथ स्क्रीन शेयर की।
संजीव कुमार के प्रति अनकहा प्यार
सुलक्षणा के जीवन का सबसे बड़ा अध्याय था उनका एकतरफा प्यार। उन्होंने अपने दिल की हर धड़कन उस इंसान के नाम कर दी थी — और वो थे अभिनेता संजीव कुमार।
दोनों ने साथ में फिल्म ‘उलझन’ (1975) में काम किया था, और वहीं से सुलक्षणना का मन उनके प्रति झुक गया। कहा जाता है कि उन्होंने एक दिन संजीव कुमार से सीधे अपने दिल की बात कह दी और शादी का प्रस्ताव रखा। लेकिन संजीव कुमार ने मना कर दिया। वजह थी उनका कमजोर स्वास्थ्य — वे गंभीर हृदय रोग से पीड़ित थे और उन्हें डर था कि वो ज्यादा दिन नहीं जी पाएंगे।
लेखक हनीफ जावेरी की किताब “An Actor’s Actor: The Authorized Biography of Sanjeev Kumar” में भी इस बात का ज़िक्र है कि सुलक्षणा का प्यार पूरी तरह एकतरफा था। संजीव कुमार ने कभी इस रिश्ते को व्यक्तिगत रूप नहीं दिया।
एक ही तारीख पर दोनों की विदाई
6 नवंबर 1985 को संजीव कुमार का निधन हुआ। उनके जाने के बाद सुलक्षणा का संसार जैसे थम गया। उसी साल उन्होंने अपनी मां को भी खो दिया, जिससे उनका दुख और गहरा हो गया। उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली और पूरी तरह एकांत में चली गईं।
और अब, ठीक 40 साल बाद, 6 नवंबर 2025 को उन्होंने भी अपनी अंतिम सांस ली। जैसे किस्मत ने उनके अधूरे प्यार की कहानी को उसी तारीख पर पूर्ण विराम दे दिया। यह संयोग बॉलीवुड इतिहास का एक मार्मिक अध्याय बन गया।
टूटे दिल की तनहाई
संजीव कुमार की मौत के बाद सुलक्षणा का जीवन पूरी तरह बदल गया। मानसिक तनाव, आर्थिक तंगी और शारीरिक कमजोरी ने उन्हें तोड़कर रख दिया। कभी स्टूडियो में अपनी आवाज़ से जादू बिखेरने वाली सुलक्षणा अब लोगों की नज़रों से दूर हो गईं।
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था —
“जब संजीव जी गए, उसी साल मेरी मां भी चली गईं। मुझे न फिल्में मिलीं, न गाने। मैं अकेली पड़ गई और धीरे-धीरे अंदर से टूट गई।”
उनका दर्द हर शब्द में झलकता था। उन्होंने बताया था कि वे कई सालों तक डिप्रेशन में रहीं, लेकिन अपनी बहन विजयता पंडित और उनके पति, संगीतकार आदेश श्रीवास्तव ने उन्हें बहुत संभाला। आदेश के निधन के बाद भी सुलक्षणा उनके परिवार के साथ ही रहीं और धीरे-धीरे सामान्य जीवन जीने लगीं।
कला के प्रति समर्पण
हालांकि हालात ने उन्हें इंडस्ट्री से दूर कर दिया, लेकिन संगीत उनके भीतर हमेशा जिंदा रहा। 2007 में उन्होंने वापसी की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। इसके बावजूद उनके गाए गीत आज भी रेडियो और यूट्यूब पर सुने जाते हैं।
उनका करियर भले अधूरा रह गया हो, पर उन्होंने जो गाने छोड़े, वे अमर बन गए। “तू ही सागर है तू ही किनारा”, “कभी कभी मेरे दिल में”, और “प्यार कभी कम नहीं करना सनम” जैसे गीत आज भी सुनने वालों के दिल में भावनाओं का समंदर जगा देते हैं।
एक अंत जो कहानी बन गया
सुलक्षणा पंडित का जीवन इस बात की मिसाल है कि शोहरत के पीछे कितनी गहरी अकेलापन छिपा होता है। उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी एक ऐसे इंसान के नाम कर दी, जिसने उन्हें कभी अपना नहीं बनाया, और फिर उसी की पुण्यतिथि पर उन्होंने सांसें छोड़ दीं।
उनका जाना सिर्फ एक कलाकार की विदाई नहीं, बल्कि एक युग का अंत है — उस दौर का जब गाने दिल से गाए जाते थे और प्रेम सिर्फ पाने के लिए नहीं, निभाने के लिए किया जाता था।








