सोशल संवाद/राँची : झारखंड में अब मेडिकल पर्चे (प्रिस्क्रिप्शन) के बिना कफ सिरप और अन्य साइकोटिक दवाएं खरीदना मुश्किल होने वाला है। दरअसल झारखंड हाई कोर्ट ने बुधवार को सरकार और स्टेट ड्रग कंट्रोलर को यह पक्का करने का निर्देश दिया कि ऐसी दवाएं बिना मेडिकल पर्चे वाले लोगों को न बेची जाएं। कोर्ट ने यह आदेश उस शिकायत पर दिया, जिसमें बताया गया था कि इन दवाओं का बड़े पैमाने पर गलत इस्तेमाल स्कूली छात्रों द्वारा किया जा रहा है, जिसके चलते उनके स्वास्थ्य पर इसका गंभीर रूप से गलत असर हो रहा है।

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दरअसल राजधानी में बड़े पैमाने पर हो रही कफ सिरप की बिक्री को लेकर सुनील कुमार महतो नाम के एक व्यक्ति की जनहित याचिका लगाई थी। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की एक डिवीजन बेंच ने उसी जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए यह आदेश दिया।
अपनी याचिका में महतो ने कोर्ट को बताया कि राज्य की राजधानी में दवा दुकानों द्वारा कफ सिरप और दूसरी नशीली दवाएं गैर-कानूनी तरीके से बेची जाती हैं। साथ ही कहा कि कफ सिरप और इसके जैसी अन्य साइकोटिक दवाएं बिना मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन वाले लोगों को भी गैर-कानूनी तरीके से दे दी जाती हैं।
याचिकाकर्ता ने कहा कि कफ सिरप और दवाएं स्कूली छात्र लेते हैं और इसके कारण इन नशीली दवाओं का गंभीर रूप से गलत इस्तेमाल होता है, जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
बेंच ने मामले को गंभीरता से लेते हुए स्टेट ड्रग कंट्रोलर को यह पक्का करने का आदेश दिया कि कोई भी मेडिकल स्टोर बिना सही मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन के, किसी को भी कफ सिरप या इसके जैसी अन्य नशीली दवाएं न बेचे। साथ ही उन पर नजर रखने के लिए कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर को राज्य में चल रहे मेडिकल स्टोर और दवा कंपनियों के दवाइयों के स्टॉक की लगातार जांच करने और छापेमारी करने का भी आदेश दिया।
कोर्ट ने राज्य सरकार को जारी किए गए निर्देशों की कम्प्लायंस रिपोर्ट फाइल करने का निर्देश दिया। मामले में अगली सुनवाई 12 दिसंबर को फिर से होगी।








