सोशल संवाद/डेस्क: जमशेदपुर पश्चिमी के MLA Saryu Rai ने कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार की दूसरी पाली की पहली वर्षगांठ पर सरकार ने उपलब्धि कार्यक्रमों का पिटारा खोल दिया है। इसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण है 10,000 युवाओं को नियुक्ति देना और फिर सरकार आपके द्वार कार्यक्रम।

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सरकारें ऐसे अवसरों का यहीं करती हैं और अपनी पीठ थपथपाती हैं। उपलब्धियों की ऐसी घोषणाओं पर व्यंग्यात्मक अथवा आलोचनात्मक नज़रिया प्रस्तुत करने के बदले सरकार के सामने ऐसे तथ्य प्रस्तुत करना प्रासंगिक होगा जो पूर्व घोषित कार्यक्रमों की कब्रगाह बन गए हैं और जिनकी ओर ध्यान नहीं दिया गया तो वर्तमान घोषित योजनाओं एवं कार्यक्रमों का भी वही हश्र होगा।
सरयू राय ने यहां जारी एक बयान में कहा कि ‘सरकार आपके द्वार कार्यक्रम’ में सेवा का अधिकार के तहत नागरिकों की समस्याओं का समाधान की बात की जा रही है परंतु वस्तुस्थिति यह है कि राज्य मुख्यालय से लेकर जिला और प्रखंड मुख्यालय तक सेवा का अधिकार अधिनियम दम तोड़ चुका है। केवल सरकार का एक साल पूरा होने पर एक सप्ताह तक इसे याद करना जले पर नमक छिड़कने जैसा है।
सरकार के मुख्यालय से लेकर जिला एवं प्रखंडों के सभी विभागों के कार्यालयों में सेवा का अधिकार अंधिनियम की कोई भी शर्त पूरा नहीं की जा रही है। एक भी जगह ऐसे पट्ट नहीं लगे हैं, जिससे नागरिक जान सकें कि इस अधिनियम के तहत उनके अधिकार के क्या हैं। हर कार्यालय में हज़ारों आवेदन लंबित हैं। लोग कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं और कर्मियों को सेवा शुल्क देने पर विवश है।
सरयू राय के अनुसार, सरकार ने जिन कार्यक्रमों के लिए जिलों में निधि भेजी है, इनके तहत संरचनाएं निर्मित हो गई हैं पर उपयोग में नहीं आने के कारण जर्जर हो रही हैं। उदाहरण के लिए जमशेदपुर के कदमा में एक कन्वेंशन सेंटर और साकची में एक डीएम लाइब्रेरी का भवन करोड़ों के खर्च पर पांच साल पहले बन गए। लेकिन, इनका उपयोग नहीं हुआ और ये जर्जर हो गए। इनकी मरम्मत नहीं हो रही है। कारण है करोड़ों रुपये का खर्चा।
श्री राय ने लिखा कि नगरपालिकाओं को 15वें वित्त आयोग ने करोड़ों रूपये दिये। जमशेदपुर के आसपास जेएनएसी, मानगो नगर निगम, आदित्यपुर नगर निगम, जुगसलाई नगर परिषद हैं। एक साल पूरा होने के अवसर पर सरकार पूछे तों कि इन्होंने इस निधि का क्या किया? यही स्थिति प्रायः हर जिले में है।
डीएमएफटी और स्वास्थ्य विभाग के कारनामें रोजाना अख़बारों की सुर्खियों में हैं। एक बार मुख्यमंत्री इन पर भी तो नज़र डालें। नहीं तो मुंख्यालय से उपलब्धियाँ के कार्यक्रमों की ऐसी ही घोषणाएँ होती रहेंगी और सरज़मीं पर इनकी क़ब्रगाह बनती रहेगी। सरकारी धन ज़ाया होता रहेगा।








