सोशल संवाद / डेस्क : हमारे देश की कर्मभूमि में ना जाने कितने महान योगी संतों ने जन्म लिया हैं। जिनमें से कई तरह की सिद्धि योग शक्तियों से संपन्न योगी में श्री प्रभाकर सिद्ध योगी का नाम भी शामिल है। जो 723 साल तक ज़िंदा रहे थे वो भी 17 बार अपने शरीर को बदलकर । जी हा इसे नामुमकिन नहीं कहा जा सकता क्यूंकि ये एक योग है जिसे प्रकाय कहा जाता है। इनका जन्म 1263 में अकाबोर मना में हुआ था। जब श्री प्रभाकर मात्र 9 साल के थे तब स्वयं भगवान शिव जी ने उन्हें दर्शन देकर उन्हें हिमालय की गुफाओं में ले गए थें।
जहा पर रहकर सालों तपस्या करके योगी जी ने हस्त योग अष्टम योग जैसी कई क्रियाए सीखी। एक लबें समय तक योग करते रहने के दौरान उन्हे कई तरह की सिद्धियां प्राप्त की। बाबा अपनी योग शक्तियों से अपने भक्तों के अंदर चल रहे दुखों को जानकर उनका निवारण कर देते थे।
श्री प्रभाकर सिद्ध योगी अपनी चैतन्य शक्ति योग से भविष्य बता सकते थे। लोगं के अंदर चल रहे भेदों को जान सकते थे। लोगों के विचार पढ़ सकते थे। कई लोगों ने तो उन्हें ज्ञान मुद्रा में हवा में उड़ते हुए भी देखा था।
माना जाता था कि वे विभिन्न भौतिक शरीरों में 723 वर्ष के जीवन काल के साथ रहते थे। वह अलग-अलग नामों से रहते थे। गुप्त तकनीक का मास्टर होने के नाते उम्र बढ़ने से बचने के लिए परकाया प्रवेश किया करते थे । सिद्धयोगी ने बहुत सारे चमत्कार दिखाए।
साधु प्रभाकर सिद्धयोगी परमहंस अवधूतर ने 1955 के आसपास अपने ‘ मानसपुत्र ‘ आर जनार्दनन नायर से एक बार मुलाकात की । वे दोस्त बन जाते हैं और बाद में योगिकल नाधकुझियिल जनार्दनन नायर को अपना बेटा मानते हैं । नायर को स्वामी श्री शिव प्रभाकर सिद्ध योगिकल का आशीर्वाद और जागृति शक्ति प्राप्त हुई। महायोगी साधारण लोगों के बीच रहते थे । गंभीर परिस्थितियों में उनकी मदद करते थे ।उन्होंने उन्हें भगवान के बारे में सोचना सिखाया। हर जगह लोग उन्हें प्यार करते थे और सम्मान करते थे। उनके जीवन की शैली बहुत सरल थी।
कुछ लोगों ने उन्हें धातुओं को सोने में बदलते देखा, जबकि अन्य लोगों को उनके विचारों को पढ़ने की उनकी क्षमता के बारे में पता था। जैसा कि लोग बताते हैं, वह भविष्य की भविष्यवाणी भी करते थे।
बताया जाता है कि वे अपने चुने हुए शिष्यों के सामने फिर से प्रकट हुए और उन्हें पवित्र ज्ञान देने के लिए भी जाने जाते हैं, जिससे यह साबित हुआ कि उनके जैसे सिद्ध लोग अंतरिक्ष, समय और मृत्यु के सभी नियमों से परे हैं। कई लोग उन्हें भगवान शिव का अवतार होने का दावा करते हैं, कई लोग कहते हैं कि महान पुलिनायक स्वामीयार (पौराणिक कथाओं के अनुसार, पुलिनायक स्वामीयार भगवान अयप्पा के साथ कैलाश लौट आए थे), जबकि कुछ स्रोतों का उल्लेख है कि वह सूर्य (सूर्य भगवान) के पुत्र के अवतार हैं ) लाल कर्णाह और कुछ लोग उन्हें भगवान दत्तात्रेय का अवतार बताते हैं।
माना जाता है वे ‘कल्पम’ नामक औषधि का सूत्र जानते थे जो मानव शरीर को शक्तिशाली और अविनाशी बना सकता है। महान गुरु को आज भी उन लोगों के लिए उपलब्ध माना जाता है जो उन्हें बुलाते हैं क्योंकि वह मानवता को आत्म-प्राप्ति के उच्चतम लक्ष्य की ओर ले जाने के लिए काम करते हैं। कहते है की अपने 723 वर्षो का जीवन उन्होंने 17 शरीरों के माध्यम से पूरा किया,और 6 अप्रेल 1986 को ठीक अपने जन्म नक्षत्र पुरुरुत्ताथी के अस्त होने पर, भगवान ने महासमाधि प्राप्त की।