सोशल संवाद / जमशेदपुर : जिसे परिवार ही नकार दे, माता पिता ही त्याग दें उसके लिए जीवन कितना कठिन हो जाता है, यह ट्रांसजेंडर समुदाय ही समझ सकता है. मुख्य धारा से जुड़े लोग महज अंदाजा ही लगा सकते हैं. लेकिन ट्रांसजेंडर समुदाय के हित व अधिकारों के लिए कार्य कर रहे, मुख्यधारा और ट्रांसजेंडर समुदाय दोनों से जुड़े लोग अगर ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के समग्र स्वास्थ्य (holistic health) पर कानूनी और सामाजिक जागरूकता फैलाने में गंभीरता से कार्य करें, तो हाशिए पर पड़े इस समुदाय के जीवन में क्रांति आ सकती है. इसी को ध्यान में रखकर नई दिल्ली के नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल डिफेंस(सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अधीन) परिसर में संस्थान व अलाएंस इंडिया के सहयोग से स्टेकहोल्डर्स के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन 30सितंबर और 1अकटूबर को किया गया.
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इस कार्यक्रम में देश भर से ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों, ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए कार्यरत संस्थाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं व अन्य ने भाग लिया . झारखंड से उत्थान सीबीओ के सचिव अमरजीत के नेतृत्व में 13सदस्यीय प्रतिनिधित्व मंडल( अमरजीत, अन्नी अमृता,लता रानी, उषा सिंह, रितिका श्रीवास्तव, डाॅ मनीषा, संगीता,रामचंद्र, रितिक राज, माही, करीना, लाली, कबूतरी) ने भाग लिया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य सभी स्टेकहोल्डर्स को ट्रांसजेंडर एक्ट 2019में वर्णित ट्रांसजेंडर समुदाय के समग्र स्वास्थ्य से संबंधित अधिकारों के प्रति जागरूक करना, केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों की ओर से दी जा रही सुविधाओं की जानकारी देना और एक्ट के प्रावधानों को पूरी तरह लागू करने के लिए आगे के प्रयासों के लिए प्रेरित करना था.संस्था के ‘साहस’ प्रोजेक्ट के तहत उपरोक्त जागरूकता कार्यक्रम कई राज्यों में चलाए जा रहे हैं.इसके तहत कई सेंटर हैं जहां ट्रांसजेंडर समुदाय को स्वास्थ्य और अन्य समस्याओं को लेकर गाइड किया जाता है व उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने की कोशिश की जाती है.
दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण अंग था ट्रांसजेंडर समुदाय के इतिहास पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रकाश डालना जो छत्तीसगढ से आईं ‘साहस’ की प्रोजेक्ट डायरेक्टर रवीना ने किया. रवीना ने बहुत ही सरल तरीके से बताया कि कैसे रामायण, महाभारत, मुगल और अन्य कालों में ट्रांसजेंडर समुदाय मुख्यधारा में शामिल थे. समाज ने उनको स्वीकार किया था और फिर कैसे अंग्रेजों ने हमारी इस सभ्यता पर कुठाराघात करते हुए ट्रांसजेंडर समुदाय को अपराधी बना दिया. स्वतंत्र होने के बाद भी नालसा जजमेंट आने में कई साल लग गए और सही मायनों में 2014में नालसा जजमेंट के आने पर ट्रांसजेंडर समुदाय को असली स्वतन्त्रता मिली, जब थर्ड जेंडर को कानूनी मान्यता मिली.उससे पहले तो कोई पहचान ही नहीं थी.
लखनऊ से आईं डेरा गुरु गुड्डन ने अपने संबोधन में बताया कि पहले डेरा के ट्रांसजेंडरों को बाहर जाने की इजाजत नहीं थी,वे मीडिया में बात नहीं कर सकते थे.यह देखकर गुड्डन को बुरा लगता था.गुड्डन ने बताया कि वे डेरा में आए 30-40बच्चों को शिक्षा दिलवाकर उनका भविष्य संवार रही हैं.गुड्डन ने अपनी कहानी बताई कि कैसे मेहमान के घर आने पर माता पिता उनको कहीं किनारे कर देते थे.इस तरह वे छुप-छुपकर रो-रोकर जीती थीं.
हैदराबाद (तेलंगाना) से आईं मुकुंदा माला ने बताया कि कैसे तेलंगाना में ट्रांसजेंडर समुदाय के स्वास्थ्य के लिए उनकी संस्था कार्य कर रही हैं.चाहे कोई एचआईवी पीड़ित हो या किसी को सर्जरी करानी हो, सबको लेकर उनको मार्गदर्शन दिया जाता है.राज्य सरकार की ओर से मिल रही सुविधाओं का भी लाभ पहुंचाया जाता है.
कार्यक्रम में कानूनविद अमृता सरकार ने ट्रांसजेंडर एक्ट 2019को विस्तार से समझाते हुए बताया कि चोट लगने या किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर किसी भी अस्पताल या क्लिनिक में ट्रांसजेंडर को इलाज कराने का हक है, कोई इंकार नहीं कर सकता.कहीं भी अधिकारों का हनन होने पर डालसा की मदद ली जा सकती है.उन्होंने बताया कि संपत्ति से भी वंचित नहीं किया जा सकता.मगर ज्यादातर ट्रांसजेंडर परिवार के खिलाफ थाना नहीं जाते. कार्यक्रम का संचालन एलाएंस इंडिया की प्रतिनिधि अनुभूति ने किया.दोनों दिन के कार्यक्रम के दौरान ओपन हाउस डिस्कशन हुआ.
दो दिवसीय इस प्रशिक्षण शिविर में झारखंड में ‘उत्थान सीबीओ’ के माध्यम से ट्रांसजेंडर के हित के लिए कार्य कर रही संस्था की सचिव अमरजीत को सम्मानित किया गया.अमरजीत इस कार्यक्रम में 13सदस्यीय टीम के साथ पहुंची थीं जिसमें ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के साथ साथ मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार और जमशेदपुर सदर अस्पताल में मेंटल हेल्थ के कार्य से जुड़े लोग शामिल थे.
प्रतिनिधिमंडल में शामिल महिला इंटक की ज्वाइंट सेक्रेटरी उषा सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम में भाग लेकर बारीकी से पता चला कि थर्ड जेंडर के लिए कैसे कार्य कर सकते हैं. मार्शल आर्ट प्रशिक्षिका रितिका श्रीवास्तव ने कहा कि इस कार्यक्रम से यह पता चला कि देश भर में वकील, डाॅक्टर और विभिन्न पदों पर ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग कार्यरत हैं और देश की सेवा कर रहे हैं. पत्रकार सह सामाजिक कार्यकर्ता अन्नी अमृता ने कहा कि स्टेकहोल्डर्स को वाकई प्रशिक्षण की जरुरत है क्योंकि ट्रांसजेंडर समुदाय का वेलफेयर एक ऐसी चुनौती है जिसके लिए आपको बेहतर तरीके से पूरी जानकारी के साथ कार्य करने की जरुरत है.
पत्रकार लता रानी ने बताया कि ट्रांसजेंडर समुदाय से जुड़े मुद्दों पर मीडिया में ज्यादा से ज्यादा लिखने पर जागरूकता बढ़ेगी.रिनपास से आईं मेंटर हेल्थ एक्सपर्ट डाॅ मनीषा और उनकी सहायक संगीता ने ट्रांसजेंडर समुदाय के मेंटल हेल्थ को लेकर अहम जानकारियां दीं. उन्होंने कहा कि अमरजीत के माध्यम से ट्रांसजेंडर समुदाय तक पहुंचना ही सबसे बड़ी उनकी जर्नी है. उन्होंने समुदाय के लोगों से अपील की कि वे मेंटल हेल्थ के लिए सहायता लेने से न हिचकें. बचपन से ही उनके जीवन में ट्राॅमा की शुरुआत हो जाती है जो ताउम्र रहती है जिसे बैलेंस करना जरुरी है. रामचंद्र ने बताया कि जमशेदपुर सदर अस्पताल में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए सुविधाएं हैं लेकिन कई बार कुछ असुविधाजनक हालात पैदा हो जाते हैं. ऐसे कार्यक्रमों से महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल होती है जिनकी मदद से चुनौतियों के बीच बेहतर कार्य किया जा सकता है. रितिक राज ने कानूनी पहलुओं से जुड़ी अहम जानकारी साझा की.
टीम लीडर अमरजीत ने कहा कि ट्रांसजेंडर समुदाय को लेकर समाज को संवेदनशील तो होना ही चाहिए साथ ही ट्रांसजेंडर समुदाय को भी अपने स्वास्थ्य और भविष्य की चिंता करते हुए सोच को बदलना चाहिए व सरकार से मिले अधिकारों के प्रयोग कर अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए.अमरजीत ने इस बात पर दुख जताया कि अब तक झारखंड में वेलफेयर बोर्ड फंक्शनल नहीं हो पाया जो ट्रांसजेंडर समुदाय के हित के प्रति राजनीतिक उदासीनता को दर्शाता है.कार्यक्रम में आईं ट्रांसजेंडर समुदाय की माही,करीना, लाली और कबूतरी ने इस कार्यक्रम की सराहना की.
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