सोशल संवाद, डेस्क: झारखंड प्रदेश में डायन प्रथा को रोकने की सरकार की सारी कोशिशें नाकाम नजर आ रही है आए दिन ऐसे मामले सामने या रही है, डायन के नाम पर हत्या और विधवा महिलाओं को प्रतारित करने का मामला बढ़ता ही जा रहा है। आज ऐसी ही एक महिला कौशल्या महतो से आपको मिलवाते हैं। आपको बता दें कि कौशल्या महतो पद्मश्री छुटनी महतो के प्रखंड के गम्हरिया गायत्री नगर की रहनेवाली है।
आपको याद दिला दें कि छुटनी महतो को डायन कुप्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद करने औऱ इस कुप्रथा की शिकार महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए ही पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है। आज उसी छुटनी महतो के प्रखंड की रहनेवाती विधवा कौशल्या महतो को उसके पड़ोसियों ने डायन बताकर न केवल उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया बल्कि समाज के ठेकेदारों ने मजलूम विधवा का रास्ता रोककर उसके घर आने- जानेवालों का रास्ता ही रोक दिया। वैसे इसकी जानकारी मिलते ही छुटनी महतो कौशल्या महतो के घर पहुंची और उसे लेकर उपायुक्त कार्यालय पहुंची।
उपायुक्त ने बीडीओ और थाना प्रभारी आदित्यपुर से मामले की जांच कर पीड़िता को इंसाफ दिलाने का निर्देश दिया. मगर एक हफ्ते बाद भी पीड़िता को इंसाफ नहीं मिला। पीड़िता आज भी इंसाफ की बाट जोह रही है. जबकि डायन कुप्रथा को लेकर सख्त कानून बना है। दरअसल कौशल्या महतो का पड़ोसी दिलीप घोष है। उसकी नजर कौशल्या की संपत्ति पर है. दिलीप घोष को राजनीतिक सरपरस्ती है।
यही कारण है कि पुलिस प्रशासन उसे हाथ लगाने से डर रही है। सवाल न केवल कौशल्या महतो का है। सवाल नारी सुरक्षा का भी है। सवाल सरकार के प्रतिबद्धता का भी है। जिन महिलाओं के जरिए सरकार सत्तासीन हुई उन महिलाओं के साथ सभ्य समाज क्या कर रहा है यह सवाल चीख- चीख कर कौशल्या महतो कर रही है। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि कौशल्या को इंसाफ कबतक मिलता है।