सोशल संवाद / डेस्क: झारखंड में शिक्षक पात्रता परीक्षा (J-TET) को लेकर एक बार फिर भाषा विवाद गहराता नजर आ रहा है। दरअसल स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं की जिलावार सूची तैयार करने की प्रक्रिया के दौरान जारी एक ड्राफ्ट सूची में कई त्रुटियों और भाषाई अनदेखियों के आरोप लगे हैं। मामला तूल पकड़ने के बाद विभाग को सफाई जारी करनी पड़ी है।
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विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह सूची “जेटेट नियमावली 2025” के गठन की प्रक्रिया का एक प्रारंभिक ड्राफ्ट है और इसे अंतिम रूप नहीं दिया गया है. विभाग ने राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों (DEO) और जिला शिक्षा अधीक्षकों (DSE) से इस सूची पर 7 दिनों के भीतर सुझाव देने को कहा है, ताकि आवश्यक संशोधन किए जा सकें. विभाग ने कहा है कि सभी सुझावों के बाद नियमावली को अंतिम रूप दिया जाएगा।
सबसे अधिक विवाद पलामू, गढ़वा और खूंटी जिलों में देखने को मिला। खूंटी जिले में जनजातीय भाषा के तौर पर मुंडारी की जगह कुड़ुख और खड़िया को रखा गया है जिससे स्थानीय लोग नाराज़ हैं। वहीं पलामू और गढ़वा में हिंदी के बाद सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा को सूची से बाहर कर दिया गया है और उसकी जगह नागपुरी को क्षेत्रीय भाषा बताया गया है।
इस सूची के जारी होते ही इन जिलों में स्थानीय भाषा-भाषियों और नेताओं में आक्रोश फैल गया। मामला गरमाया तो वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता राधाकृष्ण किशोर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस त्रुटि पर संज्ञान लेने की मांग की।
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के संयुक्त सचिव नंद किशोर लाल की ओर से 5 जून 2025 को सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को एक पत्र जारी किया गया. पत्र के साथ जेटेट नियमावली 2025 का प्रारूप और क्षेत्रीय-जनजातीय भाषाओं की लिस्ट भी भेजी गई थी.विभाग ने यह स्पष्ट किया कि यह सिर्फ एक प्रारंभिक ड्राफ्ट है और अंतिम निर्णय सभी संबंधित पक्षों से सुझाव मिलने के बाद ही लिया जाएगा।