सोशल संवाद/डेस्क : अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हुई। पहले दिन शाम 7.15 बजे तक 12,348 श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा में हिम शिवलिंग के दर्शन किए। इनमें 9,181 पुरुष और 2,223 महिलाएं शामिल रहीं। 99 बच्चे, 122 साधु, 7 साध्वी, 708 सुरक्षाबलों के जवान और 8 ट्रांसजेंडर श्रद्धालु भी दर्शन के लिए पहुंचे।
यह भी पढ़े : श्रावणी मेला के प्रसाद का मूल्य हुआ तय, जानिए कैसे किलो बिकेगा पेड़ा
कड़ी सुरक्षा के बीच 5200 से ज्यादा तीर्थयात्रियों का दूसरा जत्था 3 जुलाई की शाम जम्मू के भगवतीनगर बेस कैंप से रवाना हुआ, जो शुक्रवार दोपहर 2 बजे पहलगाम बेस कैंप पहुंच गया। 6400 यात्रियों को लेकर तीसरा जत्था आज सुबह सुबह 4 बजे अमरनाथ गुफा के लिए रवाना हुआ।

वहीं, आज यूपी से आए यात्री की मौत हो गई। लखीमपुर खीरी के रहने वाले दिलीप श्रीवास्तव शेषनाग बेस कैंप में अचानक बेहोश हो गए थे। उन्हें तुरंत ही शषनाग बेस कैंप अस्पताल ले जाया गया था। जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। 38 दिन तक चलने वाली यात्रा पहलगाम और बालटाल दोनों रूटों से होगी। यात्रा का समापन 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन होगा। पिछले साल यात्रा 52 दिन चली थी और 5 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा के दर्शन किए थे।
इस साल अब तक 3.5 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। तुरंत रजिस्ट्रेशन के लिए जम्मू में सरस्वती धाम, वैष्णवी धाम, पंचायत भवन और महाजन सभा में सेंटर खोले गए हैं। ये सेंटर रोज दो हजार श्रद्धालुओं का रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य के लिए पहलगाम रूट बेहतर
यदि आप अमरनाथ सिर्फ धार्मिक यात्रा के रूप में आ रहे हैं तो बालटाल रूट बेहतर है। यदि कश्मीर के प्राकृतिक सौंदर्य को करीब से जीना चाहते हैं तो पहलगाम रूट बेहतर है। हालांकि इसकी हालत बालटाल रूट के विपरीत है। गुफा से चंदनबाड़ी तक सफर थकान, धूलभरा है। रास्ता पत्थरों वाला और कहीं-कहीं बहुत संकरा है। 48 किमी लंबे जर्जर रूट पर कई जगह रेलिंग गायब है तो कहीं घोड़ों के लिए अलग रास्ता है।
भास्कर टीम ने दूसरे दिन का सफर पहलगाम रूट से किया। जैसे ही आप गुफा से इस रूट पर बढ़ते हैं, जवान डॉग स्क्वॉड के साथ मिल जाएंगे। पंचतरणी से आगे बुग्यालों (पहाड़ों पर हरी घास के मैदान) में बैठे जवान दिखेंगे। ये नजारा 14,800 फीट ऊपर गणेश टॉप, पिस्सू टॉप पर भी दिखा। पिछली बार इतनी सुरक्षा नहीं थी।