सोशल संवाद/डेस्क : अमेरिका के टेक्सास राज्य से एक दर्दनाक खबर सामने आई है। आंध्र प्रदेश की रहने वाली 23 वर्षीय भारतीय छात्रा राज्यलक्ष्मी (राजी) यर्लगड्डा का शव उनके अपार्टमेंट में मिला है। बताया जा रहा है कि पिछले 2 दिनों से वह खांसी और सीने में दर्द से जूझ रही थीं। उनकी अचानक मौत की खबर ने परिवार और दोस्तों को गहरे सदमे में डाल दिया है।
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राज्यलक्ष्मी हाल ही में टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी, कॉर्पस क्रिस्टी से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुकी थीं और नौकरी की तलाश में थीं। कुछ ही समय पहले उन्होंने अमेरिका में अपने करियर की नई शुरुआत करने की योजना बनाई थी। लेकिन 7 नवंबर की सुबह उनके दोस्तों और परिवार के लिए एक बुरा सपना बनकर आई, जब वह अपने कमरे में मृत पाई गईं।
उनकी चचेरी बहन चैतन्या वाईवीके, जो डेंटन, टेक्सास में रहती हैं, ने बताया कि राज्यलक्ष्मी बीते दो से तीन दिनों से लगातार खांसी और सीने में तेज दर्द की शिकायत कर रही थीं। उन्होंने सोचा कि यह सामान्य सर्दी-जुकाम या थकान की वजह से होगा, लेकिन हालात इतने गंभीर हो जाएंगे, यह किसी ने नहीं सोचा था।
चैतन्या ने बताया कि 7 नवंबर की सुबह जब राज्यलक्ष्मी के कमरे से अलार्म की आवाज लगातार आती रही और उन्होंने दरवाजा नहीं खोला, तो उनके दोस्तों ने जाकर देखा। दरवाजा तोड़ने पर पता चला कि राज्यलक्ष्मी ने नींद में ही दम तोड़ दिया था। तुरंत पुलिस और मेडिकल टीम को बुलाया गया।
वर्तमान में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा शव का पोस्टमॉर्टम किया जा रहा है ताकि मौत के सही कारणों का पता चल सके। शुरुआती आशंका है कि यह स्वास्थ्य संबंधी जटिलता या किसी आंतरिक संक्रमण की वजह से हुई मृत्यु हो सकती है, लेकिन रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।
इस घटना से राज्यलक्ष्मी का परिवार पूरी तरह टूट चुका है। उनके पिता एक किसान हैं और मां गृहिणी। वे आंध्र प्रदेश के बपटला जिले के कार्मेचेडु गांव में रहते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से ही कमजोर है। राज्यलक्ष्मी अपने परिवार की सबसे छोटी बेटी थीं और पढ़ाई पूरी करने के बाद माता-पिता की मदद करने का सपना देख रही थीं।
चैतन्या ने अपनी बहन की याद में GoFundMe वेबसाइट पर एक फंडरेज़र अभियान शुरू किया है ताकि उनके शव को भारत लाने, अंतिम संस्कार कराने और शिक्षा ऋण चुकाने में सहायता मिल सके। उन्होंने अपील में लिखा —
“राजी हमेशा अपने माता-पिता के लिए कुछ बड़ा करना चाहती थी। वह जानवरों और खेतों के बीच पली-बढ़ी थी, लेकिन उसके सपने सीमाओं से परे थे। वह चाहती थी कि अपने माता-पिता को बेहतर जीवन दे सके। लेकिन किस्मत ने उसे बीच रास्ते में ही रोक दिया।”
इस फंडरेज़र के माध्यम से लोगों से आर्थिक मदद की अपील की गई है ताकि परिवार को इस कठिन समय में सहारा मिल सके। अभियान के अनुसार, जुटाई गई राशि से अंत्येष्टि, शव को भारत भेजने, शैक्षणिक ऋण चुकाने और परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
भारत में भी इस खबर से लोग स्तब्ध हैं। सोशल मीडिया पर हजारों लोग राज्यलक्ष्मी को श्रद्धांजलि दे रहे हैं और परिवार के प्रति संवेदना जता रहे हैं। कई भारतीय छात्र संगठनों ने भी फंडरेज़र अभियान को साझा करते हुए सहायता की अपील की है।राज्यलक्ष्मी की कहानी उन हजारों भारतीय छात्रों की हकीकत को उजागर करती है, जो बेहतर शिक्षा और करियर के सपनों के साथ विदेश जाते हैं, लेकिन वहां जीवन की चुनौतियों से जूझते हुए कई बार ऐसे हादसों का शिकार हो जाते हैं।
फिलहाल, अमेरिकी प्रशासन की मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। परिवार की इच्छा है कि उनकी बेटी का पार्थिव शरीर जल्द से जल्द भारत लाया जाए ताकि अंतिम संस्कार अपने गांव में किया जा सके।राज्यलक्ष्मी की मौत ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि विदेश में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और भावनात्मक समर्थन को लेकर क्या पर्याप्त व्यवस्था मौजूद है या नहीं।
उनके दोस्तों ने कहा — “राजी हमेशा मुस्कुराती रहती थी, अपने सपनों के लिए मेहनत करती थी। उसने कभी किसी से शिकायत नहीं की। वह सिर्फ 2 दिनों से बीमार थी, और हमने सोचा कि वह ठीक हो जाएगी… लेकिन अब सिर्फ उसकी यादें ही रह गई हैं।”








