सोशल संवाद/डेस्क : भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शनिवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान की गई सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान को सीधा संदेश था कि आतंकवाद के समर्थकों को बख्शा नहीं जाएगा। ऑपरेशन सिंदूर पहलगाम आतंकी हमले का जवाब भी था, जो पूरे देश को गहरा घाव दे गया था। इस बार भारत ने हादसे पर शोक तो व्यक्त किया, साथ ही करारा जवाब भी दिया।
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जनरल द्विवेदी ने ये बातें लद्दाख के द्रास में कारगिल विजय दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहीं। उन्होंने कहा- दुश्मन को जवाब देना अब न्यू नॉर्मल है।कारगिल विजय दिवस के 26 साल पूरे होने पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी दिल्ली के नेशनल वॉर मेमोरियल पहुंचे। उनके साथ तीनों सेना प्रमुख भी मौजूद रहे। राजनाथ ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी।
5 मई 1999 को पाकिस्तान की घुसपैठ के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल की पहाड़ी चोटियों पर जंग हुई थी। युद्ध करीब 84 दिनों तक चला। 26 जुलाई 1999 को भारत की जीत के साथ युद्ध आधिकारिक तौर पर खत्म हुआ। इसमें भारतीय सैनिकों के बलिदान और वीरता को याद करते हुए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।
भारत ने ऑपरेशन विजय चलाकर कारगिल जंग लड़ी थी
कारगिल की लड़ाई की शुरुआत तब हुई, जब पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर चुपचाप कब्जा कर अपने ठिकाने बना लिए थे। 8 मई 1999 को कारगिल की आजम चौकी पर पाकिस्तान के करीब 12 जवानों ने कब्जा कर लिया था। शुरुआत में इसे घुसपैठियों द्वारा किया गया हमला बताया गया था, लेकिन बाद में यह साफ हो गया कि इसमें पाकिस्तानी सेना शामिल थी। इन पाकिस्तानी सैनिकों को एक भारतीय चरवाहे ने देख लिया था। इस चरवाहे ने भारतीय सेना के जवानों को पाकिस्तानी सैनिकों के घुसपैठ की सूचना दी। इस तरह भारत को पहली बार घुसपैठ की जानकारी मिली।
पहले भारत समझ रहा था कि थोड़े बहुत आतंकियों ने ही कश्मीर की घाटी पर कब्जा किया है, इसलिए भारत ने चंद सैनिकों को ही इन्हें खदेड़ने के लिए भेजा। जब भारतीय सेना पर अलग-अलग चोटियों से जवाबी हमले हुए तब पता चला कि ये एक बड़ी साजिश का हिस्सा है।
तत्काल भारतीय रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने अपना रूस दौरा रद्द कर दिया। इसके बाद ऑपरेशन विजय लॉन्च किया गया। पाक सैनिक ऊंची पहाड़ियों पर बैठे थे, इस वजह से भारतीय सैनिकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। भारतीय जवानों ने दुश्मन की नजर से बचने के लिए रात में मुश्किल चढ़ाई की। शुरुआत में भारतीय सेना को इसी वजह से खासा नुकसान उठाना पड़ा था।








