सोशल संवाद/डेस्क: कभी देश के तमाम कथित भ्रष्टाचारियों के नाम उजागर करने और भारत माता की जय का नारा लगाने वाले अरविंद केजरीवाल खुद जेल में हैं। भारतीय राजस्व सेवा के संयुक्त आयुक्त पद से इस्तीफा देकर परिवर्तन नामक गैर सरकारी संगठ चलाने वाले अरविंद केजरीवाल को शो थीफर या शो हाइजैकर के रुप में भी जाना जाता है। अन्ना हजारे के आंदोलन को जिस तरीके से उन्होंने अपने नाम कर लिया, उससे साफ पता चलता है कि वह शुरू से ही कैसे राजनीति समझते, करते और जीते थे। हरियाणा के भिवानी से चल कर दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी अनगिन कहानियां हैं और उतने ही उपालंभ भी। मीठी-मीठी बातें करके कभी खुद को दिल्ली का भाई, दिल्ली का बेटा, दिल्ली का लाडला, दिल्ली का मिस्टर क्लीन कहलाने वाले केजरीवाल ने दरअसल लोगों का दिल तोड़ा है।
100 करोड़ रिश्वत वाले शराब घोटाले में केजरीवाल को न तो राउज एवेंन्यू कोर्ट से रहात मिली, न ही दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें कोई राहत दी और अंत में जब आप (आम आदमी पार्टी) की लीगल टीम रात में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खुलवाना का प्रयास किया, तो उन्हें वहां भी असफलता ही हाथ लगी। फिलहाल केजरीवाल गिरफ्तार हैं। आज यानी शुक्रवार को उनकी गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है। लेकिन, वह गिरफ्तार हो चुके हैं, यह एक तथ्य है। हेमंत सोरेन के बाद भ्रष्टाचार के मामले में केजरीवाल दूसरे सीटिंग चीफ मिनिस्टर हैं, जिन्हें ईडी (प्रवर्तन निदेशालय या इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट) ने गिरफ्तार किया है।
10 साल पहले का वह दौर याद कीजिए, जब पूरा देश अन्ना हजारे के साथ खड़ा था। तब इन पंक्तियों के लेखक को भी लगा था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में यह आदमी, जिसका नाम अरविंद केजरीवाल है, बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहा है और बंदे में दम है। बाद के दिनों में जब केजरीवाल को मैग्सेसे पुरस्कार से नवाजा गया, तब यह बात पक्की हो गई कि बंदा सोलहों आने खरा है और यह भ्रष्टाचारियों की नाक में नकेल डालेगा। फिर सूचना के अधिकार के तहत जो आंदोलन इस बंदे ने चलाया था, उसने रही-सहर कसर भी खत्म कर दी। लगा कि इस देश से भ्रष्टाचारियों के दिन अब लदने ही वाले हैं।
बाद के दिनों में दिल्ली विधानसभा के चुनाव हुए। केजरीवाल 13 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने। सारी पार्टियां हार गईं, सिर्फ केजरीवाल जीते। फिर दूसरे और तीसरे टर्म के चुनाव हुए जिसमें आम आदमी पार्टी ने अपने नायाब तरीकों से सरकार में वापसी की। तब आप के साथ योगेंद्र यादव जैसे सेफोलॉजिस्ट थे, कुमार विश्वास जैसे कवि और मुखर वक्ता और आशुतोष जैसे सीनियर पत्रकार, जिन्होंने आज तक की नौकरी को लात मार कर खुद को केजरीवाल का साथी मान लिया था। बाद के दिनों में और भी बड़े लोग इस आंदोलन से जुड़े, सरकार से जुड़े और वे मेनस्ट्रीम का हिस्सा हो गये। मैं ऐसे कई पत्रकारों-नौकरशाहों को जानता हूं, जिन्होंने अपनी नौकरी केजरीवाल के नाम पर लात मार दी थी और वे पार्टी के फुलटाइमर के रूप में काम करने लगे थे। एक ऑफर इन पंक्तियों के लेखक के पास भी आया था और वह ऑफर था मीडिया सेक्शन में कोर्डिनेटर की भूमिका के लिए। जिन्होंने यह ऑफर दिया था, वह आज भी केजरीवाल सरकार में मंत्री हैं। हमने मुस्कुरा कर उस ऑफर को टाल दिया था।
केजरीवाल ने रिश्वत नहीं ली होती तो ईडी उनके पीछे नहीं पड़ती। ईडी के पास सुबूत हैं। अब यह अदालत तय करेगी कि ईडी की कार्रवाई सही है या गलत लेकिन हमें लगता है कि कहीं न कहीं भ्रष्ट, दलाल टाइप के लोगों से केजरीवाल घिर गये थे। 100 करोड़ से ऊपर जिस घर के रोवेशन में खर्च हुआ हो, वह कोई सामान्य इंसान का घर तो नहीं हो सकता। एक बुशर्ट, एक फुलपैंट और चमड़े की चप्पल पहन कर जिस केजरीवाल ने करप्शन के खिलाफ अलख जगाई थी, वह सपरिवार महलनुमा मकान में अगर रहने लगें तो जाहिर है, करप्शन का कैंसर कहीं न कहीं उन्हें भी हो ही गया होगा।
वह सुरक्षा घेरे को लेकर लगातार हीला-हवाली करते रहे थे लेकिन बाद में वह इसके आदी हो गए। वह जिन चीजों का विरोध करते थे, वह उनके साथ होते चले गए। वह कांग्रेस को सबसे भ्रष्ट पार्टी मानते थे और बाद में कांग्रेस से ही गलबहियां कर बैठे। बहाना मिला भाजपा को उखाड़ फेंकने का लेकिन यह भाजपा को उखाड़ फेंकने से ज्यादा करप्शन के तौर-तरीकों को एक जायज तरीके से परिभाषित करने का था। बाद के दिनों में यह देखा गया कि आप अथवा केजरीवाल ने जिन पार्टियों को भी गरियाया, उनसे ही उनके संबंध बनने लगे। चाहे वह कांग्रेस रही हो या राष्ट्रीय जनता दल, भाजपा रही हो या फिर सीपीआई।
केजरीवाल की गिरफ्तारी दरअसल लोगों के दिलों को तोड़ देने वाली घटना है। क्या सही हा और क्या गलत, यह तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन आम जनमानस में यह तथ्य बार-बार दोहराया जाता है कि ईडी किसी को इसी प्रकार परेशान नहीं करती। ऐसे में, लोगों से करप्शन खत्म करने का वादा कर सरकार में आए केजरीवाल की गिरफ्तारी लोगों को परेशान करती है। तीन बार के सीएम हैं केजरीवाल। इसलिए, लोगों का भरोसा उनके ऊपर ज्यादा रहा है। चाहे वह मुफ्त में बिजली-पानी-शिक्षा का मसला रहा हो या फिर शहीदों के परिजनों को एक करोड़ रुपये देने का मामला हो, लोग सदमे में हैं। उन्हें यकीन नहीं कि शराब जैसी चीज की दलाली के रूप में केजरीवाल ने 100 करोड़ की रिश्वत ली है।
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