सोशल संवाद / नई दिल्ली : पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में हर पार्टी अपना प्रचार कर रही है परंतु यह भी मुख्य है कि दिल्ली कैसी थी, कैसी है और कैसी होनी चाहिए। बिजली, पानी, घर, सड़क, व्यवस्थाएं, जनता की, महिलाओं की, बच्चां सुरक्षा आदि विषयों पर चर्चा होती है और ध्यान जाता है। लेकिन एक और पहलू है कि चुनाव में किसी वर्ग विशेष को लक्ष्य साधकर उन्हें वोट बैंक बनाने का भी है जबकि हर राजनीति दल का वोट मांगने का और हर नागरिक को वोट देने का अधिकार जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हमें मिला है, उसमें कही न कहीं एक वर्ग विशेष के प्रति दुर्व्यवहार और उनके खिलाफ लक्ष्य साधकर काम करने संबध में मेरे कुछ सवाल है केजरीवाल जी से।
जहांगीर पुरी और पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक हिंसा पर आपकी चुप्पी
दिल्ली के जहांगीर पुरी और पूर्वी दिल्ली इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा के बाद न तो आपने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और न ही पीड़ित एवं असुरक्षित समुदायों के पक्ष में सार्वजनिक रूप से कुछ बोला। दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में आपने चुप्पी क्यों साधे रखी? तब से लेकर अब तक आपने प्रभावित समुदायों की समस्याओं का समाधान करने और उनका विश्वास बहाल करने के लिए क्या कदम उठाए हैं – विशेष रूप से जहांगीर पुरी और पूर्वी दिल्ली जैसे क्षेत्रों में?
बिलकिस बानो मामले पर मनीष सिसोदिया की शर्मनाक चुप्पी
बिलकिस बानो मामले ने जाति धर्म से परे जाकर देश की संवेदनाओं को झकझोर दिया था। लेकिन तब मनीष सिसोदिया ने उस शर्मनाक घटनाक्रम की निंदा करने या उसपर किसी तरह की टिप्पणी करने से स्पष्ट शब्दों में इंकार कर दिया था। इससे न्याय के प्रति AAP की प्रतिबद्धता को लेकर गंभीर सवाल उठते हैं। उस मामले के लिए ज़िम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने या पीड़िता के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए AAP ने क्यों कुछ नहीं किया?
CAA &NRC प्रोटेस्ट के दौरान शाहीन बाग को लेकर आपका बयान
शाहीन बाग में हो रहा प्रदर्शन CAA और NRC जैसे भेदभाव से भरे कानूनों के ख़लिफ़ शान्तिपूर्ण विरोध का प्रतीक था। लेकिन आपने क्षेत्र को “ख़ाली कराने“ को लेकर जो बयान दिया था, उससे उस दौरान हो रहे प्रदर्शनों की वैधता को लेकर गंभीर सवाल उठे और कमज़ोर समुदायों की आवाज़ और कमज़ोर हुई। क्या नागरिक स्वतंत्रता और असहमति के प्रति AAP का यही दृष्टिकोण है?
निजामुद्दीन मरकज का मामला
कोराना महामारी के दौरान निजामुद्दीन मरकज को लेकर जिस तरह से एक समुदाय विशेष को दोषी ठहराया गया, उससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ा। आपकी सरकार ने उस घटना को इस तरह से हैंडल किया जिससे लगा कि एकता की भावना को मजबूत करने की बजाय विभाजन की राजनीति को बढ़ावा दिया गया है। आपकी सरकार ने उस विभाजनकारी नैरेटिव का मुक़ाबला करने और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए क्या किया था?
AAP विधायक नरेश यादव की सजा
पवित्र क़ुरान शरीफ़ की बेहदबी मामले में AA P विधायक नरेश यादव को सजा मिलना गंभीर चिंता का विषय है। AAP ऐसे विभाजनकारी काम करने वालों को पार्टी में रखने को कैसे जस्टिफाई करती है? क्या पार्टी में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम उठाए गए हैं?
पुजारियों और ग्रंथियों को 18000 रुपये प्रतिमाह वेतन तो बौद्ध भिक्षु, रविदास मंदिर और वाल्मीकि मंदिर के पुजारियों को क्यों नहीं?*
जबकि 314 बुद्ध विहार है, 150 वाल्मीकि मंदिर है और लगभग इतने ही रविदास मंदिर है। ये सब बहुजन समाज से संबंधित हैं। चर्चों के पादरियों को भी मानदेय मिले। बहुजन विरोधी मानसिकता के खिलाफ़ कल 20 जनवरी को बुद्ध विहार के भिक्षु जंतर मंतर पर प्रदर्शन करेंगे। आम आदमी पार्टी ने 11 राज्यसभा सांसद बनाऐ हैं जिनमें एक भी दलित और पिछड़े वर्ग का क्यों नहीं? केजरीवाल को सिर्फ दलितों के वोट चाहिए, उनके प्रति कोई सहानुभूति नही है।
केजरीवाल ने डा0 अंबेडकर स्कॉलरशिप स्कीम की झूठी क्यों घोषणा की?
चुनाव को देखते हुए इसी प्रकार की घोषणा 2019 में भी की थी। पैसे के अभाव में दलित स्टूडेंट्स विदेश पढ़ने नहीं जा पाए थे। उनकी स्कॉलरशिप स्कीम नई बोतल में पुरानी शराब का खेल अब नहीं चलेगा। स्कॉलरशिप का सिर्फ 25 लाख वितरण हुआ, जबकि 5 करोड़ इसके विज्ञापन पर खर्च किए। साल 2019 में दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने दलित छात्रों को विदेश में पढ़ाई की इसी तरह की योजना की घोषणा की थी कि विदेश में दलित छात्रों को इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट साइंस, एग्रीकल्चर साइंसेज़, अकाउंटिंग इत्यादि कोर्सेज़ के लिए मौक़ा मिलेगा। उसकी सच्चाई यह है कि पिछले 4 सालों में सिर्फ़ 4 छात्रों को इस योजना का लाभ मिला। उन्होंने कहा कि अगस्त 2023 में पार्लियामेंट्री कमेटी ने समझाया था कि इसकी राशि और शर्तें बदलिए नहीं तो योजना नहीं चलेगी, मगर केजरीवाल असल में बस सुर्खियों में बने रहना चाहते थे, उन्हें दलितों का हित की कोई चिंता न थी, न है।
2006 में कांग्रेस सरकार ने पिछड़ों को उच्च शिक्षा में आरक्षण दिया था तब उसका विरोध ख़ुद केजरीवाल ने इक्वालिटी फोरम के माध्यम से क्यों किया था?
डॉ अंबेडकर जी की तस्वीर से मोहब्बत का दिखावा और विचार से नफ़रत साफ उजागर हो गई जब उन्होंने अपनी के सरकार के मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम से इस्तीफ़ा ले लिया, क्योंकि उन्होंने अंबेडकर की 22 प्रतिज्ञा पढ़ी और उन पर काम करने की बात की। 14 अक्टूबर 1956 को डा0 अम्बेडकर 5 लाख अनुयायियों के साथ 22 प्रतिज्ञा ग्रहण करके बौध पंथी से जुड़े। केजरीवाल बताएं अम्बेडकर जी ने जो शपथ ली थी, वही उनके मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम ने ली तो केजरीवाल ने मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम को क्यों हटाया?
2013 में अरविन्द केजरीवाल ने अस्थाई, एडहॉक, कॉन्ट्रैक्ट कर्मी को पक्का करने के वादा किया था लेकिन उनको पक्का करने की जगह निजीकरण किया और कर्मचारियें की छटनी कर उन्हें घर क्यों बैठा दिया?
केजरीवाल को पिछड़ों और दलितों का वोट चाहिए लेकिन जाति जनगणना पर चुप क्यों? राहुल गांधी जी ने आम आदमी पार्टी से पूछा है कि दिल्ली में जाति जनगणना पर अपना रुख साफ करे। पंजाब में सरकार बनने पर अरविन्द केजरीवाल ने वादा किया था कि पंजाब में उप मुख्यमंत्री दलित समाज का होगा लेकिन वहाँ भी दलितों को धोखा क्यों दिया?
संवाददाता सम्मेलन में पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद के साथ कांग्रेस प्रवक्ता अभय दूबे, कम्युनिकेशन विभाग की रश्मि सिंह मिगलानी, ज्योति सिंह, डा0 अरुण अग्रवाल, आस्मा तस्लीम मौजूद थीं।