सोशल संवाद/डेस्क : CBSE बोर्ड ने बच्चों में बढ़ते डायबिटीज के खतरे को देखते हुए सभी स्कूलों को ‘शुगर बोर्ड’ लगाने के निर्देश दिए हैं। इस बोर्ड में शुगर इंटेक से जुड़ी जरूरी जानकारी होगी जैसे, हर दिन कितनी शुगर ली जा सकती है या जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक्स में कितनी शुगर होती है।
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इसी के साथ इन बोर्ड्स के जरिए उन हेल्थ रिस्क्स के बारे में बताना होगा जो ज्यादा शुगर लेने से होते हैं और शुगर के हेल्दी ऑप्शन्स क्या हैं। इससे स्टूडेंट्स अपने खाने को लेकर जागरूक होंगे और लंबे समय तक बीमारियों से दूर रह पाएंगे। CBSE ने यह आदेश भी दिया है कि स्टूडेंट्स को शुगर इंटेक को लेकर जागरूक करने के लिए स्कूलों में वर्कशॉप्स और सेमिनार्स का आयोजन भी किया जाए।
टाइप 2 डायबिटीज के शिकार बन रहे बच्चे
डायटीशियन निधी पांडे का कहना है कि पिछले एक दशक में बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इससे पहले ये समस्या केवल व्यस्कों में नजर आती रही थी। इसकी एक बड़ी वजह है जरूरत से ज्यादा शुगर कंज्यूम करना। आज के समय में हाई शुगर वाली चीजें बच्चों को आसानी से मिल जाती हैं।
इससे न सिर्फ डायबिटीज का खतरा है बल्कि मोटापा, डेंटल प्रॉब्लम्स, मेटाबॉलिक डिसऑर्डर्स भी होता है जिससे बच्चों की लॉन्ग टर्म ग्रोथ और एकेडमिक परफॉर्मेंस पर भी असर पड़ता है। 4 से 10 साल की उम्र के बच्चों की कैलोरी इंटेक का अधिकतम 5% ही शुगर होना चाहिए, मगर स्टडीज में पाया गया है कि ये अब बढ़कर 13% हो चुका है।
ज्यादा मीठा खाने से प्यूबरटी जल्दी आ रही’
डायटीशियन पांडे का कहना है कि छोटी उम्र में बच्चों को ज्यादा मीठा खिलाने से उनके टेस्ट के सेंसेज कम उम्र से ही कमजोर होने लगते हैं। ऐसे में उन्हें हमेशा ज्यादा मीठे की जरूरत महसूस होने लगती है। अत्यधिक मीठा खाने से बच्चों के पाचन संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके अलावा हर बार मीठा खाने पर बच्चों का ब्रेन रिएक्ट करता है। तभी आजकल देखा जा रहा है कि बच्चे प्यूबर्टी जल्दी हिट कर रहे हैं।
इसके अलावा जूविनाइल डायबिटीज, बीपी, PCOD, PCOS, लो टेस्टोस्टेरोन और बाल गिरने की समस्या भी अत्यधिक मीठा खाने से होती है। डायटीशियन का कहना है कि छोटा बच्चा जब मीठा मांगने लगे और पॉटी ट्रेन्ड हो जाएं तब ही उसे मीठा देना शुरू करें। इस समय तक बच्चे को सिंपल शुगर जैसे गुड़, बूरा आदी खिला कंट्रोल्ड मात्रा में खिला सकते हैं।