सोशल संवाद /कोल्हान प्रमंडल (जमशेदपुर): प्रखंड अंतर्गत बांदु पंचायत के संथाल बहुल गांव कुरूकतोपा में पारंपरिक सोहराय पर्व बड़े ही हर्षोल्लास और सांस्कृतिक उमंग के साथ मनाया गया। गांव में सुबह से ही उत्सव का माहौल था। लोग पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे हुए थे, वहीं गांव की गलियाँ फूलों और रंगोली से सुसज्जित कर दी गईं थीं।

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विधिवत रूप से पूजा अर्चना की शुरुआत गांव के नायके बाबा डापटा मुर्मू द्वारा पूजा-अर्चना से की गई। उन्होंने पशुधन, फसलों और प्रकृति की समृद्धि की कामना करते हुए सामूहिक प्रार्थना की। पूजा के पश्चात ढोल और मांदर की थाप गूंज उठी, और महिलाएं व पुरुष पारंपरिक संथाली गीतों की धुन पर थिरकने लगे। ग्रामीणों के चेहरों पर उल्लास और आपसी एकता की झलक स्पष्ट नजर आ रही थी। सभी ने मिलकर सामूहिक नृत्य किया और एक-दूसरे को पर्व की शुभकामनाएँ दीं। ग्रामीणों ने बताया कि सोहराय पर्व संथाल समुदाय का प्रमुख पर्व है, जो फसल कटाई और पशुधन के सम्मान से जुड़ा हुआ है। यह पर्व समुदाय में आपसी भाईचारा, प्रेम और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक माना जाता है। शाम होते-होते गांव में पारंपरिक भोजन का आयोजन किया गया, जिसमें लेटो पिठा, चूड़ा-दही, और स्थानीय व्यंजनों का लोगों ने आनंद लिया। बुजुर्गों ने युवाओं को सोहराय पर्व की परंपराओं और महत्व के बारे में बताया। कुरूकतोपा गांव में इस पर्व के दौरान जोश और एकता का अनूठा दृश्य देखने को मिला, जिसने यह साबित कर दिया कि आधुनिकता के दौर में भी संथाल समाज अपनी संस्कृति और परंपराओं से गहराई से जुड़ा हुआ है।
इस अवसर पर संजय मार्डी,सुदामा हेम्ब्रम, फुचुन हेम्ब्रम,कलेबर हेम्ब्रम, सुपेश हेम्ब्रम,जयचांद मुर्मू समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।








