सोशल संवाद/डेस्क/Chandra Grahan 2025: आज 7 सितंबर 2025 की रात आसमान में एक बेहद खास खगोलीय घटना घटने जा रही है। यह इस साल का आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जिसे ब्लड मून भी कहा जाता है। इसका नजारा भारत सहित एशिया, यूरोप, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। खगोल विज्ञान की दृष्टि से यह बेहद महत्वपूर्ण है, वहीं ज्योतिष शास्त्र में भी इसका खास महत्व माना जा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस बार दुनिया की लगभग 85 प्रतिशत आबादी इस अद्भुत दृश्य को देख पाएगी।

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भारतीय समय के अनुसार चंद्र ग्रहण रात 9 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगा। इसका मध्य काल रात 11 बजकर 41 मिनट पर रहेगा और यह 8 सितंबर की सुबह 1 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगा। कुल मिलाकर यह ग्रहण तीन घंटे 28 मिनट तक चलेगा। इस दौरान चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में होगा और लाल रंग में दिखाई देगा। यही वजह है कि इसे ब्लड मून कहा जाता है।
Chandra Grahan 2025: इन जगहों में दिखेगा ब्लड मून
यह ग्रहण भारत के अधिकांश हिस्सों से साफ नजर आएगा। दिल्ली, लखनऊ, जयपुर और चंडीगढ़ जैसे उत्तर भारतीय शहरों से लेकर मुंबई, पुणे और अहमदाबाद तक, वहीं दक्षिण में चेन्नई, हैदराबाद और बेंगलुरु से लेकर कोच्चि तक और पूर्व में कोलकाता, भुवनेश्वर और गुवाहाटी जैसे शहरों से भी लोग इसे देख पाएंगे। खास बात यह है कि इसे नंगी आंखों से देखना पूरी तरह सुरक्षित है। किसी विशेष चश्मे या उपकरण की जरूरत नहीं होगी, हालांकि दूरबीन या टेलीस्कोप से इसका अनुभव और भी शानदार हो सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जब चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में चला जाता है तो सूर्य की सीधी किरणें उस तक नहीं पहुंच पातीं। केवल वायुमंडल से होकर गुजरने वाली लाल और नारंगी किरणें ही चंद्रमा तक पहुंचती हैं। यही कारण है कि वह लालिमा लिए हुए नजर आता है। इसे ही ‘रेली स्कैटरिंग’ कहा जाता है।
Chandra Grahan 2025: इन राशियों के लिए शुभ रहेगा चंद्र ग्रहण
ज्योतिषीय दृष्टि से यह ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लग रहा है। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि मेष, वृषभ, कन्या और धनु राशि वालों के लिए यह ग्रहण शुभ संकेत लेकर आएगा, जबकि कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि वालों को इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले यानी दोपहर 12 बजकर 58 मिनट से ही लागू हो गया है। इस दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य, पूजा-पाठ या नया काम करना वर्जित माना जाता है। मंदिरों के पट भी बंद कर दिए गए हैं, जो ग्रहण समाप्ति के बाद ही खुलेंगे। मान्यता है कि ग्रहण के समय भोजन अशुद्ध हो जाता है, इसलिए परंपरागत रूप से उसमें तुलसी या कुशा पत्ते डालने की सलाह दी जाती है। ग्रहण मोक्ष के बाद स्नान करना, अन्नदान और दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है।
आज रात का चंद्र ग्रहण न केवल खगोल विज्ञान के शौकीनों के लिए रोमांचक अवसर है बल्कि आस्था और परंपरा से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। यह साल का आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण है और इसके बाद अब अगला मौका मार्च 2026 में मिलेगा। अगर आप आकाश के रहस्यमयी नजारों में रुचि रखते हैं तो आज रात आसमान की ओर देखना बिल्कुल न भूलें।








