सोशल संवाद / नई दिल्ली : मुख्यमंत्री आतिशी ने सोमवार को त्यागराज स्टेडियम में आयोजित 68वें नेशनल स्कूल गेम्स का उद्घाटन किया। “आप” सरकार का शिक्षा निदेशालय (DoE) इस वर्ष इन खेलों की मेजबानी कर रहा है, जिसमें राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य बोर्डों सहित देश भर के कुल 44 इकाइयों के खिलाड़ी अपनी कौशल और प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे।
दिल्ली में 68वें नेशनल स्कूल गेम्स का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री आतिशी ने देश भर से आए खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि,”देश के हर कोने से, हर राज्य से आए स्टूडेंट्स इस राष्ट्रीय स्कूल खेलों में शामिल हो रहे है। उन्होंने कहा कि, दिल्ली देश की राजधानी है। हमारी पूरी कोशिश रही है कि, आपके लिए बेहतर से बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवा सकें। मैं उम्मीद करती हूँ कि, आप दिल्ली से इन खेलों के ज़रिए बहुत अच्छी यादें लेकर जाएँगे। एकता के भाव को साथ लेकर जाएँगे।”
सीएम आतिशी ने कहा कि, “स्पोर्ट्स एक ऐसी चीज है जो हम सभी के दिल से जुड़ी है। मुझे आज भी याद है कि, टोक्यो 2020 में जब नीरज चोपड़ा को जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल मिला, जब वो पहले पायदान पर खड़े थे और भारत का तिरंगा राष्ट्र-गान की धुन पर उठ रहा था तब 140 करोड़ भारतीयों में कोई भी ऐसा नहीं रहा होगा जिसके आंखों के आंसू नहीं थे। उन्होंने कहा कि, तब किसी ने भी ये नहीं सोचा कि, नीरज चोपड़ा देश के एक हिस्से का है या दूसरे हिस्से का, वो कौनसी भाषा बोलते है, किस धर्म से है। सभी ने बस एक बात सोची की नीरज चोपड़ा एक भारतीय है और उन्होंने हमारे देश का नाम रौशन किया है।”
सीएम आतिशी ने कहा कि, “हमें ये उम्मीद है कि नेशनल स्कूल गेम्स में भाग लेने वाले आप युवा टैलेंटेड स्पोर्ट्सपर्सन के लिए एक दिन ऐसा भी आयेगा जब आप ओलंपिक में गोल्ड के उस पोडियम पर खड़े होंगे और जहाँ आपको मिलते मेडल के साथ भारत का तिरंगा उठेगा और जन गण मन की धुन पूरी दुनिया सुनेगी।”उन्होंने कहा कि, “मैं बच्चों में जब ओलंपिक-एशियन खेलों के बारे में सुनती थी तब ये सोचती थी कि हमारे देश के लोग इतने टैलेंटेड है लेकिन फिर ऐसा क्यों है कि हमारे देश को इन खेलों में मेडल नहीं मिलते। ऐसा क्यों होता है कि अमेरिका, चीन, फ्रांस, जापान जैसे देश हमसे ज़्यादा मेडल जीतते है और हम पदक तालिका में नीचे होते है जबकि हमारे स्पोर्ट्स पर्सनस में टैलेंट की कोई कमी नहीं है।”
सीएम आतिशी ने एक शिक्षक के रूप में बिताए अपने दिनों के विषय में साझा करते हुए कहा कि,” मैंने एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाया वहाँ एक 6-7 की स्टूडेंट थी जो मध्य प्रदेश के किसी आदिवासी इलाके से आती थी, कम हाईट की छोटी सी वो बच्ची रॉकेट की तरह दौड़ती थी और उससे बड़े बच्चे भी उससे पीछे रह जाते थे। लेकिन आज वो नेशनल लेवल स्पोर्ट्स पर्सन शायद एक वजह से नहीं है। क्योंकि उसके पेरेंट्स के पास उसे ट्रेनिंग दिलवाने के लिए पैसे नहीं है, संसाधन नहीं है।” उन्होंने कहा कि, “हमारे देश स्पोर्ट्स पर्सन्स के दिल का यही दर्द है कि उनमें टैलेंट तो बहुत है लेकिन बहुत बार उन्हें अवसर नहीं मिल पाता क्योंकि स्पोर्ट्स की इक्यूपमेंट्स और ट्रेनिंग बहुत महंगी है।”
सीएम आतिशी ने कहा कि, “मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि हम पिछले 10 सालों में दिल्ली सरकार के स्कूलों में आने वाले सामान्य परिवार के, ग़रीब परिवारों के बच्चों को वर्ल्ड क्लास स्पोर्ट्स सुविधाएं दे पाए है।” उन्होंने साझा किया कि, “आज दिल्ली सरकार के स्कूलों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के 3 हॉकी टर्फ है, 7 फुटबॉल फील्ड है, 25 शानदार स्विमिंग पूल और 42 सिंथेटिक ट्रैक है।
सीएम आतिशी ने कहा कि, “मुझे आज भी याद है कि, जब दिल्ली सरकार के घुमननहेड़ा में पहला एस्ट्रो टर्फ हॉकी मैदान बना था तब एक बहुत सीनियर स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट का फ़ोन आया था और उस जर्नलिस्ट ने कहा कि, एक समय ऐसा था जब भारत हमेशा हॉकी में गोल्ड जीतता था लेकिन आज इसलिए पिछले रह गया क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी एस्ट्रो टर्फ़ पर खेली जाती है। और हमारे देश के ज़्यादातर ट्रेनिंग ग्राउंड एस्ट्रो टर्फ़ नहीं है। हमारे खिलाड़ियों को घास के मैदान में ट्रेनिंग लेनी पड़ती जबकि एस्ट्रो टर्फ़ पर खेली जाने वाली हॉकी की स्पीड बहुत ज़्यादा होती है इसलिए हमारे खिलाड़ी अब पीछे रह जाते है। उस जर्नलिस्ट ने कहा कि, दिल्ली सरकार ने सिर्फ़ हॉकी का एस्ट्रो-टर्फ़ मैदान नहीं बल्कि ओलंपिक खेलों में भारत के लिए मेडल जीतने के ग्राउंड की शुरुआत की है।”
सीएम आतिशी ने कहा कि, हमारी कोशिश रही है कि चाहे हमारी प्ले एंड प्रोग्रेस स्कीम रही हो जिसमें हम 17 साल तक के स्पोर्ट्स पर्सन्स को उनके ट्रेनिंग डाइट इक्यूपमेंट्स के लिए सपोर्ट करते है और 2018 से 2022 तक 1500 यंग स्पोर्ट्स पर्सांग को सपोर्ट किया है। या फिर मिशन एक्सीलेंस स्कीम जिसके तहत अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए ट्रेनिंग कर रहे हमारे स्पोर्ट्स पर्सन्स को 16 लाख रुपये तक का सपोर्ट करना हो जिसके तहत 2018 से 2022 तक 400 से ज़्यादा स्पोर्ट्स पर्सन्स को सपोर्ट मिली है। हर उभरते खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं मिल सके।”
उन्होंने कहा कि, “ये इसलिए भी है कि हम भी सपना देखते है कि, आज जो यंग खिलाड़ी राष्ट्रीय स्कूल गेम्स में भाग ले रहे है, एक दिन ऐसा भी आयेगा जब आप पदक तालिका में भारत को सबसे ऊपर लेकर जाएँगे। मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, “मुझे विश्वास है कि ये खेल हमारे युवाओं में खेल के प्रति जुनून पैदा करेंगे।”
बता दे कि अंडर-14, अंडर-17 और अंडर-19 वर्ग के लड़के और लड़कियों के लगभग 11000 छात्र/खिलाड़ी 11 खेलों में अपने कौशल और प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। जिनमें जिनमें बैडमिंटन, कराटे, वूशू, मुक्केबाजी, भारोत्तोलन, कुश्ती,थांगटा मार्शल आर्ट्स, गतका, स्केटिंग, खो-खो आदि शामिल है।
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