सोशल संवाद / झारखंड : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रविवार को अपने पिता और झारखंड के जननायक दिशोम गुरु शिबू सोरेन की अस्थियां लेकर नेमरा से रजरप्पा पहुंचे। मुख्यमंत्री ने गुरुजी की अस्थियों को रजरप्पा के दामोदर नदी घाट पर पूरे पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ भावुक माहौल और कार्यकर्ताओं व समर्थकों की भारी भीड़ के बीच विसर्जित किया।
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भावुक दिखे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन काफी भावुक दिखे। उन्होंने कहा, “गुरुजी का पूरा जीवन समाज और राज्य की बेहतरी के लिए समर्पित रहा। उन्होंने झारखंड आंदोलन के माध्यम से गरीबों, वंचितों और आदिवासी समुदायों की आवाज बुलंद की। आज यह क्षण हम सभी के लिए भावुक करने वाला है, लेकिन साथ ही यह संकल्प लेने का भी अवसर है कि हम उनके दिखाए रास्ते पर चलेंगे।”
बड़ी संख्या में समर्थक उमड़े
विसर्जन कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, पार्टी कार्यकर्ता और श्रद्धालु मौजूद थे। सभी ने “गुरुजी अमर रहें” के नारे लगाए और उन्हें अंतिम विदाई दी। लोगों ने कहा कि शिबू सोरेन ने लगातार हाशिए पर पड़े लोगों की आवाज़ उठाई और झारखंड की पहचान को पुनर्जीवित करने में अहम भूमिका निभाई।
झारखंड आंदोलन से राज्य निर्माण तक की भूमिका
शिबू सोरेन झारखंड आंदोलन का एक बड़ा चेहरा माने जाते हैं। उन्होंने न केवल राज्य निर्माण के लिए संघर्ष किया, बल्कि आंदोलन के दौरान जनहित के लिए कई बार जेल भी गए। बाद में झारखंड की राजनीति में, उन्होंने मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार में मंत्री रहते हुए भी राज्य और जनता के हित को प्राथमिकता दी।
गुरुजी की विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प
कार्यक्रम में उपस्थित नेताओं और कार्यकर्ताओं ने कहा कि गुरुजी को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि उनके दिखाए रास्ते पर चलकर झारखंड को आगे बढ़ाया जाए। रजरप्पा घाट पर दामोदर नदी में उनकी अस्थियों के विसर्जन के साथ ही झारखंड की राजनीति और समाज पर उनके अमिट प्रभाव को एक बार फिर याद किया गया।








