सोशल संवाद / नई दिल्ली : दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आज दिल्ली विधानसभा में दिल्ली की पूर्व सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि पिछली सरकार ने अपनी मुफ्त योजनाओं को इस तरह पेश किया जैसे वे अपनी जेब से जनता को दे रहे हों, जबकि हकीकत यह है कि यह सारा पैसा जनता का ही था। जनता को उम्मीद थी कि उनके टैक्स के पैसे से सड़कें बनेंगी, स्कूल और अस्पताल बनेंगे, लेकिन उनकी मेहनत की कमाई को मुफ्त योजनाओं में खर्च कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पूर्व सरकार ने विकास कार्यों को जानबूझकर नजरअंदाज किया और सारा ध्यान केवल प्रचार-प्रसार पर केंद्रित रखा। मुख्यमंत्री का यह भी कहना था कि पिछली सरकार ने उन विकास कार्यों पर इसलिए खर्च नहीं किया गया क्योंकि उन योजनाओं में ‘प्रधानमंत्री’ शब्द जुड़ा था।

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दिल्ली विधानसभा में सीएजी रिपोर्ट (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार से संबंधित वर्ष 2023-24 के वित्तीय लेखे व विनियोग लेखे) पर बोलते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने ब्यौरेवार पिछली सरकार (और अब विपक्ष) को कटघरे में खड़ा किया और कहा कि सीएजी रिपोर्ट पिछली सरकार की कारगुजारियों और काम न करने की सोच को उजागर करती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें पहले से आशंका थी कि जैसे ही सीएजी रिपोर्ट सामने आएगी, विपक्ष या तो सदन से बाहर चला जाएगा या फिर सारा दोष केंद्र सरकार पर मढ़ने की कोशिश करेगा। वे यह कहेंगे कि उन्हें केंद्र सरकार से न तो कोई वित्तीय सहायता मिली और न ही कोई ग्रांट दी गई। लेकिन सच्चाई यह है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली को 4800 करोड़ रुपये की ग्रांट दी थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह जानना ज़रूरी है कि इस राशि का उपयोग कैसे किया गया। 463 करोड़ रुपये पानी की आपूर्ति पर, 482 करोड़ रुपये फ्री बस सेवाओं पर और 3250 करोड़ रुपये फ्री बिजली योजना पर खर्च कर दिए गए। इस तरह पूरी ग्रांट को मुफ्त योजनाओं में वितरित कर दिया गया।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि विपक्ष ने इन मुफ्त योजनाओं को इस तरह प्रस्तुत किया जैसे वे अपनी जेब से जनता को दे रहे हों, जबकि हकीकत यह है कि यह सारा पैसा जनता का ही था। सीएजी रिपोर्ट का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि पिछली सरकार का पूरा राजस्व केवल खर्चों में चला गया। तनख्वाह, ब्याज भुगतान और अन्य ऐसे खर्च, जिनसे कोई स्थायी संपत्ति नहीं बनती। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022-23 में दिल्ली सरकार का राजस्व अधिशेष 4566 करोड़ रुपये था, लेकिन यह पूरा पैसा खर्च कर दिया गया। परिणामस्वरूप वर्ष 2023-24 में सरकार 3934 करोड़ रुपये के घाटे में पहुंच गई। इस तरह दो वर्षों को मिलाकर लगभग 8600 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया गया। मुख्यमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में 50 प्रतिशत की गिरावट हुई, और जिन 24 अस्पतालों की आधारशिला रखी गई थी, वे आज तक अधूरे हैं। शिक्षा और खेल जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में 42 प्रतिशत की कमी आई, जबकि सड़क निर्माण और लोक निर्माण विभाग के कार्यों में 40 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई। मुख्यमंत्री ने इसे जनसेवा की उपेक्षा और संसाधनों के दुरुपयोग का स्पष्ट प्रमाण बताया।
मुख्यमंत्री ने पूर्ववर्ती सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि विकास कार्यों को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया और सारा ध्यान केवल प्रचार-प्रसार पर केंद्रित रहा। उन्होंने बताया कि न तो कोई नया फ्लाईओवर बना और न ही कोई बड़ी सड़क परियोजना पूरी हुई। शहरी विकास के बजट में 36 प्रतिशत की कटौती कर दी गई। इससे राजस्व घटता गया, खर्चा बढ़ता गया और परिणामस्वरूप दिल्लीवासियों के साथ धोखा हुआ। न सड़कों का विकास हुआ, न स्कूल या अस्पताल पूरे हुए। मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा कि केंद्र सरकार से मिलने वाले फंड के बावजूद, राज्य सरकार ने कोई ठोस काम नहीं किया और अब जवाबदेही से बच रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लगातार दिल्ली सरकार को विकास कार्यों के लिए बजट देता रहा, लेकिन लेकिन 31 मार्च 2024 तक भी 842 करोड़ रुपये बिना खर्च के पड़े रहे। केंद्र ने दिल्ली के समुचित विकास के लिए अलग से 2400 करोड़ रुपये की राशि दी, जिससे अस्पताल और आयुष्मान आरोग्य मंदिर बन सकते थे, लेकिन एक भी रुपया जनता पर खर्च नहीं हुआ। मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि क्या सिर्फ इसलिए खर्च नहीं किया गया क्योंकि उस योजना में ‘प्रधानमंत्री’ शब्द जुड़ा था।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने आर्थिक आवास योजना, राष्ट्रीय आयुष मिशन, पीएम विश्वकर्मा योजना, पीएम स्कूल योजना और पीएम स्वनिधि योजना के लिए भी धन जारी किया, लेकिन दिल्ली सरकार ने न तो इनका उपयोग किया और न ही उन्हें जनता तक पहुंचने दिया। इस वजह से केंद्र को सीधे लाभार्थियों तक पहुंचना पड़ा। इतना ही नहीं 3760 करोड़ रुपये की ग्रांट मिलने के बावजूद दिल्ली सरकार ने उसका यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट तक नहीं भेजा। मेट्रो परियोजनाओं में केंद्र और राज्य की बराबर हिस्सेदारी होती है, लेकिन दिल्ली सरकार ने एक बार भी अपना हिस्सा नहीं दिया, यहां तक कि कोर्ट की फटकार के बावजूद भी नहीं। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की परियोजनाओं में भी राज्य को सहयोग देना था, लेकिन वहां भी दिल्ली सरकार ने अपना योगदान नहीं दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पैसा जनता के कल्याण के लिए था, लेकिन इसका दुरुपयोग किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि जनता के पैसों पर जब भी सवाल उठाए जाते हैं, तो पिछली सरकार की ओर से बौखलाहट दिखाई देती है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि अस्पतालों की स्थिति इस गड़बड़ी का स्पष्ट प्रमाण है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में 24 अस्पताल अधूरे छोड़ दिए गए, जिन पर 3427 करोड़ रुपये की लागत आनी थी। अब तक निर्माण न होने के कारण यह लागत बढ़कर 2700 करोड़ रुपये और बढ़ गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने विभिन्न योजनाओं के लिए फंड जारी किए थे, जिनमें पीएम स्कूल योजना, पीएम विश्वकर्मा योजना, पीएम स्वनिधि योजना, अमृत योजना और यमुना सफाई जैसी योजनाएं शामिल हैं। लेकिन राज्य सरकार ने न तो इन योजनाओं का उपयोग किया और न ही जनता तक इनका लाभ पहुंचने दिया। मुख्यमंत्री ने सदन में अध्यक्ष महोदय से आग्रह किया कि सीएजी की रिपोर्ट को लोक लेखा समिति (पीएसी) के पास भेजा जाए ताकि इन वित्तीय अनियमितताओं की गहराई से जांच हो सके और जनता के पैसे का सही हिसाब सामने आ सके।








