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चीन ने WTO में भारत के खिलाफ शिकायत की:कहा-भारी सब्सिडी देकर घरेलू कंपनियों को फायदा दे रही भारत सरकार

By Muskan Thakur

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चीन ने WTO में भारत के खिलाफ शिकायत की

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सोशल संवाद/डेस्क : भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) को बढ़ावा देने के लिए दी जा रही सब्सिडी पर चीन ने नाराजगी जताई है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने बुधवार को इस मामले में विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भारत के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी है।

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चीन का दावा है कि भारत की यह भारी भरकम सब्सिडी उसकी घरेलू कंपनियों को अनफेयर एडवांटेज दे रही हैं। इससे भारत में बिकने वाले चीनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों और EV प्रोडक्ट्स पर असर हो रहा है।

इससे चीन के हितों को नुकसान पहुंच रहा है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि वह अपने उद्योगों के अधिकारों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाएगा।

EV सब्सिडी देने में भारत सबसे आगे

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के बड़े देशों में इलेक्ट्रिक कारों पर सबसे ज्यादा सब्सिडी भारत में ही मिल रही है। उदाहरण के तौर पर भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली EV इलेक्ट्रिक टाटा नेक्सॉन पर खरीदारों और बनाने वाली कंपनी को मिलाकर करीब 46 फीसदी तक की सब्सिडी मिल रही है।

भारत में EV को मिल रहे फायदे में कम जीएसटी, पेट्रोल-डीजल गाड़ियों के मुकाबले कम रोड टैक्स और कंपनियों को मिलने वाली PLI (प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव) योजना का सपोर्ट भी शामिल है।

चार्जिंग स्टेशन बनाने पर 100% तक सब्सिडी

भारत सरकार EV को बढ़ाने के लिए सिर्फ गाड़ियों पर ही नहीं, बल्कि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी ज़ोर दे रही है। ‘PM ई-ड्राइव’ योजना के तहत, केंद्र सरकार पब्लिक फास्ट-चार्जिंग स्टेशन बनाने का 80 फीसदी तक खर्च खुद उठा रही है।

कुछ मामलों में तो यह सब्सिडी 100% तक भी दी सकती है। इस स्कीम के तहत पैसा तीन किस्तों में दिया जाता है। टेंडर मिलने पर 30%, स्टेशन लगने पर 40%, और फिर कमर्शियल ऑपरेशन शुरू होने के बाद बाकी का पैसा मिलता है।

ई-ट्रक, ई-एम्बुलेंस, ई-बस चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (चार्जिंग स्टेशन) को 31 मार्च 2028 तक सब्सिडी मिलती रहेगी। हालांकि, सरकार इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर, ई-रिक्शा, थ्री-व्हीलर और ई-कार्ट पर मिलने वाली सब्सिडी मार्च 2026 के बाद बंद हो जाएगी।

भारी सब्सिडी के बाद भी EV की रफ्तार धीमी

बड़ी सब्सिडी देने के बावजूद, भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लोग अभी भी कम अपना रहे हैं। कुल गाड़ियों के बाजार में EV की हिस्सेदारी सिर्फ 2% है। यह आंकड़ा बाकी देशों के मुकाबले सबसे कम है। यानी, सरकार पैसा तो खूब लगा रही है, लेकिन आम आदमी तक EV अभी भी पूरी तरह नहीं पहुंच पाई है।

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