सोशल संवाद/डेस्क: Congress ने पुणे के जैन हॉस्टल व मंदिर की जमीन के विवादित सौदे में केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल की संलिप्तता का आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।

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इंदिरा भवन स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता अतुल लोंढ़े पाटिल ने बताया कि पुणे से सांसद और मोदी सरकार में केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने अपनी राजनीतिक पहुंच का दुरुपयोग कर सेठ हीराचंद नेमचंद दिगंबर जैन हॉस्टल और इसमें स्थित मंदिर की जमीन जो एक चैरिटेबल ट्रस्ट की संपत्ति थी, उसे अवैध रूप से बेचने में मदद की।
कांग्रेस नेता अतुल लोंढ़े पाटिल ने इस मामले में कमीशनखोरी का आरोप लगाते हुए बताया कि सेठ हीराचंद नेमचंद स्मारक ट्रस्ट की जमीन, जो शिक्षा और धार्मिक उद्देश्यों के लिए थी, कभी बेची नहीं जा सकती थी। फिर भी इसे ट्रस्ट द्वारा राजनैतिक दबाव में जमीन के मूल्य से काफी कम कीमत पर अंडरवैल्यू कर गोखले बिल्डर्स को बेच दिया गया, जिसमें मोहोल पहले 50 प्रतिशत के पार्टनर थे। उन्होंने बताया कि जमीन के लिए तीन कंपनियों द्वारा बोलियां लगाई गईं, जिनमें से दो के साथ मोहोल के पुराने कनेक्शन थे।
अतुल लोंढ़े पाटिल ने सिलसिलेवार ढंग से तथ्यों को सामने रखते हुए बताया कि 21 अप्रैल 2024 को मोहोल चुनाव से एक महीना पहले जैन मंदिर गए, जहां ट्रस्ट के अध्यक्ष व वालचंद इंडस्ट्रीज के सीएमडी चिराग दोषी मौजूद थे। 23 नवंबर 2023 को दोषी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि कंपनी को 230 करोड़ रुपये मिलने वाले हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि जैन हॉस्टल का सौदा भी 230 करोड़ रूपये में ही हुआ और सवाल उठाया कि क्या यह संयोग है या प्रयोग? लौंढे पाटिल ने यह भी बताया कि गोखले बिल्डर्स ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि उन्हें 2,500 करोड़ रुपये का लाभ होने वाला है, जबकि जमीन का सौदा सिर्फ 230 करोड़ रुपये में हुआ। लोंढे ने पूछा कि इस सौदे में किसको कितने प्रतिशत का कमीशन दिया गया?
कांग्रेस प्रवक्ता ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि एक ही दिन में सेल डीड के साथ-साथ जमीन गिरवी रखने का काम और 70 करोड़ रुपये का ऋण दो बैंकों से वितरित हो गया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या राजनैतिक मदद के बिना कोई बिल्डर पुणे म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन, चैरिटेबल ट्रस्ट, रजिस्ट्री कार्यालय और बैंकों से एक साथ इतनी तेजी से अपने काम निकलवा सकता है?
अतुल लोंढ़े पाटिल ने यह भी खुलासा किया कि दिसंबर 2024 के आसपास मोहोल ने गोखले बिल्डर्स से पार्टनरशिप छोड़ी, लेकिन जून में उन्होंने मंत्री पद की शपथ ली थी। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कोई व्यक्ति बिजनेस पार्टनरशिप में रहते हुए मंत्री बन सकता है?
कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे बताया कि जैन समाज ने इस सौदे के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध किया। हजारों लोग सड़कों पर उतरे और आचार्य गुप्ति सागर महाराज के सामने ट्रस्टियों से माफी मांगने को कहा गया है, और माफी न मांगने की सूरत में उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
अतुल लोंढ़े पाटिल ने तंज कसते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय की तरह अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का कार्यालय भी क्लीन चिट कार्यालय बन गया है। प्रधानमंत्री का ‘ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा’ का नारा अब खोखला साबित हो रहा है। लौंढे पाटिल ने कहा कि भारी विरोध के चलते चैरिटी कमिश्नर ने जैन हॉस्टल व मंदिर की सेल डीड तो कैंसल कर दी है, अब कार्रवाई प्रधानमंत्री मोदी को करनी है। उन्होंने मांग की कि मोहोल का इस्तीफा लेकर इस मामले की निष्पक्षता से जांच की जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो।








