सोशल संवाद / नई दिल्ली : कांग्रेस ने ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा के दौरान मची भगदड़ के लिए भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन माझी, उपमुख्यमंत्री और कानून मंत्री का इस्तीफा मांगा है।
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कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में पत्रकार वार्ता करते हुए पार्टी सांसद सप्तगिरि उलाका और पार्टी नेता अरबिंद दास ने रथ यात्रा के दौरान हुई भगदड़ को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 700 से अधिक लोग घायल हुए और सात लोगों की मृत्यु हुई है, लेकिन सरकार ने अभी तक मृत्यु के आंकड़ों को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।
सप्तगिरि उलाका ने कहा कि इस बार रथ यात्रा विलंब और अव्यवस्था का शिकार हुई। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान भी रथ यात्रा नियंत्रित ढंग से निकाली गई थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो सका। उन्होंने विशेष रूप से नंदीघोष रथ के केवल एक मीटर चलने के बाद शाम साढ़े सात बजे रुक जाने का उल्लेख किया, जिससे रथ यात्रा की पारंपरिक प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई।
सांसद उलाका के अनुसार इस बार लगभग पांच हजार पास बांटे गए थे, जबकि सामान्यतः यह संख्या 200-300 के बीच होती है। ये पास विधायकों और सांसदों सहित कई लोगों को दिए गए। यही कारण था कि रथ यात्रा की गति धीमी पड़ गई। उन्होंने कहा कि मुख्य प्रशासक ने कहा था कि सारे भक्त अभी नहीं आए हैं। मीडिया की खबरों के मुताबिक रथ यात्रा के दिन गौतम अडानी आने वाले थे, लेकिन वह अगले दिन पहुंचे। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या रथ यात्रा अडानी के कारण रोकी गई थी?
कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि रथ यात्रा के समापन के समय भीड़ सबसे अधिक होती है और उसी समय भीड़ नियंत्रण की सबसे अधिक आवश्यकता होती है, लेकिन तब पुलिस का कोई भी कर्मी मौके पर मौजूद नहीं था। पुलिस और प्रशासन का ध्यान केवल मंत्रियों, विधायकों और अन्य वीआईपी लोगों की सुरक्षा पर केंद्रित था। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने रथ यात्रा जैसे पवित्र पर्व को इवेंट मैनेजमेंट में बदल दिया। यह दुखद है कि उड़िया अस्मिता के नाम पर सत्ता में आई सरकार प्रभु जगन्नाथ और उनके भक्तों का सम्मान नहीं कर पाई। उन्होंने पिछले साल भगवान बलभद्र की मूर्ति गिरने की घटना का भी जिक्र किया, जिसकी जांच आज तक नहीं हुई है।
वहीं अरबिंद दास ने प्रदेश के कानून मंत्री के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह कैसा तर्क है कि भगवान स्वयं चाहते थे कि रथ न चले। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार को बने एक साल से अधिक हो गया है, लेकिन अब तक मंदिर प्रबंधन समिति का गठन नहीं हुआ। उन्होंने सवाल पूछा कि भगवान जगन्नाथ की यात्रा को किस वीआईपी के लिए रोका गया था? उन्होंने कहा कि अब तक किसी भी शासक या सरकार ने ओडिशा के लोगों को इस तरह की शर्मिंदगी, अपमान और लज्जा में नहीं डाला।
कांग्रेस नेताओं ने यह मांग भी की कि इस घटना में कितने लोगों की मृत्यु हुई, उसका पूरा आंकड़ा जारी किया जाए। मृतकों के परिवारों को 50 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों को 25 लाख रुपये की मदद दी जाए। वर्तमान जज की निगरानी में न्यायिक जांच कराई जाए और इस भगदड़ के लिए जिम्मेदार सभी व्यक्तियों को जेल भेजा जाए।