सोशल संवाद / झारखंड : दिनांक 20.11.2025 को रिट संख्या 2078/ 2018, राकेश झा बनाम झारखंड सरकार मामले की सुनवाई माननीय मुख्य न्यायाधीश और माननीय न्यायाधीश राजेश शंकर की पीठ में हुई!

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अदालत की अवमानना करमने पर डिप्टी म्युनिसिपल कमीश्नर को सजा देने की घोषणा करने के बाद माननीय उच्च न्यायालय ने डिप्टी म्युनिसिपल कमीश्नर को सशरीर माननीय अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया था! डिप्टी म्युनिसिपल कमीश्नर आज अदालत में हाजिर हो कर सुनवाई के आरंभ में ही अपनी घृष्टता के लिए माननीय अदालत से क्षमा याचना की!
सुनवाई आरंभ होने के बाद जेएनएसी के अधिवक्ता सुमीत गडोडिया ने माननीय अदालत को बताया कि अतिक्रमण का मामला जेएनएसी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता! माननीय अदालत ने उन्हें याद दिलाया कि म्युनिसिपल कानून के अनुसार यह जेएनएसी का अधिकार क्षेत्र है!
माननीय अदालत ने जेएनएसी के अधिवक्ता को याद दिलाया कि माननीय अदालत जेएनएसी द्वारा माननीय अदालत के आदेश की अवहेलना करे पर अवमानना का मामला सुन रही है! माननीय अदालत ने कहा कि अधिवक्ता ये बताएं कि जेएनएसी ने हलफनामा दायर कर यह क्यों नहीं बताया कि बताए कि उसने पार्किंग कब्जा करने वालों और जिन बिल्डरों ने अवैध निर्माण किये हैं उनके खिलाफ क्या कार्रवाईयां की है और उसे टेबुलर फार्म में माननीय अदालत के समक्ष प्रस्तुत क्यों नहीं किया?
माननीय अदालत ने यह भी कहा कि जेएनएसी को यह निर्देश दिया गया था कि जेएनएसी ने जिन बिल्डिंगों को कम्पलीशन सर्टिफिकेट जारी किया है और जिन बिल्डिंगों को कम्पलीशन सर्टिफिकेट नहीं दिया उनके नाम बताए! माननीय अदालत ने जेएनएसी उन बिल्डिंगों के नाम भी बताने को कहा था जिनको कम्पलीशन सर्टिफिकेट नहीं दिया गया पर उन बिल्डिंगों को बिजली और पानी का कनेक्शन दे दिया गया है और साथ में यह भी जोड़ा था कि जेएनएसी यह भी बताए कि वे सारे बिल्डिंग जिनको कम्पलीशन सर्टिफिकेट नहीं दिया गया है पर बिजली का कनेक्शन दिया गया है वे बिजली का कमर्शियल दर पर भुगतान करते हैं या सामान्य दर पर।
माननीय अदालत ने जेएनएसी के अधिवक्ता से पूछा कि माननीय अदालत के निर्देश का जेएनएसी पालन करेगी या नहीं! जेएनएसी के अधिवक्ता ने क्षमा याचना कर कहा कि उन्हें एक और मौका दिया जाय ताकि वे माननीय अदालत के निर्देश का पालन कर सके।
माननीय अदालत ने जेएनएसी को दो दिन की मोहलत देकर यह दुहराया कि अगर इस बार सारी जानकारियाँ हलफनामें मेः नहीं दी गयी तो माननीय अदालत डिप्टी म्युनिसिपल कमीश्नर को सजा सुनाने पर मजबूरहोगी।
अगली सुनवाई की तारिख 26.11.2025 को मुकर्रर की गयी है। पिटीशनर की तरफ से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव और नेहा अग्रवाल ने पैरवी की!








