सोशल संवाद / रांची/जमशेदपुर : झारखंड हाईकोर्ट ने जमशेदपुर पूर्वी के विधायक और फिलहाल जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा से एनडीए उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे सरयू राय के खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर रोक लगा दी है. मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की एकलपीठ ने यह आदेश दिया. गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव द्वारा दर्ज करवाए गए मामले में यह आदेश जारी हुआ है. अदालत ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया है.
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झारखंड हाईकोर्ट में राय का पक्ष रखने वाले वरीय अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने बताया कि वर्ष 2022 में रांची के डोरंडा थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. आरोप ये था कि कुछ लोगों ने स्वास्थ्य विभाग का गोपनीय कागजात गायब किया और मीडिया में उन्हें उद्घाटित कर दिया. बाद में पुलिस ने कोर्ट में पिटीशन देकर सरयू राय का नाम भी दर्ज करवाया दिया. तब पुलिस ने कोर्ट में कहा था कि भूलवश राय का नाम दर्ज नहीं हो पाया था. पुलिस चार्जशीट दायर कर चुकी थी और कोर्ट ने संज्ञान ले लिया था. इसके विरुद्ध हम लोग हाईकोर्ट गये और तर्क दिया कि चूंकि यह मामला ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट का नहीं बनता, इसलिए क्रिमिनल प्रोसीडिंग क्वैश कर दिया जाए. मंगलवार को कोर्ट ने पीड़क कार्रवाई पर रोक लगाने का आदेश दे दिया. अब इस मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर होगी.
सरयू राय ने मंगलवार को कहा कि स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर उनके विरुद्ध दायर एफआईआर पर पीड़क कार्रवाई नहीं करने के अदालती फैसले पर उन्हें संतोष है. यहां जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि इससे स्वास्थ्य मंत्री द्वारा चुनाव के दौरान उन्हें गिरफ्तार करने की साजिश विफल हो गई है. स्वास्थ्य मंत्री ने अपने कार्यालय से भ्रष्टाचार के कागजात निकाल कर उन्हें सार्वजनिक करने के आरोप में मुझ पर एफआईआर दर्ज कराया था. आनन-फानन में पुलिस द्वारा आरोप को सही करार देकर आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया था. स्वास्थ्य मंत्री चाहते थे कि आरोप पत्र पर अदालत से वारंट ले लिया जाए और मुझे चुनाव के दौरान ही गिरफ्तार कर लिया जाए.
राय ने कहा कि अदालत द्वारा उनके विरुद्ध पीड़क कार्रवाई नहीं करने के निर्देश से स्वास्थ्य मंत्री की साजिश विफल हो गई है. कोविड कर्मियों को प्रोत्साहन राशि देने के सरकारी निर्णय की सूची में मंत्री ने खुद का भी नाम जोड़ दिया था. अपने हाथों से बिल बना कर उन्होंने कोषागार में भी भेज दिया कि उन्हें प्रोत्साहन राशि उनके जमसेदपुर के रानीकुदर स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खाते में भेज दिया जाए.
राय के अनुसार, उन्होंने मंत्री के इस भ्रष्ट आचरण का भंडाफोड़ किया था और फाइल पर लिये गए उनके गलत निर्णय को सार्वजनिक किया था. इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने यह तो नहीं कहा कि उन्होंने जो कहा है, वह गलत है परंतु आरोप लगाया कि मैंने उनके भ्रष्टाचार की फाइल के पन्ने उनके कार्यालय से चोरी कर लिया है और मुझ पर उन्होंने डोरंडा थाना में ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज करा दिया था. झारखंड पुलिस ने स्वास्थ्य मंत्री के दबाव में कोर्ट में श्री राय पर आरोप पत्र दाखिल कर दिया था.
राय ने बयान में कहाः मैंने इसके विरुद्ध रिट याचिका दायर किया और आज हाईकोर्ट ने मुझ पर सरकार द्वारा पीड़क कार्रवाई ना करने और मेरे रिट याचिका में उठाए गये बिंदुओं का जवाब देने का निर्देश दिया. इस प्रकार मुझे गिरफ्तार कराने की स्वास्थ्य मंत्री की साजिश विफल हो गई.
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