सोशल संवाद / डेस्क : बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2017 में अपनी मां की हत्या करने और उसके अंग खाने के दोषी सुनील कुचकोरवी की मौत की सजा को बरकरार रखा। कोर्ट ने इसे नरभक्षण का मामला बताते हुए कहा कि दोषी में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है।
जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की बेंच ने कहा कि यह केस “रेयरेस्ट ऑफ द रेयर” कैटेगरी में आता है। अगर उसे उम्रकैद दी जाती है, तो वह जेल में भी ऐसा अपराध कर सकता है।
पुणे की यरवदा जेल में बंद सुनील वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई में शामिल हुआ। आरोपी ने अपनी मां की हत्या कर उसके मस्तिष्क, लीवर, और अन्य अंगों को पकाकर खाया था।
पूरी घटना 2 पॉइंट्स में समझें…
गुब्बारे और कंघी बेचकर गुजारा करती थी मां
सुनील की मां यल्लावा गांव-गांव जाकर गुब्बारे और कंघी बेचकर गुजारा करती थी। उसके दो बच्चे राजू और सुनील है। छोटा बेटा सुनील शराब का आदी था। घटना वाले दिन उसकी मां करीब 10 बजे घर आई तो सुनील ने उससे पैसे की मांग की। यल्लावा के इनकार के बाद दोनों के बीच बहस हो गई। इसके बाद सुनील घर से चला गया और करीब एक बजे शराब के नशे में घर आया। उसने अपनी मां से बहस की और उस पर तेज चाकू से हमला कर दिया। उसके शरीर को टुकड़ों में काट दिया।
2. 12 लोगों की गवाही के बाद मौत की सजा मिली
घटना का पता चलते ही आसपास के लोगों ने पुलिस को सूचना दी। जब पुलिस आई तो आरोपी मां के दिल को पकाने वाला था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और चाकू भी बरामद किया। मामले में 12 लोगों ने गवाही दी। तब जाकर कोर्ट ने उसे दोषी करार दिया।
शराब पीने से मना करने पर मां की हत्या की थी 28 अगस्त 2017 में सुनील ने अपनी 63 साल की मां यल्लम्मा की हत्या कर दी थी, क्योंकि उसने उसे शराब खरीदने के लिए पैसे देने से मना कर दिया था। इसके बाद उसने मां के अंगों को पका कर खा लिया था। 2021 में कोल्हापुर की अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई थी, जिसे अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी सही ठहराया है।