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क्या आप जानते है सांप शिकार कैसे करते हैं?

सोशल संवाद/डेस्क : सांप धरती के सबसे जहरीले जानवरों में से एक हैं. लेकिन कभी सोचा क‍ि सांप श‍िकार कैसे करते हैं? मुंह से तीन गुना बड़े जानवरों को भी कैसे निगल लेते हैं. श‍िकार की पहचान कैसे आसानी से कर लेते, जबक‍ि वे न तो सही देख पाते हैं और न ही सुन पाते हैं. ज्‍यादातर लोगों को पता होगा क‍ि सांप के दांतों में एक जहर होता है, जो वे श‍िकार के शरीर में डाल देते हैं. लेकिन श‍िकार करने की उनकी पूरी तरकीब जानेंगे तो और भी हैरान रह जाएंगे.

सांप श‍िकार के ल‍िए गंध पर निर्भर हैं. उनकी जीभ कांटेदार होती है, जिसे वे अपने आस-पास की गंध को सूंघने के लिए अलग-अलग दिशाओं में घुमाते हैं. जीभ को अंदर-बाहर हिलाकर रासायनिक जानकारी इकट्ठा करते हैं. कुछ सांप शरीर की गर्मी को महसूस कर लेते हैं, तो कुछ घात लगाकर या पीछा करके भी अपने शिकार का पता लगाते हैं. एक बार श‍िकार कब्‍जे में आ गया तो वे जहर डाल देते हैं और अगर बड़ा हो तो उसे कसकर बांध लेते हैं, ताकि भाग न पाए.

नेशनल ज्‍योग्राफ‍िक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, श‍िकार का पता लगाने के लिए सांपों के पास कई अन्य तरीके भी होते हैं. उनकी आंखों के सामने एक छिद्र होता, ज‍िसके जर‍िये सांप गर्म रक्त वाले जानवरों को पहचान लेते हैं. इसी के जर‍िये उनकी गर्मी को महसूस कर लेते हैं. इसके अलावा जब श‍िकार पास होता है तो सांपों के निचले जबड़े की हड्डियां कंपन महसूस करने लगती हैं. सांप अपने सिर की चौड़ाई से तीन गुना बड़े जानवरों को खा सकते हैं, क्योंकि उनके निचले जबड़े उनके ऊपरी जबड़े से अलग होते हैं. एक बार सांप के मुंह में शिकार अंदर की ओर चला जाता है तो वहीं फंस जाता है. फ‍िर न‍िकल पाना संभव नहीं होता.

वाइपर जैसे सांपों में शरीर की गर्मी महसूस करने वाले रिसेप्‍टर्स ज्‍यादा होते हैं. इसकी वजह से इन्‍हें रात में श‍िकार करने में आसानी होती है. रात में शिकार करने वाले सांपों की नजर भी काफी अच्‍छी तरह से व‍िकस‍ित होती है. यह आसपास के हलचल का पता लगाने में उन्‍हें मदद करती है. आप जानकर हैरान होंगे क‍ि सांप भी पलकें नहीं झपकाते. इसी वजह से कई बार श‍िकार सम्‍मोह‍ित हो जाते हैं और उसके चंगुल में आ जाते हैं. सांप कुछ रंगों को पहचाने में सक्षम होते हैं, लेकिन ये इंद्रियां उतनी विकसित नहीं होती हैं. वे अपने कानों के माध्यम से ध्वनि नहीं पकड़ते हैं. ध्वनि और कंपन प्राप्त करने के लिए ज्यादातर अपनी त्वचा और जबड़े की हड्डियों पर निर्भर रहते हैं. वे अपने फेफड़े का उपयोग ध्वनि रिसेप्टर के रूप में भी कर सकते हैं.

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