सोशल संवाद डेस्क: बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं कि महाभारत को घर में नहीं रखना चाहिए और ना ही इसका घर में पाठ करना चाहिए क्योंकि इससे घर में लड़ाई-झगड़े होते हैं। क्या यह धारणा सही है या नहीं? चलिए जानते है।
चार वेदों के बाद महाभारत को पांचवां वेद माना गया है। अर्थात इसे वेद के समान दर्जा प्राप्त है। जब वेद रखे जा सकते हैं तो इसे भी रखा जा सकता है। है। दावा किया जाता है कि प्राचीन काल में हर घर में महाभारत रखी जाती थी । लेकिन मध्यकाल में ऐसी अफवाह फैली कि महाभारत को घर में नहीं रखना चाहिए और इस अफवाह को लोग सच मानने लगे।
महाभारत घर में ना रखने का कारण ये बताया जाता है की ये एक युद्ध की कहानी है इसलिए इसे नहीं रखना चाहिए । परंतु क्या केवल महाभारत में ही युद्ध की बात हुई है? ऐसा बिलकुल नहीं है। दुनिया के हर धर्मंग्रंथ में रिश्तों और युद्ध को लेकर बहुत कुछ लिखा हुआ है।
महाभारत ग्रंथ में वेद, पुराण, उपनिषद, भारतीय इतिहास और हिन्दुओं के संपूर्ण ग्रंथों का सार मिलता है। न्याय, अन्याय, रिश्तों और जीवन से जुड़ी हर समस्याओं का वर्णन है महाभारत में यानि की इसे घर में रखने से बहुत सारे विषयो का ज्ञान मिलता है ।
इस ग्रंथ का घर में होना तो अत्यंत ही जरूरी है क्योंकि सिर्फ इसे पढ़ने और समझने से संपूर्ण ग्रंथों और इतिहास को पढ़ और समझ लिया जाता है।
यह ग्रंथ व्यक्ति को बुद्धिमान और समझदार बनाकर समाज एवं राजनीति में भी निपूण बनाता है। अत: प्रत्येक व्यक्ति इस ग्रंथ का अध्ययन करने इसमें लिखे सूत्रों को समझना चाहिए जो जीवन में बहुत ही काम आते हैं।
महाभारत में श्रीकृष्ण के गीता ज्ञान के अलावा और भी कई तरह के ज्ञान शामिल हैं। जैसे- पराशर गीता, धृतराष्ट्र-संजय संवाद, विदुर नीति, भीष्म नीति, यक्ष प्रश्न आदि।
हिन्दुओं के किसी भी ग्रंथ में यह नहीं लिखा है कि महाभारत को घर में नहीं रखना चाहिए। यह एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जो संपूर्ण हिन्दू धर्म और उसके इतिहास का प्रतिनिधित्व करता है और धर्म, नीति, ज्ञान, तर्क, राजनीति, मोक्ष, विद्या और संपूर्ण कलाओं का ज्ञान देकर धर्म स्थापना के सूत्र बताते हैं। कोई विधर्मी ही चाह सकता हैं कि यह ग्रंथ हिन्दू नहीं पढ़ें और न घरों में रखें ताकि वह इस ग्रंथ से कटता जाए।