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जमशेदपुर में गहराते जा रहे पेयजल संकट – सरयू राय

By admin

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सोशल संवाद/डेस्क : जमशेदपुर में गहराते जा रहे पेयजल संकट का समाधान छोटे मोटे सामंजस्य बैठाने के तात्कालिक उपायों से नहीं होगा. इसके लिए एक व्यापक एवं समन्वित दीर्घकालिक उपाय पर अमल करना होगा. कल तक हम नदी के जल प्रवाह में कमी आ जाने के कारण मोहरदा पेय जलापूर्ति परियोजना से स्वच्छ पानी देने की कठिनाई से जूझ रहे थे. यह संकट जमशेदपुर के टाटा लीज़ क्षेत्र की पेय जलापूर्ति पर खड़ा हो गया है.

पहले टाटा स्टील की कंपनी जुस्को और अब टीएसयूआईएसएल जमशेदपुर में पीने का पानी दे रही है. यह कंपनी मोहरदा पेयजल आपूर्ति परियोजना भी चला रही है. जमशेदपुर में पेयजल आपूर्ति में अशुद्धियाँ दिखने का जो संकट यह कंपनी अभी देख रही है उसका बेहतर अनुभव इसे मोहरदा पेयजल आपूर्ति परियोजना चलाने में होते रहा है. मोहरदा का संकट अब पूरे जमशेदपुर पर छा गया है. यही संकट बागबेड़ा, जुगसलाई आदि पर भी आने वाला है. कारण कि स्वर्णरेखा और खरकई नदियाँ अविवेकपूर्ण शहरीकरण के कारण बद से बदतर स्थिति में पहुँचते जा रही हैं.

इनका जल दिन पर दिन ज़्यादा गंदा होते जा रहा है. इसलिये केवल जलकुंभी साफ़ कर देना, जलशोधन के समय ज़्यादा कैमिकल डाल देना, बरसात के कारण नदी के जल प्रवाह में कमी होने का कारण बताना तथा चांडिल डैम और डिमना लेक से सीमित जल छोड़ने की बात करना समस्या का स्थायी समाधान नहीं है. स्पष्ट है कि जमशेदपुर एवं समीपवर्ती इलाक़ों में हो रहे औद्योगिक एवं पेयजल की आपूर्ति का एकमात्र सतही स्रोत स्वर्णरेखा, खरकई और इसकी सहायक नदियाँ हैं जिनमें वर्षा की जल प्रवाहित होता है. इन दो जल भंडारों के स्तर पर ही जमशेदपुर एवं समीपवर्ती क्षेत्रों में औद्योगिक जल और पेयजल की आपूर्ति की योजना बनानी पड़ेगी. संक्षिप्त समाधान है कि :

1. औद्योगिक जलापूर्ति नदियों से सीधे पानी खींचकर किया जाए ,
2. पेयजल आपूर्ति के लिए चांडिल डैम से रोज़ाना उतना पानी डिमना लेक मे डाला जाए जितना की ज़रूरत जमशेदपुर और समीपवर्ती क्षेत्रों लिए है तथा डिमना लेक से यह पानी पाईप के माध्यम से पेयजल के लिए आपूर्ति किया जाए,
3. सतनाला डैम पर भी पेयजल आपूर्ति संरचना खड़ा की जाए,
4. चांडिल डैम से स्वर्णरेखा को ज़िंदा रखने के लिए सतत निर्धारित पर्यावरणीय प्रवाह छोड़ा जाए,
5. जमशेदपुर के लिए नाला आधारित विकास योजना बने. नालों की सेहत ठीक रखा जाए और नदियों में गिरने के पहले उनके दूषित जल की सफ़ाई की जाए.
6.सिवरेज सिस्टम को शहरीकरण का अनिवार्य अंग बनाया जाए.
7. उपयोग किए गए जल का पुनः चक्रीकरण किया जाय.
8. टाटा स्टील और झारखंड सरकार की एक संयुक्त समिति औद्योगिक जल एवं पेयजल आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए बने.

उपर्युक्त के अतिरिक्त कोई अधिक सटीक उपाय इस संकट के समाधान के संदर्भ में हो तो इसपर खुला विमर्श किया जाना चाहिए. इन बिन्दुओं पर परामर्श के लिए टाटा स्टील और सरकार आंतरिक एवं बाह्य विशेषज्ञ का समूह बनाए. अपनी यह अवधारणा परसों 18 जुलाई को राँची में सरकार के नगर विकास विभाग द्वारा वर्तमान मोहरदा पेयजल आपूर्ति परियोजना के सुदृढ़ीकरण और इसके विस्तार के लिए इसका फ़ेज़-2 क्रियान्वित करने पर विचार करने के लिए बुलाई गई बैठक में रखूँगा.

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