सोशल संवाद / डेस्क: सावन के महीने में जहां लोग शिव की भक्ति में रंगे हुए हैं। वहीं मंदिरों और शिवालयों में भी भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। सावन के इस पोवन महीने में आज हम ऐसे शिव मदिर की बात करेंगे जहां की खूबसूरत वाडिया आपको भी खींच लाएगी। ये मंदिर झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम व ओडिशा के क्योंझर जिले की सीमा के बीचों बीच जोड़ा के समीप दो पहाड़ों की वनाच्छादित तलहटी में स्थित है।
यह भी पढ़ें: मॉनसून सत्र से पहले PM Modi ने विपक्षी दलों को दी नसीहत
वैसे तो इस पौराणिक बाबा मुर्गा महादेव मंदिर जिसका वास्तविक नाम बाबा मृगेश्वर महादेव मंदिर है। चूंकि मंदिर के आस पास मृगों यानि हिरणों की संख्या काफी थी। जिसके नाम पर भगवान श्री राम चन्द्र ने इस शिव लिंग की पूजा अर्चना के बाद इसे बाबा मृगेश्वर महादेव मन्दिर का नाम दिया। किन्तु कालांतर में मृग से नामांतरण होते हुए इसका नाम मुर्गा महादेव मन्दिर के रूप में प्रचलित हो गया।
अति पौराणिक बाबा मुर्गा महादेव मंदिर में यूं तो सालों भर भक्तों एवं श्रद्धालुओं का आना-जाना और पूजा पाठ करने का सिलसिला चलता रहता है।यह मंदिर झारखंड और ओडिशा की सीमा पर स्थित है और श्रावणी मेले के दौरान, यहां जलाभिषेक करने के लिए बहुत सारे भक्त आते हैं। मंदिर समिति और स्थानीय प्रशासन भीड़ को संभालने और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए उपाय करते हैं, जैसे कि कतारों की व्यवस्था और पार्किंग।
मुर्गा महादेव मंदिर झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम और ओड़िशा की सीमा पर नोआमुंडी शहर से 5 किलोमीटर दूर खनन क्षेत्र के मुगा बेड़ा गांव में स्थित है। ओड़िशा के क्योंझर शहर से इसकी दूरी 70 किलोमीटर है। टाटा नगर से रेल मार्ग के जरिए नोवामुंडी स्टेशन पर उतर कर करीब 15 किमी दूर पैदल या फिर निजी वाहन से यहां पहुंचा जा सकता है।यह एक प्राचीन तीर्थस्थल है जहां आदिवासी और ब्राह्मण; दोनों पूजन विधियों का पालन किया जाता है। आस-पास स्थित जल प्रपात इस स्थान को अद्भुत सौंदर्य प्रदान करते हैं। इसलिए तीर्थयात्रा के अलावा हर साल जाड़े में लोग यहां पिकनिक के लिए भी आते हैं।