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ED ने सुब्रत रॉय के बेटे को भगोड़ा बताया:1.74 लाख करोड़ रुपए के घोटाले में सहारा के खिलाफ चार्जशीट

By Muskan Thakur

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ED declares Subrata Roy's son a fugitive

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सोशल संवाद/डेस्क : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सहारा इंडिया समूह के खिलाफ कोलकाता की कोर्ट में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है। इसमें 1.74 लाख करोड़ रुपए के चिटफंड घोटाले का जिक्र है।ED ने सहारा के संस्थापक दिवंगत सुब्रत रॉय की पत्नी सपना रॉय, बेटे सुशांत रॉय को आरोपी बनाया है। अनिल वैलापरमपिल अब्राहम और जितेंद्र प्रसाद (जेपी) वर्मा समेत समूह के कई वरिष्ठ अधिकारी भी आरोपियों में शामिल हैं।

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ईडी ने सुशांत को भगोड़ा बताया है। वह पूछताछ में शामिल नहीं हुए थे। ईडी उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कराने की प्रक्रिया में है। सहारा के खिलाफ 500 से अधिक एफआईआर दर्ज हैं। इनमें से करीब 300 में दर्ज आरोप पीएमएलए के दायरे में आते हैं। ED ने सुब्रत रॉय की पत्नी सपना रॉय को भी चार्जशीट में आरोपी बनाया है।

तीन राज्यों में FIR दर्ज की थी

ईडी ने जांच की शुरुआत ओडिशा, बिहार और राजस्थान में दर्ज तीन एफआईआर से की थी। ये हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड व अन्य सहारा संस्थाओं के खिलाफ दर्ज हुई थीं।
हाल ही में उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मुंबई में सहारा समूह से जुड़ी नौ परिसरों पर छापेमारी हुई, जिनमें भूमि और शेयर डील्स से जुड़े दस्तावेज जब्त हुए। नए सबूतों के आधार पर सप्लीमेंटरी चार्जशीट दाखिल की गई है।

सियासी संपर्कों से संपत्ति सौदे वैध दिखाए

चार्जशीट में खासतौर पर अनिल अब्राहम और जेपी वर्मा की भूमिका रेखांकित की गई है। अब्राहम सहारा के चेयरमैन कोर मैनेजमेंट (CCM) ऑफिस में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रहे। बड़े फैसलों व संपत्ति सौदों में केंद्रीय भूमिका निभाते थे। वर्मा को ईडी ने ‘लॉन्ग-टाइम एसोसिएट’ और प्रॉपर्टी ब्रोकर बताया है। आरोप है कि वह जमीनी स्तर पर नकद लेन-देन और गुप्त सौदे रूट कराने में अहम भूमिका निभाते थे। ईडी का दावा है कि दोनों ने सहारा की संपत्तियों की बिक्री कराई, नकदी को इधर-उधर किया और सियासी व कारोबारी नेटवर्क का इस्तेमाल कर इन्हें वैध दिखाने की कोशिश की।

सेबी ने शुरू करवाई थी रिफंड की प्रक्रिया

सेबी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सहारा की अवैध रूप से जुटाई 24 हजार करोड़ की राशि निवेशकों को रिफंड कराने की प्रक्रिया शुरू की थी। वहीं, ईडी की जांच का फोकस है कि सहारा ने निवेशकों का पैसा कैसे मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए बेनामी संपत्तियों और सौदों में लगाया। यानी, सेबी निवेशकों को उनका पैसा वापस दिलाने पर काम कर रही है, जबकि ईडी अपराध की जड़ पर शिकंजा कस रही है।

एंबी वैली, सहारा सिटी अपराध से कमाई संपत्ति

चार्जशीट के मुताबिक सहारा ने कई कंपनियों के जरिए पॉन्जी स्कीमें चलाईं। नई रकम से पुरानी देनदारी चुकाई जातीं। खातों में हेरफेर कर असल देनदारी छिपाई जाती थी। ईडी ने पाया कि सहारा ने निवेशकों के पैसे का उपयोग चुनावी व कारोबारी नेटवर्क मजबूत करने में किया। सहारा के प्रोजेक्ट एंबी वैली (707 एकड़) और सहारा प्राइम सिटी (1,023 एकड़) भी अपराध से अर्जित संपत्ति का हिस्सा बताए हैं।

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