सोशल संवाद / डेस्क : चुनाव प्रचार के लिए कंटेंट तैयार करने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। इसे देखते हुए चुनाव आयोग इसके दुरुपयोग पर रोक लगाने और बेहतर इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए गाइडलाइंस बना रहा है। इसकी झलक बिहार विधानसभा चुनाव में दिख सकती है। सूत्रों ने बताया कि राजनीतिक दलों, मीडिया और सोशल मीडिया के लिए जनरेटिव AI संबंधी कंटेंट के बारे में बताना होगा। प्रचार में AI के इस्तेमाल के नियम और तरीके साफ किए जाएंगे। फेक और डीपफेक प्रचार वीडियो और ऑडियो के बारे में भी दिशा-निर्देश बनाए जा रहे हैं।
इसका मकसद है कि AI कंटेंट का इस्तेमाल करके मतदाताओं को भ्रमित या उनकी पसंद को गलत तरीके से प्रभावित न किया जा सके। साथ ही यह यह करने की कोशिश की जाएगी कि मतदाताओं की निजता या चुनाव की निष्पक्षता पर आंच न आए।
लोकसभा चुनाव में 5 करोड़ से ज्यादा रोबोट कॉल हुईं
आयोग का यह कदम ग्लोबल इलेक्शन ट्रैकिंग की AI पर रिपोर्ट को देखते हुए अहम है। इससे पता चला है कि 2024 लोकसभा चुनाव में AI का इस्तेमाल अमेरिकी चुनाव से 10% और ब्रिटिश चुनाव से 30% ज्यादा है।
फ्यूचर शिफ्ट लैब्स की इस रिपोर्ट में 74 देशों के चुनाव में AI की ट्रैकिंग की गई। भारत के चुनाव में इसका सबसे ज्यादा 80% इस्तेमाल हुआ। AI से 5 करोड़ से ज्यादा रोबोट कॉल की गईं। उम्मीदवारों की आवाज में इन डीपफेक कॉल्स का कंटेंट जेनरेट किया गया। 22 भाषाओं में डीपफेक से प्रचार सामग्री तैयार की गई।